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29 May 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस-1: राजस्थान की हवेली वास्तुकला की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। (50 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- राजस्थान में हवेली वास्तुकला के संक्षिप्त ऐतिहासिक संदर्भ के साथ परिचय दीजिये।
- डिज़ाइन, प्रमुख केंद्र, प्रसिद्ध उदाहरण, क्षेत्रीय विविधता और मंदिर प्रभाव पर उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
राजस्थान की हवेली वास्तुकला का विकास 18वीं-19वीं शताब्दी में सामंती शासकों और धनाढ्य व्यापारियों के बीच हुआ। यह शैली राजस्थान की सांस्कृतिक और कलात्मक प्रगति को दर्शाती है।
मुख्य भाग:
- डिज़ाइन और लेआउट: हवेलियाँ अपने जटिल नक्काशीदार पत्थर के अग्रभाग, झरोखों (बालकनी) और अलंकृत प्रवेश द्वारों के लिये जानी जाती हैं।
- आंतरिक भाग को प्रायः जीवंत भित्ति चित्रों से सजाया जाता है, जो एक आश्चर्यजनक सौंदर्यबोध उत्पन्न करते हैं।
- प्रमुख केंद्र: जयपुर को हवेली वास्तुकला का उद्गम स्थल माना जाता है और इसका प्रभाव शेखावाटी के नवलगढ़, फतेहपुर और मंडावा जैसे शहरों तक फैला हुआ है।
- ये क्षेत्र अपनी रंगीन और जीवंत भित्ति चित्रों के लिये प्रसिद्ध हैं, जो स्थानीय संस्कृति तथा जीवन शैली को दर्शाते हैं।
- प्रसिद्ध हवेलियाँ: जैसलमेर की सलीम सिंह की हवेली और पटवों की हवेली अपने पीले बलुआ पत्थर की नक्काशी तथा जटिल पत्थर की जालियों के लिये प्रसिद्ध हैं।
- बीकानेर की हवेलियाँ, जैसे बच्छावत एवं रामपुरिया की हवेलियाँ, मुगल, किशनगढ़ और यूरोपीय शैलियों का मिश्रण प्रस्तुत करती हैं, जिनमें निर्माण हेतु लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।
- विशिष्ट क्षेत्रीय विशेषताएँ: शेखावाटी की हवेलियाँ अपने समृद्ध भित्ति चित्रों के लिये प्रसिद्ध हैं, जैसा कि रूप निवास महल और पोद्दार हवेली में देखा जा सकता है।
- जोधपुर की राखी की हवेली और बड़े मियाँ की हवेली उत्कृष्ट शिल्पकला का उदाहरण हैं, जो वास्तुकला की भव्यता को बारीक विवरणों के साथ संयोजित करती हैं।
- मंदिर प्रभाव: बाद के वैष्णव मंदिरों में हवेली वास्तुकला के तत्त्वों को सम्मिलित किया गया, जिससे आवासीय एवं धार्मिक शैलियों का सुंदर और सहज संयोजन हुआ, जो सांस्कृतिक तथा वास्तुकला परंपराओं के समन्वय को उजागर करता है।
निष्कर्ष:
राजस्थान की हवेली वास्तुकला कलात्मक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परंपराओं का संगम है, जो जटिल डिज़ाइनों के माध्यम से अभिव्यक्त होती है तथा भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृतियों के रूप में प्रतिष्ठित है।