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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 31 जनवरी, 2020

  • 31 Jan 2020
  • 10 min read

भुवन पंचायत वी 3.0 वेब पोर्टल

Bhuvan Panchayat V 3.0 Web Portal

हाल ही में अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री ने ‘विकेंद्रीकृत योजना के लिये अंतरिक्ष आधारित सूचना सहायता पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ (National Workshop on Space based Information Support for Decentralised Planning- SISDP) का उद्घाटन किया।

  • इस अवसर पर उन्होंने बंगलूरू में भुवन पंचायत वी 3.0 वेब पोर्टल (Bhuvan Panchayat V 3.0 Web Portal) भी लॉन्च किया।

भुवन पंचायत संस्करण 3.0

  • इसरो (ISRO) ने सरकारी परियोजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और निगरानी के लिये भुवन पंचायत वेब पोर्टल का तीसरा संस्करण लॉन्च किया है।
  • इस पोर्टल के माध्यम से पहली बार पूरे देश के लिये 1:1000 के पैमाने पर आधारित एक विषयगत डेटाबेस उपलब्ध होगा, इस डेटाबेस को एकीकृत उच्च रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा के आधार पर तैयार किया गया है।
  • यह परियोजना कम-से-कम दो साल तक चलेगी। इस परियोजना के तहत इसरो ग्राम पंचायत सदस्यों और हितधारकों के साथ मिलकर उनकी डेटा आवश्यकताओं को समझेगा।
  • यह पोर्टल पंचायत सदस्यों एवं अन्य लोगों के लाभ के लिये डेटाबेस विज़ुलाइज़ेशन एवं सेवाएँ प्रदान करेगा।
  • यह परियोजना पंचायती राज मंत्रालय की ग्राम पंचायत विकास योजना प्रक्रिया में सहायता करने के लिये भू-स्थानिक सेवाएँ प्रदान करेगी।
  • इस पोर्टल का उपयोग मुख्य रुप से पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम पंचायतों से संबंधित विभिन्न हितधारक करेंगे।

पंचायत स्तर पर विकेंद्रीकृत योजना के लिये समर्थन

(Support for Decentralised Planning at Panchayat level- SISDP):

SIS-DP

  • इसरो ने विकासात्मक योजनाओं के कार्यान्वयन एवं निगरानी के लिये उपग्रह से प्राप्त डेटा के आधार पर बुनियादी योजनागत इनपुट के साथ ज़मीनी स्तर पर ग्राम पंचायतों की मदद के लिये SISDP परियोजना शुरू की।
  • इस परियोजना में हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Centre) प्रमुख भूमिका निभाएगा। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर इसरो के प्रमुख केंद्रों में एक है।
  • SISDP परियोजना का चरण-I वर्ष 2016-17 में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। SISDP के चरण-I के अनुभव के आधार पर 'SISDP-Update' आरंभ किया गया है।
  • इस परियोजना के तहत तैयार किये गए जियोडेटाबेस, उत्पादों और सेवाओं का भुवन जियो पोर्टल के माध्यम से प्रसार किया जा सकता है। इससे ग्राम पंचायत सदस्यों और अन्य हितधारकों के लाभ के लिये डेटाबेस विज़ुलाइज़ेशन, डेटा एनालिटिक्स आदि हेतु विकसित जियो पोर्टल का उपयोग करने में आसानी होगी।

सम्प्रीति–2020

SAMPRITI-2020

03 से 16 फरवरी, 2020 तक भारत के उमरोई (मेघालय) में भारत और बांग्लादेश के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सम्प्रीति–2020’ का संचालन किया जाएगा।

उद्देश्य: इसका उद्देश्य भारत और बांग्लादेश की सेनाओं के बीच व्यापक स्तर पर अंतर-संचालन और सहयोग को बढ़ाना है।

Ex-Sampriti

मुख्य बिंदु:

  • यह दोनों देशों के बीच नौवाँ अभ्यास होगा। गौरतलब है कि पहला अभ्यास वर्ष 2009 में किया गया था।
  • इस सैन्य अभ्यास का आयोजन क्रमशः बांग्लादेश और भारत में किया जाता है। इसका मकसद दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के मध्य सकारात्मक संबंध बनाना है।
  • यह अभ्यास दोनों देशों की आपसी साझेदारी, मज़बूत सैन्य विश्वास और रणनीतिक सहयोग को सुनिश्चित करता है।

होरस

Horus

हाल ही में मिस्र के पुरावशेष मंत्रालय ने मिन्या गवर्नोरेट (Minya Governorate) में एक पुरातात्त्विक स्थल पर प्राचीन महायाजकों (Ancient High Priests) की समाधि और आकाश देवता होरस (Horus) को समर्पित पत्थरों से निर्मित एक कब्र की खोज की।

