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04 Jun 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 1
डाटा इंटरप्रिटेशन
दिवस-6: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50 शब्दों में दीजिये।
1. लेखांकन में लिपिकीय त्रुटियों के विभिन्न प्रकार क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
2. नेतृत्व की तीन मूलभूत शैलियाँ क्या हैं? प्रत्येक को संक्षेप में समझाइये।
3. विनियामक लेखा परीक्षा क्या है? इसका उद्देश्य एवं महत्त्व बताइये।उत्तर
1.लेखांकन में लिपिकीय त्रुटियों के विभिन्न प्रकार क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- लिपिकीय त्रुटियों और उनके प्रभाव को परिभाषित करते हुए संक्षिप्त परिचय से उत्तर लेखन आरंभ कीजिये।
- त्रुटियों के प्रकारों को उदाहरणों सहित वर्गीकृत एवं स्पष्ट कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
लेखांकन में लिपिकीय त्रुटियाँ वित्तीय लेन-देन की रिकॉर्डिंग या पोस्टिंग के दौरान की गई गलतियों को संदर्भित करती हैं। ये त्रुटियाँ लेखांकन सिद्धांतों की गलतफहमी से उत्पन्न नहीं होती हैं, बल्कि डेटा प्रोसेसिंग में मानवीय गलतियों से उत्पन्न होती हैं। हालाँकि यह प्रायः होता है, यदि लिपिकीय त्रुटियों की समय रहते पहचान न की जाए तो वे वित्तीय विवरणों की प्रस्तुति को विकृत कर सकती हैं। हालाँकि, कई लिपिकीय त्रुटियाँ परीक्षण संतुलन को प्रभावित नहीं करती हैं।
मुख्य भाग:
- कर्त्तृक त्रुटियाँ:
- ये त्रुटियाँ तब होती हैं जब लेन-देन का अभिलेखन ग़लत रूप से किया जाता है, जैसे कि गलत खाता लिख देना या गणना में चूक हो जाना।
- उदाहरण: खाता-बही में किसी आपूर्तिकर्त्ता को भुगतान की गई राशि ₹2000 को ₹200 के रूप में लिख देना।
- ये त्रुटियाँ तब होती हैं जब लेन-देन का अभिलेखन ग़लत रूप से किया जाता है, जैसे कि गलत खाता लिख देना या गणना में चूक हो जाना।
- उपेक्षा की त्रुटियाँ:
- जब कोई लेन-देन पूर्णतः या आंशिक रूप से खाता-बही में दर्ज ही नहीं किया जाता, तब यह त्रुटि उत्पन्न होती है।
- उदाहरण: बिक्री को विक्रय पुस्तक में लिखना ही भूल जाना। यदि पूरी प्रविष्टि छूट जाये तो इससे त्रुटिपत्र (Trial Balance) प्रभावित नहीं होता, परंतु यदि आंशिक रूप से छूट जाये तो यह तुलन पत्र को प्रभावित करता है।
- जब कोई लेन-देन पूर्णतः या आंशिक रूप से खाता-बही में दर्ज ही नहीं किया जाता, तब यह त्रुटि उत्पन्न होती है।
- प्रतिसंयोजन दोष:
- जब दो या अधिक त्रुटियाँ एक-दूसरे की पूर्ति कर देती हैं और त्रुटिपत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, तब इसे प्रतिसंयोजन दोष कहते हैं।
- उदाहरण: A के खाते को डेबिट करने के स्थान पर क्रेडिट कर देना और B के खाते को क्रेडिट करने के स्थान पर डेबिट कर देना।
- जब दो या अधिक त्रुटियाँ एक-दूसरे की पूर्ति कर देती हैं और त्रुटिपत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, तब इसे प्रतिसंयोजन दोष कहते हैं।
निष्कर्ष:
यदि लिपिकीय त्रुटियों पर ध्यान न दिया जाए तो वे सटीक वित्तीय रिपोर्टिंग को बाधित कर सकती हैं। नियमित ऑडिट, स्वचालित लेखा प्रणाली और उचित स्टाफ प्रशिक्षण इन त्रुटियों को कम करने में मदद करते हैं। गलतियों को रोकने के लिये व्यवस्थित रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक है।
2. नेतृत्व की तीन मूलभूत शैलियाँ क्या हैं? प्रत्येक को संक्षेप में समझाइये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- नेतृत्व शैली को परिभाषित करते हुए संक्षिप्त परिचय से उत्तर लेखन आरंभ कीजिये।
- प्रत्येक नेतृत्व शैली का प्रमुख विशेषताओं और उपयुक्त संदर्भों के साथ वर्णन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
