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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 5 मई, 2020

  • 05 May 2020
  • 11 min read

श्रम गहन कार्यक्रम

Labour Intensive Programme

4 मई, 2020 को झारखंड सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों के लिये रोज़गार उत्पन्न करने के उद्देश्य से तीन श्रम गहन कार्यक्रमों (‘बिरसा हरित ग्राम योजना’ (Birsa Harit Gram Yojana -BHGY), ‘नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना’ (Neelambar Pitambar JAL Sammridhi Yojana-NPJSY) और ‘वीर शहीद पोतो हो खेल विकास योजना’ (Veer Sahid Poto Ho Khel Vikas Scheme-VSPHKVS)) की शुरुआत की।  

मुख्य बिंदु: 

  • COVID-19 के मद्देनज़र राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन के कारण अन्य राज्यों से झारखंड वापस लौट रहे छह लाख से अधिक प्रवासी मज़दूरों के लिये तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिये इन तीनों योजनाओं को ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना’ (MNREGA) के साथ जोड़कर तैयार किया गया है।
  • ग्रामीण आबादी को रोज़गार देने के अलावा ये सभी योजनाएँ सतत् विकास के दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए झारखंड में नई संपत्ति के सृजन के लिये तैयार की गई हैं।
  • ‘सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ (Centre for Monitoring Indian Economy- CIME) के आँकड़ों के अनुसार, झारखंड की बेरोज़गारी दर 47.1% है जो राष्ट्रीय औसत (23.5%) से लगभग दोगुना है। 

बिरसा हरित ग्राम योजना

(Birsa Harit Gram Yojana- BHGY)

  • इस योजना का उद्देश्य वनीकरण हेतु दो लाख एकड़ से अधिक अप्रयुक्त सरकारी परती भूमि का उपयोग करना है।
  • इसके तहत लगभग पाँच लाख परिवारों को 100 फल देने वाले पौधे दिये जाएंगे और इनके वृक्षारोपण, रखरखाव, भूमि कार्य एवं वनीकरण कार्य की ज़िम्मेदारी उन ग्रामीण परिवारों के पास होगी जबकि भूमि का स्वामित्त्व सरकार के पास रहेगा
  • इस योजना के तहत अगले कुछ महीनों में पाँच करोड़ से अधिक फल देने वाले पौधे लगाए जाने की उम्मीद जताई गई है।
  • इस योजना से प्रत्येक परिवार को तीन वर्ष के बाद इन पौधों से लगभग 50000 रुपए की वार्षिक आय प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया है।

नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना

(Neelambar Pitambar JAL Samriddhi Yojana- NPJSY):

  • इस योजना का उद्देश्य जल संरक्षण, भू-जल पुनर्भरण, वर्षा जल भंडारण के लिये कृषि उपयोगी जल संग्रहण इकाइयों का निर्माण करना है।
  • इस योजना के तहत झारखंड के पलामू जैसे बारहमासी पानी की समस्याओं का सामना करने वाले ज़िलों को सबसे अधिक लाभ होगा।
  • राज्य सरकार ने कहा कि इसके माध्यम से लगभग 5 लाख एकड़ खेती योग्य भूमि की सिंचाई की जा सकती है।

वीर शहीद पोतो हो खेल विकास योजना

(Veer Sahid Poto Ho Khel Vikas Scheme-VSPHKVS):

  • इस योजना के तहत खेलों को बढ़ावा देने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति (खेल आधारित अवसंरचना)  निर्माण के लिये ग्रामीण रोज़गार योजनाओं के साथ खेलों को जोड़ा जा रहा है। 
  • इस योजना के तहत झारखंड की सभी 4300 पंचायतों में लगभग 5000 खेल के मैदान स्थापित किये जाने की योजना है।

अतुल्य: माइक्रोवेव स्टेरलाइज़र

Atulya: Microwave Steriliser

हाल ही में ‘डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस टेक्नोलॉजी’ ने COVID-19 वायरस को विघटित करने के लिये 'अतुल्य' नाम से एक माइक्रोवेव स्टेरिलाइज़र विकसित किया है।

  • COVID-19 वायरस 56-60 डिग्री सेल्सियस तापमान की सीमा में अतुल्य के ‘डिफरेंसियल हीटिंग’ (Differential Heating) से विघटित हो जाएगा।

Atulya

मुख्य बिंदु:

  • COVID-19 के लिये अतुल्य एक लागत प्रभावी समाधान है जिसे पोर्टेबल या फिक्स्ड इंस्टालेशन में संचालित किया जा सकता है। 
  • इस प्रणाली का मानव/प्रचालक सुरक्षा के लिये परीक्षण किया गया है एवं इसे सुरक्षित पाया गया है। 
  • भिन्न-भिन्न वस्तुओं के आकार एवं ढाँचे के अनुसार, स्टेरिलाइज़ेशन का समय 30 सेकेंड से एक मिनट तक रहता है। 
    • स्टेरिलाइज़ेशन उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो सभी जैविक रूपों जैसे- कवक, बैक्टीरिया, वायरस, बीजाणु एवं अन्य जैविक एजेंटों को समाप्त करता है, मारता है या निष्क्रिय करता है।
  • इसका वजन लगभग तीन किलोग्राम है और इसका उपयोग केवल अधात्त्विक (Non-Metallic) वस्तुओं के लिये किया जा सकता है।