Horus

मुख्य बिंदु:

  • इस खुदाई में 16 समाधियों सहित पत्थरों से निर्मित 20कब्रें मिली हैं, अल-घोरिफा (Al-Ghoreifa) पुरास्थल जो काहिरा के दक्षिण में 300 किलोमीटर दूर स्थित है, पर कब्रों के बारे में चित्रलिपि में उत्कीर्ण है।
  • साझा कब्रें देवता जेहुत्य (Djehuty) के महायाजकों एवं वरिष्ठ अधिकारियों को समर्पित थी जो लगभग 3000 वर्ष पहले की हैं।
    • ये वरिष्ठ अधिकारी 15वें नोम (प्राचीन मिस्र के 36 प्रांतीय डिविज़न में से एक) से संबंधित थे, यह प्रांतीय डिविज़न एक गवर्नर द्वारा शासित था।
  • पत्थरों से बनी एक कब्र (Sarcophagi) आइसिस (Isis) और ओसिरिस (Osiris) के पुत्र होरस को समर्पित है तथा इसमें पंखों को फैलाते हुए देवी नट की मूर्ति भी मिली है।
  • मिस्र के पुरावशेष मंत्रालय ने 10,000 नीली और हरी उशाब्ती (मूर्ति) एवं 700 ताबीज़ों की भी खोज की है जिनमें कुछ शुद्ध सोने से बनी हैं। इनमें कुछ मूर्तियाँ दुपट्टे की तरह का परिधान धारण किये हुए हैं और कुछ मूर्तियों में साँप छत्र को भी दर्शाया गया है।

फ्रूट ट्रेन

Fruit Train

भारत की पहली फ्रूट ट्रेन (Fruit Train) को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले में ताड़िपत्री (Tadipatri) रेलवे स्टेशन से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (मुंबई) के लिये रवाना किया गया।

मुख्य बिंदु:

  • इस ट्रेन में वातानुकूलित कंटेनर का उपयोग किया गया है फलों से लदी इस ट्रेन को आंध्र प्रदेश के ताड़िपत्री रेलवे स्टेशन से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट के लिये रवाना किया गया जहाँ से फलों की खेप को ईरान भेजा जाएगा।
  • इससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी क्योंकि अब तक 150 ट्रकों द्वारा कंटेनरों को सड़क के माध्यम से 900 किमी. से अधिक दूर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट भेजा जाता था, जहाँ इन तापमान-नियंत्रित कंटेनरों को जहाज़ों पर लादा जाता था।

जवाहरलाल नेहरू पोर्ट:

  • नवी मुंबई स्थित जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को पूर्व में न्हावा शेवा बंदरगाह के नाम से जाना जाता था।
  • यह भारत का शीर्ष कंटेनर पोर्ट है जो भारत में सभी प्रमुख पोर्ट्स का 55 प्रतिशत कंटेनर कार्गों संचालित करता है।
  • इसकी शुरुआत 26 मई, 1989 को हुई थी।
  • सरकार ने आंध्र प्रदेश से 30,000 मीट्रिक टन फलों के निर्यात का लक्ष्य तय कर रखा है और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर उत्पादकता बढ़ाने, उपज की गुणवत्ता, उपज का रखरखाव और पैकेजिंग तथा किसानों को बाज़ार से जोड़ने के लिये छह प्रमुख कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है।
  • इन कंटेनरों से केलों का निर्यात 'हैप्पी बनानास (Happy Bananas)' ब्रांड नाम से किया जा रहा है।
    • आंध्र प्रदेश में अनंतपुर के पुटलूर क्षेत्र और कडप्पा ज़िले के पुलिवेंदुला क्षेत्र के किसान कई अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में ‘ग्रीन कैवेंडिश’ केले का निर्यात कर रहे हैं।

कैवेंडिश केला (Cavendish Banana):

  • इसका वैज्ञानिक नाम मूसा एक्युमिनाटा (Musa Acuminata) है।
  • विश्व में कैवेंडिश केलों का उत्पादन सबसे अधिक होता है, घरों में पीले रंग के जो केले आते हैं वे इसी प्रजाति के हैं।
  • कुछ वर्ष पहले पनामा डिज़ीज़ नामक बीमारी ने कैवेंडिश केलों के उत्पादन को प्रभावित किया था।
    • इस बीमारी की वजह से वर्ष 1950 में बिग माइक नामक केलों की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। यह बीमारी पेड़ की जड़ों में हमला करती है।
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