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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 दिसंबर, 2020

  • 14 Dec 2020
  • 7 min read

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस

भारत में प्रतिवर्ष 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देते हुए आम लोगों को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति जागरूक बनाना है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष इस दिवस का आयोजन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा किया जाता है। भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत 1 मार्च, 2002 को ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) की स्थापना की थी। यह एक सांविधिक निकाय है, जो कि ऐसी नीतियों और रणनीतियों के विकास में सहायता प्रदान करता है जिनका प्रमुख उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊर्जा की गहनता को कम करना है। ज्ञात हो कि देश की जनसंख्या में अनवरत बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है, जिसकी वजह से ऊर्जा उपभोग में भी बढ़ोतरी हो रही है। अतः ऊर्जा के उपभोग को कम-से-कम करने हेतु ऊर्जा संरक्षण की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना आवश्यक है, ताकि ऊर्जा स्रोतों और संसाधनों को भविष्य के उपयोग के लिये बचाया जा सके।

फिल्म और मनोरंजन क्षेत्र को उद्योग का दर्जा

महाराष्ट्र सरकार राज्य में फिल्म और मनोरंजन क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने पर विचार कर रही है और इस संबंध में जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। ज्ञात हो कि भारत में फिल्म और मनोरंजन क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार प्रदान करता है और यदि इसे उद्योग का दर्जा प्रदान किया जाता है तो इसे बड़ी संख्या में रियायतें मिल सकेंगी, जो कि इस क्षेत्र और संपूर्ण अर्थव्यवस्था के विकास के लिये काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा। भारत भर में फिल्म और मनोरंजन क्षेत्र, जिसमें टेलीविज़न, डिजिटल मीडिया, लाइव इवेंट, एनीमेशन, सिनेमा, रेडियो आदि शामिल हैं, का विस्तार काफी तेज़ी से हो रहा है और भविष्य में इस क्षेत्र के और अधिक विकास के लिये इसे उद्योग का दर्जा दिया जाना काफी महत्त्वपूर्ण है। असल में ‘उद्योग के दर्जे’ को भारत के किसी भी कानून में विशेष तौर पर परिभाषित नहीं किया है, बल्कि यह एक सांकेतिक दर्जा है, जो कि किसी विशिष्ट क्षेत्र (जैसे- फिल्म और मनोरंजन क्षेत्र) के राज्य/केंद्रीय औद्योगिक नीति में समावेश को इंगित करता है। उदाहरण के लिये इसी वर्ष मई माह में ‘खेल’ को उद्योग का दर्जा देने वाला मिज़ोरम पहला राज्य बना था। 

‘महाशरद’ प्लेटफॉर्म

दिव्यांग लोगों की सहायता के लिये महाराष्ट्र सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म विकसित किया है। ‘महाशरद’ (MahaSharad) नाम का यह डिजिटल प्लेटफॉर्म राज्य में दिव्यांग लोगों को मुफ्त में आवश्यक उपकरण प्राप्त करने में मदद करेगा। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म राज्य के दिव्यांगजनों और उपकरण दान करने वाले लोगों, कंपनियों और विक्रेताओं के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा। दिव्यांगजनों के जीवन को सुगम बनाने के लिये आवश्यक आधुनिक उपकरण जैसे- ब्रेल किट, श्रवण यंत्र, कृत्रिम अंग और बैटरी से चलने वाली व्हीलचेयर आदि सभी बाज़ार में उपलब्ध हैं, किंतु इन उपकरणों को खरीदने की क्षमता सभी लोगों के पास नहीं है, जिसके कारण प्रायः आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के दिव्यांग लोगों को दैनिक जीवन में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर देश भर में कई संगठन, निजी कंपनियाँ और उद्योगपति ऐसे हैं जो इस प्रकार के उपकरणों को  दान देने के इच्छुक हैं, ऐसे में इन दोनों प्रकार के लोगों को एक साथ, एक मंच पर लाना आवश्यक है। ज्ञात हो कि महाराष्ट्र सरकार के इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्राप्तकर्त्ता के रूप में केवल महाराष्ट्र के दिव्यांग लोग ही पंजीकरण करवा सकते हैं, जबकि दानकर्त्ता के रूप में यहाँ पर देश भर से कोई भी व्यक्ति अथवा संगठन पंजीकरण करवा सकता है।

‘एनिग्मा’ एन्क्रिप्शन मशीन

समुद्री गोताखोरों के एक समूह ने बाल्टिक सागर में एक ‘एनिग्मा’ (Enigma) एन्क्रिप्शन मशीन की खोज की है, जिसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी सेना द्वारा गुप्त संदेश भेजने और उन्हें एनकोड करने के लिये किया गया था। ‘एनिग्मा’ एन्क्रिप्शन मशीन का आविष्कार प्रथम विश्व युद्ध के अंत में जर्मन इंजीनियर आर्थर शेरेबियस द्वारा किया गया था, हालाँकि उस दौरान इस मशीन का उपयोग नहीं किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी जर्मनी की सेना ने कोड में संदेश प्रसारित करने के लिये ‘एनिग्मा’ एन्क्रिप्शन मशीन का उपयोग किया था। इस मशीन में किसी भी खुफिया संदेश को एन्क्रिप्ट करने के लिये काफी अत्याधुनिक प्रणाली का उपयोग किया गया था, जिसके कारण मित्र राष्ट्रों के सैन्य और खुफिया विभागों को इन संदेशों को डिक्रिप्ट करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।

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