लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 3 अप्रैल, 2020

  • 03 Apr 2020
  • 12 min read

मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई

Price Monitoring & Resource Unit

1 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA) ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई (Price Monitoring & Resource Unit- PMRU) की स्थापना की।

मुख्य बिंदु: 

  • केरल, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मिज़ोरम की तरह जम्मू एवं कश्मीर 12वाँ राज्य/संघ शासित प्रदेश बन गया है जहाँ मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई (PMRU) की स्थापना की गई है।    

मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई

(Price Monitoring & Resource Unit- PMRU)

  • यह दवा मूल्य की निगरानी के लिये स्थापित एक पंजीकृत सोसायटी है और संबंधित राज्यों के राज्य औषधि नियंत्रक (State Drug Controller) के प्रत्यक्ष नियंत्रण एवं पर्यवेक्षक के तहत कार्य करेगी। 
    • इस पंजीकृत सोसायटी का अध्यक्ष राज्य के स्वास्थ्य सचिव होंगे तथा सहयोगी सचिव औषध नियंत्रक (Drugs Controller) होंगे।
    • इसके अन्य सदस्यों में एक राज्य सरकार का प्रतिनिधि, निजी दवा कंपनियों के प्रतिनिधि तथा उपभोक्ता अधिकार संरक्षण मंचों के लोग शामिल किये जाएंगे।
  • इस इकाई को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा अपने आवर्ती एवं गैर-आवर्ती खर्चों के लिये वित्त पोषित किया जाएगा।

मूल्य निर्धारण एवं संसाधन इकाई के कार्य:

  • सस्ती कीमतों पर दवाओं की उपलब्धता एवं पहुँच सुनिश्चित करने में राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) और राज्य औषधि नियंत्रक की मदद करना।
  • सभी के लिये दवाओं की उपलब्धता एवं सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये शिक्षा एवं संचार (Education & Communication- IEC) गतिविधियाँ के साथ-साथ सेमिनार का आयोजन, प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं अन्य जानकारी उपलब्ध करना।
  • दवाओं के नमूने एकत्र करना, दवाओं से संबंधित डेटा एकत्र करना एवं उसका विश्लेषण करना तथा औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (Drug Price Control Order- DPCO) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने के लिये दवाओं की उपलब्धता एवं अधिक मूल्य निर्धारण के संबंध में रिपोर्ट बनाना।

सनराइज़ मिशन 

SunRISE Mission

30 मार्च, 2020 को राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration- NASA) ने सूर्य की उत्पत्ति तथा सूर्य पर होने वाले विशाल मौसमी अंतरिक्ष तूफान जिन्हें ‘सौर कण तूफान’ कहा जाता है, के बारे में अध्ययन करने के लिये सनराइज़ मिशन (SunRISE Mission) की घोषणा की

उद्देश्य:

  • सूर्य की उत्पत्ति तथा सौर कण तूफान (Solar Particle Storms) का अध्ययन करना
  • सौर प्रणाली की क्रियाविधि से संबंधित जानकारी इकट्ठा करना

मुख्य बिंदु:    

  • सनराइज़ (SunRISE) का पूर्ण रूप ‘सन रेडियो इंटरफेरोमीटर स्पेस एक्सपेरिमेंट’ (Sun Radio Interferometer Space Experiment) है 
  • सनराइज़ में छह क्यूबसैट (CubeSats) शामिल हैं जो एक बड़े रेडियो टेलीस्कोप के रूप में काम करेंगे।
  • सनराइज़ सौर प्रणाली की क्रियाविधि से संबंधित जानकारी इकट्ठा करेगा। जिससे चंद्रमा एवं मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की रक्षा करने में मदद मिल सकती है।

बजट:

  • सनराइज़ मिशन के लिये नासा ने $ 62.6 मिलियन के बजट की घोषणा की है। 

सनराइज़ की कार्यप्रणाली:

  • इस मिशन का डिज़ाइन छह सौर-संचालित क्यूबसैट पर निर्भर करता है जो सौर गतिविधि से उत्सर्जित कम आवृत्ति वाले रेडियो चित्रों का निरीक्षण करता है और उन्हें नासा के डीप स्पेस नेटवर्क (NASA’s Deep Space Network) के माध्यम से साझा करता है।
  • क्यूबसैट्स का समूह पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपर एक दूसरे से 6 मील की दूरी पर उड़ेगा जहाँ रेडियो संकेतों को अवरुद्ध करके सनराइज़ द्वारा निरीक्षण किया जायेगा।
  • जहाँ विशाल सौर कण उत्पन्न होते हैं उनके पिनपॉइंट के आधार पर छह क्यूबसैट एक साथ मिलकर 3D मैप विकसित करेंगे जिससे यह पता लगाया जा सके कि वे अंतरिक्ष में बाहर की ओर विस्तार करते हुए कैसे विकसित होते हैं।
  • इसके अतिरिक्त छह व्यक्तिगत अंतरिक्ष यान भी मैपिंग के लिये मिलकर काम करेंगे।