नेतृत्व शैली उस विशिष्ट व्यवहार को दर्शाती है जिसका उपयोग नेता अधीनस्थों का मार्गदर्शन और प्रबंधन करने के लिये करता है। यह टीम के प्रदर्शन, प्रेरणा और निर्णय लेने को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। शोध संगठनों में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली तीन प्राथमिक नेतृत्व शैलियों का अभिनिर्धारण करता है। इन्हें समझने से नेताओं को विभिन्न स्थितियों में प्रभावी ढंग से अनुकूलन करने में मदद मिलती है।
मुख्य भाग:
- निरंकुश (प्राधिकारी) शैली:
- नेता सभी निर्णयों पर पूर्ण नियंत्रण रखता है और अधीनस्थों को निकटता से निर्देशित करता है।
- अधीनस्थों की भागीदारी अत्यल्प होने के कारण मनोबल में कमी आ सकती है।
- यह शैली त्वरित निर्णयों तथा अनुभवहीन टीमों के लिये प्रभावी मानी जाती है।
- लोकतांत्रिक (सहभागी) शैली:
- नेता परामर्श के माध्यम से निर्णय-निर्माण में टीम की भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
- यह शैली प्रेरणा, विश्वास और दलगत एकता को सुदृढ़ करती है।
- यह सक्षम टीमों तथा सहयोगात्मक वातावरण के लिये उपयुक्त है।
- लाइसज़-फेयर (स्वच्छंद) शैली:
- नेता हस्तक्षेप न करते हुए अधीनस्थों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करता है।
- यह सृजनात्मकता को बढ़ावा देती है, किंतु यदि नियंत्रित न की जाये तो समन्वयहीनता उत्पन्न हो सकती है।
- यह शैली उन कुशल टीमों के लिये उपयुक्त है जो स्पष्ट लक्ष्यों तथा आत्म-निर्देशन से युक्त हों।
निष्कर्ष:
प्रत्येक नेतृत्व शैली की अपनी विशिष्ट शक्तियाँ और सीमाएँ होती हैं। प्रभावी नेता टीम की दक्षता और संगठनात्मक आवश्यकताओं के आधार पर उपयुक्त शैली का चयन करते हैं। नेतृत्व में लचीलापन समग्र प्रदर्शन को सशक्त करता है।
3.विनियामक लेखा परीक्षा क्या है? इसका उद्देश्य एवं महत्त्व बताइये।
हल करने का दृष्टिकोण:
- विनियामक लेखापरीक्षा और शासन में इसकी भूमिका को परिभाषित करने वाले संक्षिप्त परिचय से उत्तर लेखन आरंभ कीजिये।
- इसके प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट बिंदुओं में रेखांकित कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
विनियामक ऑडिट/अंकेक्षण किसी संगठन के कार्यकलापों, प्रक्रियाओं और गतिविधियों की स्वतंत्र जाँच होती है, जिसका उद्देश्य लागू विधियों, नियमों तथा मानकों के पालन को सुनिश्चित करना होता है। सामान्यतः यह अंकेक्षण नियामक संस्थाओं या बाह्य लेखा-परीक्षकों द्वारा किया जाता है।
मुख्य भाग:
- उद्देश्य:
- कानूनी एवं विनियामक आवश्यकताओं का पालन सुनिश्चित करना।
- आंतरिक नियंत्रणों तथा प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।
- कार्यप्रणाली में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी, त्रुटि या अक्षमता को रोकना।
- महत्त्व:
- यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय लेन-देन तथा गतिविधियाँ संबंधित विधियों और नियमों के अनुरूप हों।
- यह अभिनिर्धारण है कि व्यय औचित्यपूर्ण हैं या नहीं, जिससे अनावश्यक या अत्यधिक व्यय से बचाव हो सके।
- यह सत्यापित करता है कि वित्तीय विवरण संस्था की वित्तीय स्थिति को निष्पक्ष एवं यथार्थ रूप में दर्शाते हैं।
- यह सतत् सुधार तथा सुशासन की प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित करता है।
निष्कर्ष:
नियामकीय अंकेक्षण विधिसम्मतता और वित्तीय उत्तरदायित्व की रक्षा करते हैं। ये निधियों के दुरुपयोग को रोकते हैं तथा संस्था की निष्ठा को सशक्त बनाते हैं। समग्र रूप में, ये लोक विश्वास और शासकीय मानकों को मज़बूती प्रदान करते हैं।