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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 13 जुलाई, 2021

  • 13 Jul 2021
  • 4 min read

राजस्थान में टाइगर कॉरिडोर

Tiger Corridor in Rajasthan

राजस्थान सरकार नव प्रस्तावित 'रामगढ़ टाइगर रिज़र्व', रणथंभौर टाइगर रिज़र्व और मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाला एक टाइगर कॉरिडोर का विकास करेगी।

Rajasthan

प्रमुख बिंदु:

वन्यजीव गलियारे के संदर्भ में:

  • वन्यजीव या पशु गलियारे दो अलग-अलग आवासों के बीच जानवरों के लिये सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने हेतु स्थापित किए जाते हैं।
  • वन्यजीवों संबंधी गलियारे मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: कार्यात्मक और संरचनात्मक। 
    • कार्यात्मक गलियारों को वन्यजीवों के दृष्टिकोण से कार्यक्षमता के संदर्भ में परिभाषित किया गया है (मूल रूप से ऐसे क्षेत्र जहाँ वन्यजीवों की आवाजाही दर्ज की गई है)।
    • संरचनात्मक गलियारे वनाच्छादित क्षेत्रों के निकटवर्ती पट्टियाँ हैं और संरचनात्मक रूप से परिदृश्य के खंडित ब्लॉकों को जोड़ते हैं।
  • जब संरचनात्मक गलियारे मानव या मानवजनित गतिविधियों से प्रभावित होते हैं, तो वन्यजीवों के उपयोग के कारण कार्यात्मक गलियारे अपने आप चौड़े हो जाते हैं।
  • वर्ष 2019 में भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने एक दस्तावेज़ प्रकाशित किया, जिसमें देश भर में 32 प्रमुख गलियारों का मानचित्रण किया गया, जिसका प्रबंधन एक बाघ संरक्षण योजना के माध्यम से संचालित है।
    • राज्यों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के तहत बाघ संरक्षण योजना प्रस्तुत करना आवश्यक है।

राजस्थान में अन्य संरक्षित क्षेत्र:

बाघ/टाइगर की संरक्षण स्थिति

प्रोजेक्ट टाइगर

  • प्रोजेक्ट टाइगर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे वर्ष 1973 में भारत में नामित बाघ अभयारण्यों में बाघ संरक्षण हेतु राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिये शुरू किया गया था।
  • यह परियोजना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा प्रशासित है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA):

  • यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी।
  • इसे सौंपी गई शक्तियों और कार्यों के अनुसार, बाघ संरक्षण को मज़बूती प्रदान करने के लिये वर्ष 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत इसका गठन किया गया था।
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