नोट: 


ई-कोवसेंस

eCovSens

हाल ही में हैदराबाद स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनीमल बायोटेक्नोलॉजी’ (NIAB) ने एक बायोसेंसर ई-कोवसेंस (eCovSens) विकसित किया है जो लार के नमूनों में COVID-19 का पता लगा सकता है।

मुख्य बिंदु: 

  • वर्तमान में विश्व भर में विषाक्त पदार्थों, मादक द्रव्यों का पता लगाने के लिये बायोसेंसर का उपयोग किया जाता है। वहीं संक्रामक रोगों का पता लगाने के लिये भी इसका उपयोग एक विश्वसनीय उपकरण के तौर पर किया जाता है।
  • यह उपकरण लार के नमूने के सिर्फ 20 माइक्रोलीटर (Microlitre) का उपयोग करके 10-30 सेकेंडों के भीतर परिणाम देता है।

कार्यप्रणाली:

  • इस उपकरण में एक कार्बन इलेक्ट्रोड एवं कोरोनावायरस एंटीबॉडी होते हैं। 
  • ये एंटीबॉडी वायरस की बाहरी परत पर पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन (Spike Protein) के साथ बंधन बनाने में सक्षम होते हैं।
  • प्रतिजन एवं एंटीबॉडी द्वारा बंधन बनाने पर एक विद्युत संकेत उत्पन्न होता है। जिससे संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। 

कोरोना किलर 100

Corona Killer 100

हाल ही में एक भारतीय फर्म ‘गरुड़ एयरोस्पेस’ (Garuda Aerospace) ने एक यूएवी (Unmanned Aerial Vehicle) ‘कोरोना किलर 100’ (Corona Killer 100- CK 100) विकसित किया है जो COVID-19 जैसी स्थिति में सार्वजनिक स्थानों को विसंक्रमित करने में मदद करेगा।

Corona-Killer-100

मुख्य बिंदु: 

  • ‘कोरोना किलर 100’ एक प्रकार का ड्रोन है जिसका प्रयोग 450 फीट तक की इमारतों पर कीटाणुनाशक स्प्रे करने के लिये किया जा सकता है।
  • COVID-19 जैसी स्थिति में ड्रोन संचालन उन श्रमिकों जो COVID-19 के संभावित वाहक बन सकते हैं, द्वारा पारंपरिक छिड़काव की तुलना में अधिक तेज़ एवं सुरक्षित है।
  • इसके अलावा ड्रोन ऊँचाई तक भी पहुँच सकते हैं जो पारंपरिक छिड़काव के माध्यम से संभव नहीं हैं।
  • ऐसे ड्रोन पहले ही चंडीगढ़ एवं वाराणसी में क्षेत्रों को कीटाणुरहित करने के लिये तैनात किये जा चुके हैं।
  • यह ‘कोरोना किलर 100’ (सैनिटाइज़ेशन ड्रोन) जो वर्तमान में 26 शहरों में इस्तेमाल किया जा रहा है, वर्ष 2016 में नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा शीर्ष 10 सामाजिक-आर्थिक नवाचारों में से एक के रूप में चुना गया था।
  • ये ड्रोन ऑटोपायलट प्रौद्योगिकी, उन्नत उड़ान नियंत्रक प्रणाली तथा ईंधन कुशल मोटर्स से सुसज्जित हैं। जिससे ये दिन में 12 घंटे सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं।
  • इस ड्रोन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
    • 15-20 लीटर की पेलोड क्षमता।
    • 40-45 मिनट की उड़ान अवधि।
    • अधिकतम 450 फीट ऊँचाई वाली इमारतों तक पहुँचने की क्षमता।
  • प्रत्येक ड्रोन दिन में 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। 

गरुड़ एयरोस्पेस

(Garuda Aerospace):

  • ड्रोन निर्माता गरुड़ एयरोस्पेस ने कृषि सर्वेक्षण, टोही एवं निगरानी जैसी विभिन्न ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पिछले 4 वर्षों में कई सरकारी आदेशों को निष्पादित किया है।
  • यदि बड़े पैमाने पर कीटाणुमुक्त अभियान शुरू किया जाता है तो इसके लिये गरुड़ एयरोस्पेस ने एक अद्वितीय ‘ड्रोन एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म’ भी बनाया है जो विभिन्न सहयोगी कंपनियों से 16,000 से अधिक ड्रोनों की आपूर्ति कर सकता है।
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