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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 25 सितंबर, 2020

  • 25 Sep 2020
  • 12 min read

आरएआईएसई-2020  

RAISE-2020

5 से 9 अक्तूबर, 2020 के मध्य केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और नीति आयोग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर मेगा वर्चुअल सम्मेलन ‘आरएआईएसई-2020’ (सामाजिक सशक्तीकरण के लिये उत्तरदायी अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस- Responsible AI for Social Empowerment-2020) का आयोजन किया जाएगा।  

RAISE

प्रमुख बिंदु: 

  • इस सम्मेलन में स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा एवं स्मार्ट मोबिलिटी जैसे अन्य क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन, समावेश एवं सशक्तिकरण हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करने के लिये विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
  • RAISE 2020 शिखर सम्मेलन में, दुनिया भर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर शोध, नीति एवं नवाचार से संबंधित प्रतिनिधि एवं विशेषज्ञ शामिल होंगे।

चर्चा के प्रमुख विषय:

  • इस सम्मेलन में चर्चा के प्रमुख विषय निम्नलिखित होंगे-
    • COVID-19 से निपटने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका
    • डिजिटलाइज़ेशन के लिये नवाचार को प्रोत्साहन
    • समावेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
    • सफल नवाचार के लिये साझेदारी     

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप पिच फेस्ट (AI Startup Pitch Fest):

  • इस शिखर सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित क्षेत्रों में कार्य करने वाले कुछ प्रमुख स्टार्टअप्स भी भाग लेंगे।
  • ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समाधान प्रतियोगिता’ (AI Solution Challenge) के माध्यम से चुने गए ये स्टार्टअप्स 6 अक्तूबर, 2020 को होने वाले ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्टअप पिच फेस्ट’ में अपने कार्यों को प्रदर्शित करेंगे। 

भारत: एक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र: 

  • भारत, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है, यह आईआईटी जैसे उत्कृष्ट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, मज़बूत एवं सर्वव्यापी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रत्येक वर्ष लाखों नव-निर्मित STEM स्नातकों वाला देश है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है।
  • विश्लेषकों का अनुमान है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से वर्ष 2035 तक भारत की अर्थव्यवस्था में 957 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है।


ज्ञानपीठ पुरस्कार-2019

Jnanpith Award-2019

24 सितंबर, 2020 को मलयालम (Malyalam) साहित्य के मशहूर कवि अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी (Akkitham Achuthan Namboothiri) को केरल के कुमारानाल्लूर (Kumaranallur) ज़िले में स्थित उनके आवास पर आयोजित किये गए एक विशेष कार्यक्रम में ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award) से सम्मानित किया गया। 

Gyanpith-Award

प्रमुख बिंदु: 

  • यह ज्ञानपीठ पुरस्कार का 55वाँ संस्करण है। 
  • भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिये दिया जाने वाला यह सर्वोच्च पुरस्कार है। अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी, मलयालम साहित्य में ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले छठे लेखक हैं।
    • गौरतलब है कि COVID-19 के मद्देनज़र लॉकडाउन के कारण इस बार ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान करने में देरी हुई है।  

ज्ञानपीठ पुरस्कार (Jnanpith Award):

  • भारतीय ज्ञानपीठ (Bhartiiya Jnanpith) द्वारा संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित 22 भारतीय भाषाओं में लेखन करने वाले साहित्यकार को साहित्य के क्षेत्र में आजीवन योगदान हेतु यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
  • इस पुरस्कार के तहत 11 लाख रुपए की धनराशि, प्रशस्ति-पत्र तथा वाग्देवी की काँसे की प्रतिमा प्रदान की जाती है।
  • पहली बार ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम साहित्यकार जी. शंकर कुरुप को दिया गया था।

अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी:

  • अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी ने अपनी मलयालम कविता में कई दशक पहले ही  ‘सार्थक आधुनिकतावाद’ (Meaningful Modernism) के बारे में बताया था।
  • ये एकमात्र जीवित कवि हैं जिन्हें मलयालम का महाकवि (महान कवि) कहा जाता है।
  • अपने करियर के शुरुआती वर्षों में अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी का कम्युनिस्ट विचारक ई.एम.एस. नंबूदरीपाद (E.M.S. Namboodiripad) के साथ घनिष्ठ संबंध था।
    • भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य के रूप में ई.एम.एस. नंबूदरीपाद केरल राज्य के पहले तथा भारतीय गणतंत्र में पहले गैर- काॅन्ग्रेसी मुख्यमंत्री थे।
  • बालीदर्शनम’ (Balidarshanam) के कारण वर्ष 1972-73 में इन्हें राज्य एवं केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • ये मंगलोदयम (Mangalodayam) एवं योगक्षेमम् (Yogakshemam) पत्रिकाओं के सह-संपादक भी रह चुके हैं। 
  • वर्ष 2017 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 


