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पेपर 4

नीतिशास्त्र

जॉन रॉल्स

  • 02 Sep 2020
  • 4 min read

सामान्य परिचय

  • जॉन रॉल्स का जन्म 21 फरवरी, 1921 को अमेरिका के मेरीलैंड में हुआ था।
  • रॉल्स एक प्रसिद्ध उदारवादी, राजनीतिक दार्शनिक थे।
  • जॉन रॉल्स को वर्ष 1999 में तर्क एवं दर्शन तथा राष्ट्रीय मानविकी दोनों के लिये राल्फ शॉक पुरस्कार मिला।

जॉन रॉल्स के कार्य

  • रॉल्स ने अपनी पुस्तक ‘ थ्योरी ऑफ जस्टिस’ में न्याय के विषय पर उदारवादी सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे ‘निष्पक्षता के रूप में न्याय का नाम दिया।
  • रॉल्स का उपर्युक्त कार्य न्याय के विषय पर विश्व के लिये एक अविस्मरणीय योगदान है।
  • रॉल्स के इस सिद्धांत ने राजनीतिेक सिद्धांत एवं दर्शन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बदलाव किये।
  • रॉल्स के उपर्युक्त सिद्धांत ने स्वतंत्रता, समानता, न्याय व अधिकार के मुद्दे पर समाज में नवीन बहस को जन्म दिया।
  • इसके अलावा इस सिद्धांत ने राजनीतिक सिद्धांत के क्षेत्र में आए पतन को उत्थान में परिवर्तित करने का कार्य किया।
  • विभिन्न विषयों पर रॉल्स के न्याय के विषय से संबंधित विचार प्रकाशित होने लगे । जैसे 1958 में ‘जस्टिस एज फेयरनेस एवं 1963 में ‘कान्स्टीट्यूशनल लिबर्टी’ आदि।
  • रॉल्स के विचारों की आलोचना भी हुई जिनका वे प्रत्युत्तर देते रहे।
  • 1971 से 2002 के बीच रॉल्स की विभिन्न पुस्तकें एवं लेख प्रकाशित हुए।

जॉन रॉल्स के विचारों की प्रासंगिकता

  • रॉल्स जीवन भर न्याय के सिद्धांत की स्थापना में लगे रहे तथा उन्होंने सामाजिक विषमता से मुक्त एवं समानता आधारित समाज की संकल्पना प्रस्तुत की।
  • गौरतलब है कि भारतीय समाज के लिये समानता का विचार अत्यधिक प्रासंगिक है क्योंकि भारतीय समाज में विविधता होने के साथ-साथ विषमताएँ भी व्याप्त हैं।
  • रॉल्स के अनुसार न्याय सामाजिक संस्थाओं का उसी प्रकार प्रथम सद्गुण है, जिस प्रकार सत्य सभी न्याय व्यवस्थाओं का गुण है।
  • उनका कहना है कि कोई भी सिद्धांत चाहे कितना भी आकर्षक एवं लाभकारी क्यों न हो वह असत्य होने पर निश्चित ही खारिज एक संशोधित कर दिया जाएगा।
  • उदाहरणस्वरूप कानून और संस्थाएँ बेशक कितनी भी कुशल तथा व्यवस्थित क्यों न हो यदि वे अस्थायी होंगे तो उन्हें संशोधित अथवा समाप्त कर दिया जाएगा।
  • रॉल्स कहते हैं कि बेशक समाज में न्याय के अलावा भी और गुण हो सकते हैं जिनकी समाज में प्रधानता हो, परंतु न्याय इन सब में सर्वोपरि होता है।
  • रॉल्स के अनुसार न्याय को सामाजिक संस्थाओं का मुख्य आधार होना चाहिये।
  • रॉल्स ने मानवता को सर्वोपरि माना है। उनके अनुसार ‘निरंतर न्याय की भावना ही मानवता है।’ वे न्याय को मानव कल्याण के लिये महत्त्वपूर्ण मानते हैं।
  • उन्होंने न्याय एवं मानवता के लिये स्वतंत्रता को महत्त्वपूर्ण माना है।
  • रॉल्स के अनुसार ‘एक व्यक्ति को दूसरों के लिये समान स्वतंत्रता के साथ- साथ व्यापक बुनियादी स्वतंत्रता का समान अधिकार होना चाहिये।’
  • रॉल्स से लोकतांत्रिक मूल्य, स्वतंत्रता, समानता, न्याय के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, सहयोग, समन्वय, बंधुत्व, सहिष्णुता, मानवता जैसे मूल्यों की प्रेरणा मिलती है।

निष्कर्षत: जॉन रॉल्स के विचार न्याय की स्थापना करने में अत्यधिक प्रासंगिक है।

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