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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 जून, 2021

  • 08 Jun 2021
  • 8 min read

‘नॉलेज इकॉनमी मिशन’ 

हाल ही में केरल सरकार ने राज्य में शिक्षित युवाओं को रोज़गार प्रदान करने और ‘ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में संलग्न श्रमिकों’ को समर्थन प्रदान करने हेतु चल रही विभिन्न योजनाओं को एक साथ एक कार्यक्रम के तहत लाने के लिये ‘नॉलेज इकॉनमी मिशन’ की शुरुआत की है। इस परियोजना का नेतृत्त्व ‘केरल विकास एवं नवाचार सामरिक परिषद’ (K-DISC) द्वारा किया जा रहा है, जिसे 15 जुलाई से पूर्व एक व्यापक परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है। इस मिशन के तहत राज्य की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में कार्यरत श्रमिकों के लिये बुनियादी सुविधाएँ और एक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली प्रदान करने के लिये एक व्यापक योजना तैयार की जाएगी। इस तरह के प्रयासों को गति प्रदान करते हुए कौशल संवर्द्धन, तकनीकी परिवर्तन और उच्च शिक्षा प्रणाली को मज़बूत करने के लिये 'नॉलेज इकोनॉमी फंड' के तहत आवंटन को 200 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए कर दिया गया है। राज्य सरकार शिक्षा प्रणाली की जाँच करने और ज्ञान सृजन की क्षमता विकसित करने के लिये शिक्षा प्रणाली के पुनर्निर्माण हेतु कदम सुझाने के लिये एक उच्च आयोग का गठन करेगी। 

विश्व महासागर दिवस

प्रतिवर्ष 08 जून को दुनिया भर में ‘विश्व महासागर दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इसका उद्देश्य केवल महासागरों के प्रति जागरुकता फैलाना ही नहीं बल्कि दुनिया को महासागरों के महत्त्व और भविष्य की इनके सामने खड़ी चुनौतियों से भी अवगत कराना है। यह दिवस कई महासागरीय पहलुओं जैसे- सामुद्रिक संसाधनों के अनुचित उपयोग, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डालता है। 08 जून, 1992 को ‘अर्थ समिट’ में कनाडा के ‘ओशियन इंस्टीट्यूट’ ने प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महासागर दिवस मनाने का विचार प्रस्तुत किया था।  संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2008 में संबंधित प्रस्ताव पारित किया और इस दिन को आधिकारिक मान्यता प्रदान की। पहली बार विश्व महासागर दिवस 8 जून, 2009 को मनाया गया था। इस वर्ष विश्व महासागर दिवस की थीम है- ‘महासागर: जीवन और आजीविका’। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, तीन अरब से अधिक लोग महासागर आधारित उद्योगों में कार्यरत हैं और यह संख्या समय के साथ और अधिक बढ़ती रहेगी। महासागरीय संसाधनों को समाप्त होने से बचाने के लिये महासागरों के सतत् उपयोग की आवश्यकता है। पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला लगभग 97 प्रतिशत जल महासागरों में मौजूद है। जलीय पारिस्थितिक तंत्र में मछलियों और पौधों की अनगिनत प्रजातियाँ मौजूद हैं।

अब्दुल्ला शाहिद

मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के नए अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जिन्होंने अफगानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री जलमई रसूल के विरुद्ध तीन-चौथाई बहुमत हासिल किये हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पद का चुनाव विभिन्न क्षेत्रीय समूहों के बीच रोटेशन आधार पर प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इस बार 76वें संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र (वर्ष 2021-22) में एशिया-प्रशांत समूह की बारी थी। ज्ञात हो कि यह पहली बार होगा जब मालदीव का कोई प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष के पद पर आसीन होगा। संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) के तहत वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र महासभा स्थापित की गई थी। यह महासभा संयुक्त राष्ट्र में विचार-विमर्श और नीति निर्माण जैसे मुद्दों पर प्रतिनिधि संस्था के रूप में काम करती है। 193 सदस्यों से बनी यह संयुक्त राष्ट्र महासभा अपने चार्टर के तहत कवर किये गए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बहुआयामी और बहुपक्षीय चर्चा के लिये एक बेहतरीन मंच प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व महासभा में होता है। प्रत्येक सदस्य राज्य के पास एक वोट होता है। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, नए सदस्यों को स्वीकार करने और संयुक्त राष्ट्र के बजट जैसे प्रमुख मुद्दों पर निर्णय दो-तिहाई बहुमत से तय लिया जाता है, जबकि अन्य मामलों पर निर्णय साधारण बहुमत से होता है।

MSMEs के लिये विश्व बैंक की सहायता

हाल ही में विश्व बैंक ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित व्यवहार्य छोटे व्यवसायों के लिये तरलता पहुँच बढ़ाने हेतु भारत में MSMEs का समर्थन करने के लिये 500 मिलियन डॉलर के कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है। विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने MSME क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिये भारत सरकार की राष्ट्रव्यापी पहल का समर्थन करने हेतु 500 मिलियन के कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है, जो कोविड-19 संकट से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यह कार्यक्रम देश के 555,000 MSMEs के प्रदर्शन में सुधार करेगा। विदित हो कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है और यह क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 30 प्रतिशत तथा निर्यात में 4 प्रतिशत का योगदान देता है। भारत में मौजूद लगभग 58 मिलियन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में से 40 प्रतिशत से अधिक के पास वित्त के औपचारिक स्रोतों तक पहुँच उपलब्ध नहीं है। ज्ञात हो कि इससे पूर्व विश्व बैंक ने जुलाई 2020 में 750 मिलियन डॉलर के ‘एमएसएमई इमरजेंसी रिस्पांस प्रोग्राम’ को स्वीकृति दी थी, जिसका उद्देश्य कोविड-19 महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित लाखों व्यवसायों की तत्काल तरलता एवं क्रेडिट संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना था।

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