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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

नासा की नई संचार प्रणाली: LCRD

  • 13 Dec 2021
  • 4 min read

हाल ही में नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने अपना नया ‘लेज़र कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन’ (LCRD) लॉन्च किया है।

प्रमुख बिंदु

  • लेज़र कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन

    • यह नासा की एकमात्र लेज़र संचार प्रणाली है, जो भविष्य के ऑप्टिकल संचार मिशनों का मार्ग प्रशस्त करेगी।
    • वर्तमान में, नासा के अधिकांश अंतरिक्ष यान डेटा भेजने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार का उपयोग करते हैं।
    • ‘लेज़र कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन’ के पेलोड को अमेरिकी रक्षा विभाग के अंतरिक्ष परीक्षण कार्यक्रम सैटेलाइट-6 (STPSat-6) के माध्यम से लॉन्च किया गया है। यह भू-समकालिक कक्षा में होगा, जो पृथ्वी से लगभग 36,000 किलोमीटर ऊपर स्थित है।
    • इसे ‘कैलिफोर्निया’ और ‘हवाई’ में LCRD मिशन के ग्राउंड स्टेशनों के इंजीनियरों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
    • यह टीम रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल के माध्यम से टेस्ट डेटा भेजेगी और LCRD ऑप्टिकल सिग्नल का इस्तेमाल करके जवाब देगा।
  • विशेषताएँ

    • इसके दो ऑप्टिकल टर्मिनल हैं। एक उपयोगकर्त्ता अंतरिक्ष यान से डेटा प्राप्त करने के लिये और दूसरा ग्राउंड स्टेशनों पर डेटा संचारित करने के लिये।
    • मॉडेम डिजिटल डेटा को लेज़र सिग्नल में ट्रांसलेट करेगा। इसके बाद इसे प्रकाश के एन्कोडेड बीम के माध्यम से प्रेषित किया जाएगा।
    • ये क्षमताएँ LCRD को नासा का पहला टू-वे, एंड-टू-एंड ऑप्टिकल रिले बनाती हैं।
  • महत्त्व

    • लेज़र अवरक्त प्रकाश का उपयोग करता है और रेडियो तरंगों की तुलना में कम तरंग दैर्ध्य होता है। इससे कम समय में ज्यादा डाटा ट्रांसफर करने में मदद मिलेगी।
      • इन्फ्रारेड लेज़र का उपयोग करते हुए, LCRD 1.2 गीगाबिट-प्रति-सेकंड (Gbps) की स्पीड से पृथ्वी पर डेटा भेजेगा। इस स्पीड से मूवी डाउनलोड होने में एक मिनट से भी कम समय लगेगा।
      • वर्तमान रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम के साथ मंगल ग्रह के एक पूर्ण मानचित्र को पृथ्वी पर वापस भेजने में लगभग नौ सप्ताह लगते हैं। लेज़रों के साथ, हम इसे लगभग नौ दिनों तक ओर बढ़ा सकते हैं।
    • ऑप्टिकल संचार रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम की तुलना में बैंडविड्थ को 10 से 100 गुना अधिक बढ़ाने में मदद करेगा।
    • ऑप्टिकल संचार बैंडविड्थ को रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम से 10 से 100 गुना अधिक बढ़ाने में मदद करेगा।
    • छोटे आकार का अर्थ है विज्ञान के उपकरणों के लिये अधिक जगह का उपलब्ध होना।
    • प्रेक्षपण यान का वज़न कम होने से लॉन्च कम खर्चीला होता है।
    • अंतरिक्ष यान में कम ऊर्जा आवश्यकता से इसकी बैटरियों में कम ऊर्जा संग्रहण करना होता है।
    • इस मिशन में रेडियो, ऑप्टिकल कम्युनिकेशन सप्लेमेंटिंग (Optical Communications Supplementing) जैसी अद्वितीय संचार क्षमताएंँ होंगी।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस

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