लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 04 सितंबर, 2021

  • 04 Sep 2021
  • 6 min read

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की बैठक 

Financial Stability and Development Council (FSDC) Meeting

हाल ही में वित्त मंत्री ने वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की।

  • परिषद ने तनावग्रस्त संपत्तियों के प्रबंधन, वित्तीय स्थिरता विश्लेषण के लिये संस्थागत तंत्र को मज़बूती प्रदान करने, IBC (दिवाला और दिवालियापन संहिता) से संबंधित मुद्दों, सरकारी अधिकारियों के डेटा साझाकरण तंत्र, भारतीय रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण और पेंशन क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

प्रमुख बिंदु

  • FSDC की स्थापना:
    • यह वित्त मंत्रालय के तहत एक गैर-सांविधिक शीर्ष परिषद है तथा इसकी स्थापना वर्ष 2010 में एक कार्यकारी आदेश द्वारा की गई थी।
    • FSDC की स्थापना का प्रस्ताव सबसे पहले वित्तीय क्षेत्र के सुधारों पर गठित रघुराम राजन समिति (2008) द्वारा किया गया था।.
  • संरचना:
    • इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री द्वारा की जाती है तथा इसके सदस्यों में वित्तीय क्षेत्र के सभी नियामकों (RBI, SEBI, PFRDA और IRDA) के प्रमुख, वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के सचिव, वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार शामिल हैं।
      • वर्ष 2018 में, सरकार ने आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के ज़िम्मेदार राज्य मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (IBBI) के अध्यक्ष तथा राजस्व सचिव को शामिल करने के उद्देश्य से FSDC का पुनर्गठन किया।
    • FSDC उप-समिति की अध्यक्षता RBI के गवर्नर द्वारा की जाती है।
    • आवश्यकता पड़ने पर यह परिषद विशेषज्ञों को भी अपनी बैठक में आमंत्रित कर सकती है।
  • कार्य:
    • वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, अंतर-नियामक समन्वय को बढ़ाने और वित्तीय क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रक्रिया को मज़बूत और संस्थागत बनाना।
    • अर्थव्यवस्था के वृहद-विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण की निगरानी करना। यह बड़े वित्तीय समूहों के कामकाज का आकलन करता है।

अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष

International Fund for Agricultural Development

हाल ही में कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) ने वर्ष 2030 तक अपने जलवायु वित्त का 30% ग्रामीण लघु-स्तरीय कृषि में प्रकृति-आधारित समाधानों के समर्थन पर केंद्रित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

  • इसने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के वर्ल्ड कंज़र्वेशन कॉन्ग्रेस (WCC) से पूर्व, यह जैव विविधता की रक्षा के लिये अधिक निवेश का आह्वान किया है।
  • IUCN द्वारा प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर वर्ल्ड कंज़र्वेशन कॉन्ग्रेस का आयोजन किया जाता है। कॉन्ग्रेस के माध्यम से IUCN के विभिन्न सदस्य एक साथ आते हैं, सिफारिशों पर मतदान करते हैं और वैश्विक संरक्षण प्रयासों के लिये एजेंडा निर्धारित करते हैं

प्रमुख बिंदु

  • IFAD के विषय में:
    • यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान और संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है जो विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काम कर रही है तथा संबद्ध परियोजनाओं के लिये कम ब्याज के साथ अनुदान और ऋण प्रदान करने का कार्य करती है।
    • यह हाशिए पर जीवन व्यतीत कर रहे लोगों और कमज़ोर समूहों (जैसे कि छोटी जोत वाले किसान, वनवासी, पशुचारक, मछुआरे तथा छोटे पैमाने के उद्यमी) को आपदा की तैयारी, मौसम की जानकारी तक पहुँच, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं सामाजिक शिक्षा आदि प्रदान करने का कार्य करता है।
  • गठन:
    • वर्ष 1974 के वर्ल्ड फूड कॉन्फ्रेंस के परिणामस्वरूप वर्ष 1977 में इसका गठन किया गया था।
  • मुख्यालय:
    • रोम, इटली
  • सदस्य:
    • इसके 177 सदस्य देश हैं।
      • भारत भी इसका सदस्य देश है।
  • उद्देश्य:
    • गरीब लोगों की उत्पादक क्षमता में वृद्धि करना।
    • बाज़ार की भागीदारी के माध्यम से उनके लाभ में वृद्धि करना।
    • उनकी आर्थिक गतिविधियों की पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु अनुकूलता को मज़बूती प्रदान करना।
  • रिपोर्ट:
    • यह संगठन प्रतिवर्ष रूरल डेवलपमेंट रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2