ध्यान दें:

RAS Mains 2024

  • 31 May 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस- 3: राजस्थान में प्रजा मंडलों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने तथा लोगों का समर्थन प्राप्त करने में किस प्रकार भूमिका निभाई? (100 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • राजस्थान में प्रजा मंडलों के संदर्भ और उनके उद्भव का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • जागरूकता बढ़ाने, समर्थन जुटाने, नागरिक अधिकारों की वकालत करने तथा कॉन्ग्रेस के साथ जुड़ने जैसे इसके योगदानों पर चर्चा कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय: 

    राजस्थान में प्रजा मंडल प्रमुख राजनीतिक संगठन थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। इनका उदय 20वीं सदी की शुरुआत में रियासतों में हुआ, जहाँ लोगों को सामंती राजाओं के दमनकारी शासन का सामना करना पड़ा था। प्रजा मंडलों ने स्वतंत्रता के लिये संघर्ष में  जागरूकता बढ़ाने, समर्थन जुटाने तथा जनता को एकजुट करने में प्रमुख भूमिका निभाई।

    मुख्य भाग:

    • राजनीतिक चेतना जागृत करना: प्रजा मंडलों ने लोगों में (विशेषकर रियासतों में) उनके अधिकारों के बारे में राजनीतिक चेतना जागृत की।
      • उन्होंने जनता को रियासती शासन की शोषणकारी प्रकृति और राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता से अवगत कराया।
    • जन समर्थन जुटाना: प्रजा मंडलों ने राष्ट्रीय आंदोलन में आम लोगों को शामिल करने के क्रम में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, बैठकें और अभियान में भाग लिया।
      • इससे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम के लिये समर्थन जुटाने में मदद मिली।
    • नागरिक स्वतंत्रता की मांग: उन्होंने नागरिक अधिकारों एवं उत्तरदायी शासन के साथ राज्यों में लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत की।
      • पंडित हरिनारायण शर्मा जैसे नेताओं ने अस्पृश्यता निवारण संघ जैसे संगठनों के माध्यम से जाति प्रथा के खिलाफ कार्य किया।
    • कॉन्ग्रेस के साथ सहयोग: प्रजा मंडलों ने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस और गांधीजी की पद्धतियों के साथ सहयोग किया।
      • उदाहरण के लिये, भरतपुर प्रजा मंडल ने कॉन्ग्रेस की अहिंसक प्रतिरोध की विचारधारा से जुड़ते हुए राज्य सरकार के खिलाफ सत्याग्रह शुरू किया।
    • ब्रिटिश और सामंती शासन का विरोध: प्रजा मंडलों ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद और रियासतों के निरंकुश शासन का विरोध किया।
      • उनमें से अधिकांश भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए, जिससे राष्ट्रीय स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश पड़ा।

    निष्कर्ष: 

    प्रजा मंडलों ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम बल्कि राष्ट्रीय जागरूकता, नागरिक अधिकार और जन समर्थन को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने रियासतों के भारतीय संघ में विलय करने में भी भूमिका निभाई।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2