लोक अदालत 

Lok Adalat 

ओडिशा के कंधमाल ज़िले में एक आदमी ने 20 से अधिक प्रयासों के बाद भी अपना आधार कार्ड प्राप्त करने में विफल रहने के बाद लोक अदालत (Lok Adalat) में शिकायत दर्ज कराई, इस मामले में अभी सुनवाई शुरू होना बाकी है।

Lok-Adalat

लोक अदालत (Lok Adalat):

  • लोक अदालतें ऐसे मंच या फोरम होते हैं जहाँ मामलों का सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटारा किया जाता है। 
  • यह सामान्य न्यायालयों से अलग होता है, क्योंकि यहाँ विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है। 
  • लोक अदालतों का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा अन्य हितधारकों के साथ मिल कर किया जाता है। 
  • लोक अदालतों में सभी दीवानी मामले, वैवाहिक विवाद, नागरिक मामले, भूमि विवाद, मज़दूर विवाद, संपत्ति बँटवारे संबंधी विवाद, बीमा और बिजली संबंधी विवादों का निपटारा किया जाता है। 
  • विधि के तहत ऐसे अपराध जिनमें राजीनामा नहीं हो सकता तथा ऐसे मामले जहाँ संपत्ति का मूल्य एक करोड़ रुपए से अधिक है, का निपटारा लोक अदालतों में नहीं हो सकता है। 
  • लोक अदालत की स्थापना का सर्वप्रथम विचार भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी. एन. भगवती द्वारा दिया गया था। 
    • सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन वर्ष 1982 में गुजरात में किया गया था। वर्ष 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया।


नैनोजेट 

Nanojet

21 सितंबर, 2020 को ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ (Nature Astronomy) में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, पहली बार शोधकर्त्ताओं ने नैनोजेट्स (Nanojets) की स्पष्ट छवियों को दर्ज किया है। 

Nanojet

प्रमुख बिंदु: 

  • नैनोजेट्स (Nanojet), तीक्ष्ण चमकीली रोशनी की तरह होते हैं जो सौर वायुमंडल में चुंबकीय संरचनाओं के लंबवत यात्रा करते हैं जिसे कोरोना (Corona) कहा जाता है।
    • एक सिद्धांत के अनुसार, कोरोना में ताप, सूक्ष्म स्तर पर होने वाले विस्फोट जिन्हें नैनोफ्लेयर्स कहा जाता है, के कारण पैदा होता है, लेकिन यह विस्फोट इतने सूक्ष्म स्तर पर होता है कि इसे किसी भी माध्यम से देखना अत्यंत मुश्किल होता है।

नैनोफ्लेयर्स (Nanoflares):

  • ये सूर्य पर होने वाले छोटे विस्फोट हैं किंतु इनको स्पॉट करना मुश्किल है।
  • ये बहुत तीक्ष्ण एवं छोटे होते हैं जिसका अर्थ है कि इनको सूर्य की चमकदार सतह के बाहर स्पॉट करना बहुत मुश्किल है।
  • सूर्य का वातावरण सतह की तुलना में बहुत अधिक गर्म क्यों है तथा इस ताप के बारे में अन्य जानकारी जुटाने के लिये शोधकर्त्ताओं ने नासा (NASA) के ‘इंटरफेस रीजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ’ (Interface Region Imaging Spectrograph- IRIS) मिशन का उपयोग किया।
  • 3 अप्रैल, 2014 को सूर्य की सतह पर घटित एक घटना जिसे ‘कोरोनल रेन इवेंट’ (Coronal Rain Event) के रूप में जाना जाता है, के कारण जब कोरोना से सूर्य की सतह पर ठंडे प्लाज़्मा की धाराएँ एक विशाल जलप्रपात की तरह दिखाई देती हैं तब शोधकर्त्ताओं ने इस घटना के अंत में दिखाई देने वाले चमकीले नैनोजेट्स की छवि को दर्ज किया।
  • नैनोजेट्स को ‘स्मोकिंग गन’ (Smoking Gun) भी कहा जाता है जो नैनोफ्लेयर्स की उपस्थिति का प्रमुख प्रमाण हैं।
  • माना जाता है कि प्रत्येक नैनोजेट की शुरुआत एक प्रक्रिया द्वारा होती है जिसे चुंबकीय पुनर्संयोजन (Magnetic Reconnection) के रूप में जाना जाता है जहाँ ट्विस्टेड मैग्नेटिक फील्ड (Twisted Magnetic Fields) विस्फोटक रूप से पुन: संगठित होती है।
  • सूर्य के कोरोना में नैनोज़ेट्स का निर्माण करते हुए एक पुनर्संयोजन, दूसरे पुनर्संयोजन को स्थापित करता है, इसी प्रकार यह प्रक्रिया आगे भी तब तक चलती रहती है जब तक कोरोना को गर्म करने वाली ऊर्जा विकसित न हो जाए। 
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