गौरतलब है कि नासा ने 11 महीने के अवधारणात्मक अध्ययन का संचालन करने के लिये अपने मिशन ऑफ ऑपर्च्युनिटी (Mission of Opportunity) कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में अगस्त 2017 में दो मिशन चुने थे। सनराइज़ उन दो मिशनों में से एक था। 


काउंटरसाइक्लिकल कैपिटल बफर्स 

Countercyclical Capital Buffers

  • हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) ने घोषणा की है कि COVID-19 के प्रकोप के कारण अर्थव्यवस्था में आई मंदी के दौरान बैंकों को ‘काउंटरसाइक्लिकल कैपिटल बफर्स’ (Countercyclical Capital Buffers- CCyB) को सक्रिय करने की आवश्यकता नहीं है।

काउंटरसाइक्लिकल कैपिटल बफर्स (CCyB):

  • कैपिटल बफर (Capital Buffer) एक अनिवार्य पूंजी है जिसे वित्तीय संस्थानों द्वारा अन्य न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं के अतिरिक्त बफर के रूप में रखने की ज़रूरत होती है।
  • वहीं CCyB व्यापार चक्र से संबंधित जोखिमों को दूर करने के लिये एक बैंक द्वारा रखी जाने वाली पूँजी है। 
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव से होने वाले नुकसान से बैंकिंग क्षेत्र की रक्षा करना है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 फरवरी, 2015 को काउंटरसाइक्लिकल कैपिटल बफर (CCyB) की रूपरेखा तैयार की थी जिसमें यह सलाह दी गई थी कि जब विपरीत परिस्थितियाँ सामने आयेंगी तो CCyB को सक्रिय किया जाएगा।
  • यह रूपरेखा मुख्य संकेतक के रूप में क्रेडिट-टू-जीडीपी गैप (Credit-To-GDP Gap) की परिकल्पना करती है जिसका उपयोग अन्य पूरक संकेतकों के साथ संयोजन में किया जाता है।
  • इस परिकल्पना के तहत बैंकों को अनुकूल समय में पूंजी का एक बफर बनाने को कहा जाता है जिसका उपयोग विपरीत समय में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिये किया जाता है।

बेसल III (Basel III) मानदंड:

बेसल III (Basel III) मानदंडों के अनुसार जब बैंकों द्वारा दिये गए ऋण की वापसी नहीं होती है तो बैंकों को अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिये बैंकों के पास स्वयं की अतिरिक्त पूंजी होनी चाहिए। 


अगस्त्यावनम बायोलॉजिकल पार्क

Agasthyavanam Biological Park

केरल वन विभाग, COVID-19 के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान व्यावसायिक प्रतिष्ठानों एवं विभिन्न समूहों को वनोत्पाद बेचने के लिये अगस्त्यावनम बायोलॉजिकल पार्क (Agasthyavanam Biological Park- ABP) एवं इसके आसपास के क्षेत्रों से आदिवासियों द्वारा एकत्र वनोत्पादों की खरीद कर रहा है।

Agasthyavanam BP

मुख्य बिंदु: 

  • वर्ष 1997 में स्थापित अगस्त्यावनम बायोलॉजिकल पार्क (ABP) केरल में एक वन्यजीव अभ्यारण्य है।
  • यह पार्क केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम (त्रिवेंद्रम) के पास स्थित है। यह नेय्यर वन्यजीव अभ्यारण्य (Neyyar Wildlife Sanctuary) और पेप्पारा वन्यजीव अभ्यारण्य (Peppara Wildlife Sanctuary) से जुड़ा हुआ है।
  • इस पार्क का नाम अगस्त्यामलाई अगस्त्याकूडम (Agasthyamalai Agasthyakoodam) पर्वत शिखर के नाम पर रखा गया है जो पार्क से कुछ ही दूरी पर स्थित है।

अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व

(Agasthyamala Biosphere Reserve): 

  • अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व भारत के पश्चिमी घाट के सबसे दक्षिणी छोर में स्थित है और इसमें समुद्र तल से 1,868 मीटर ऊँची चोटियाँ शामिल हैं।
  • यह 3,500 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला हुआ है और इसके अंतर्गत तमिलनाडु के तिरुनेलवेली एवं कन्याकुमारी ज़िले तथा केरल के तिरुवनंतपुरम एवं कोल्लम ज़िले आते हैं जो एक उष्णकटिबंधीय पारिस्थितिकी वन तंत्र का निर्माण करते हैं।
  • अगस्त्यावनम बायोलॉजिकल पार्क 23 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें 17.5 वर्ग किमी. के क्षेत्र में घने जंगल विकसित करने हेतु प्राकृतिक पुनुरुत्थान के लिये आरक्षित किया गया है। तथा पार्क के शेष क्षेत्र को व्यवस्थित संरक्षण कार्यक्रमों के लिये छोड़ दिया गया है।
  • अगस्त्यावनम बायोलॉजिकल पार्क स्थानिक औषधीय पौधे एवं समृद्ध जैव विविधता के लिये प्रसिद्ध है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2