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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 12 मई, 2021

  • 12 May 2021
  • 4 min read

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

Pradhan Mantri Garib Kalyan Ann Yojana

हाल ही में 13 राज्यों ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत खाद्यान्न वितरण शुरू किया है।

  • इस योजना को दो माह (मई और जून 2021) के लिये पुनः शुरू किया गया है, क्योंकि महामारी के कारण देश की स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना काफी प्रभावित हुई है और कई राज्यों ने महामारी के प्रसार को रोकने के लिये पूर्ण लॉकडाउन या रात्रि कर्फ्यू जैसे कदम उठाए हैं।

प्रमुख बिंदु

परिचय

  • ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी।
    • इसका नोडल मंत्रालय वित्त मंत्रालय है।
  • प्रारंभ में इस योजना की शुरुआत तीन माह (अप्रैल, मई और जून 2020) की अवधि के लिये की गई थी, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे। बाद में इसे नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।
    • हालाँकि अप्रैल 2021 में, सरकार ने ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को फिर से शुरू कर दिया था।
  • इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से ही प्रदान किये गए 5 किलोग्राम अनुदानित खाद्यान्न के अलावा, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूँ या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 
  • PMGKAY के इस नए संस्करण में इसके महत्त्वपूर्ण घटकों में से एक का अभाव है जो कि वर्ष 2020 के PMGKAY में उपस्थित था: NFSA के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक घर के लिये प्रतिमाह 1 किलोग्राम मुफ्त दाल।

व्यय:

  • भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को खाद्य सब्सिडी और केंद्रीय सहायता के लिये 26,000 करोड़ रुपए से अधिक का सारा खर्च वहन करेगी।

अब तक आवंटन:

  • PMGKAY के तहत 39.69 लाख मीट्रिक टन (MT) के कुल मासिक आवंटन में से 15.55 लाख MT को राज्यों को पहले ही दिया जा चुका है।
  • मई 2021 तक 2.03 करोड़ लाभार्थियों को 1.01 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किया गया है।

चुनौती:

  • एक प्रमुख मुद्दा यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी अंतिम जनगणना (2011) पर आधारित हैं, हालाँकि तब से खाद्य-असुरक्षित लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो अब इस योजना के तहत शामिल नहीं हैं।
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