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द बिग पिक्चर/देश देशांतर : पाकिस्तान पर आर्थिक पाबंदी का वक्त

  • 21 Feb 2019
  • 18 min read

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि

15 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती आतंकी हमले में 40 से अधिक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों के मारे जाने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शीर्ष मंत्रियों ने सुरक्षा समीक्षा बैठक की। प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों ने बहुत बड़ी गलती की है जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ेगी। सरकार ने पाकिस्तान को दिया हुआ मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favoured Nation-MFN) का दर्जा वापस ले लिया है।जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को रोकना या हमेशा के लिये ख़त्म करना है तो हमें आर्थिक नाकेबंदी मज़बूत करनी होगी।

आतंकवाद के विरुद्ध आर्थिक मोर्चाबंदी कितनी उचित है?

  • दशकों से आतंकवाद का वित्तपोषण एक प्रचलित वित्तीय अपराध रहा है जिस पर अब तक नकेल कसने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों के बाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
  • जहाँ तक आतंकवाद का प्रश्न है, यह बिना आर्थिक सहायता के या एक ‘स्टेडी चैनल ऑफ़ सोर्सेज़ फ्लो’ (Steady channel of sources flow) के जिंदा नहीं रह सकता। इसे जिस तरीके से भी रोका जा सके रोका जाना चाहिये।
  • इसके साथ ही अन्य देशों के साथ तालमेल के माध्यम से आतंकवाद पर दबाव बनाना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।

क्या होता है MFN?

  • MFN यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन (Most Favoured Nation) एक खास दर्जा होता है जिसका प्रावधान GATT के आर्टिकल 1 में किया गया है। यह दर्जा व्यापार में सहयोगी राष्ट्रों को दिया जाता है। इसमें MFN राष्ट्र को भरोसा दिलाया जाता है कि उसके साथ भेदभाव रहित व्यापार किया जाएगा।
  • WTO के नियमों के अनुसार भी ऐसे दो देश एक-दूसरे से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर व्यापार सहयोगी को खास स्टेटस दिया जाता है तो WTO के सभी सदस्य राष्ट्रों को भी वैसा ही दर्जा दिया जाना चाहिये।
  • सामान्य शब्दों में कोई भी देश जिसे MFN दर्जा मिला हो वह व्यापार में किसी दूसरे देश की तुलना में घाटे में नही रहेगा।
  • जब किसी देश को यह दर्जा दिया जाता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह शुल्कों में कटौती करेगा। इसके अलावा, उन दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं का आयात और निर्यात भी बिना किसी शुल्क के होता है।
  • भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा 1996 में दिया था। लेकिन पाकिस्तान ने आज तक भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा नहीं दिया है।
  • मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा जिस किसी भी देश को दिया जाता है, उस देश को व्यापार में अधिक प्राथमिकता दी जाती है। MFN का दर्जा मिल जाने के बाद आयात-निर्यात में विशेष छूट मिलती है।

MFN का दर्जा वापस लेने पर पाकिस्तान पर क्या होगा असर?

  • भारत ने पुलवामा हमले के बाद MFN का दर्जा वापस लेने के साथ ही पाकिस्तान से भारत को निर्यात किये जाने वाले सभी सामानों पर सीमा शुल्क तत्काल प्रभाव से 200% तक बढ़ा दिया है जिससे पाकिस्तान में कुछ आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे।
  • इससे भारत में पाकिस्तान द्वारा किया गया निर्यात प्रभावित होगा। यह निर्यात 2017-18 में 488.5 मिलियन डॉलर (लगभग 3,482.3 करोड़ रुपए) का था लेकिन MFN का दर्जा वापस लेने से यह बहुत कम हो सकता है।
  • कुछ समय पहले आई एक सूचना के अनुसार, पकिस्तान के पास भारत को MFN का दर्जा देने के लिये ‘कोई तात्कालिक योजना’ नहीं है। पाकिस्तान वाघा सीमा भूमि मार्ग के माध्यम से भारत से केवल 137 उत्पादों का निर्यात करने की अनुमति देता है।

पाकिस्तान के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी कितनी कारगर?

  • कश्मीर की घटना के बाद पूरा देश एकजुट है, आतंकवाद के विरुद्ध एकजुटता के लिये सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। भारत को विभिन्न देशों का समर्थन भी हासिल हो रहा है।
  • हमें यह साफ तौर पर समझ लेना चाहिये कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ जो भी कर रहा है यह ‘एक्ट ऑफ़ वार’ (Act of War) है।
  • आज के समय में यह ज़रूरी नहीं है कि वार तभी छेड़ा जाए जब दो बड़ी सेनाएँ आमने-सामने टकराएँ। वार कई तरीके से हो सकते हैं।
  • पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कायराना या छद्म युद्ध (Proxy War) छेड़ा हुआ है जिसमें वह भारत के खिलाफ आतंकवादी हमले लॉन्च करता है। दिसंबर 2001 में संसद पर हमला और नवंबर 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले को देश कभी भुला नहीं सकता।
  • लेकिन हाल के वर्षों में सेना के ठिकानों, पैरा मिलिट्री फोर्सेज़ तथा पुलिस के ठिकानों पर पाकिस्तान से पैदा हुआ आतंकवाद हमलावर हुआ है। इसके उदाहरण गुरुदासपुर आतंकी हमला (नवंबर 2015), बारामूला अटैक (2016), उड़ी अटैक, पठानकोट अटैक आदि हैं।
  • पाकिस्तान पर आर्थिक तौर पर पाबंदी लगाए जाने का प्रयास किया जा सकता है। इसके अलावा हर तरह से पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये।
  • प्रधानमंत्री ने सेना को छूट दे दी है। अब हमें यह देखना है कि हम किसी तरह से सेना पर अनावश्यक दबाव न डालें, साथ ही सेना को भी जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिये। सेना को मौका देखकर सही समय पर तथा सही जगह पर बदला लेना होगा।
  • जहाँ तक आर्थिक पाबंदी का सवाल है, इस पर प्रयास होने चाहियें। भारत द्वारा पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस लेना उचित कदम है। भारत द्वारा पाकिस्तान को यह दर्जा कभी देना ही नहीं चाहिये था क्योंकि पाकिस्तान ने भारत को MFN का दर्जा कभी नहीं दिया।
  • यह एक सांकेतिक कदम है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बहुत कम है। यह भारत के कुल व्यापार का लगभग 0.35 प्रतिशत है।
  • इसके अलावा और भी आर्थिक कदम उठाए जा सकते हैं। इंडस वाटर ट्रीटी के तहत पाकिस्तान को जितना पानी दिया जाना चाहिये भारत उससे ज़्यादा देता है। हमें सिर्फ उतना ही पानी देना चाहिये जितना पाकिस्तान को ज़रूरत है।
  • इसके अलावा, भारत को इंडस वाटर ट्रीटी के तहत हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम बनाने की अनुमति है, भारत नेविगेशन का इस्तेमाल कर सकता है। हमें हाइड्रोइलेक्ट्रिक डैम बनाकर पानी रोकना चाहिये।

फंड का डाइवर्जन रोकना ज़रूरी

  • जब भी पाकिस्तान आर्थिक रूप से संकट में होता है तो दुनिया के अलग-अलग देशों से आर्थिक मदद मांगता है। हाल में जब इमरान खान की सरकार आई तब भी आर्थिक हालात बहुत ख़राब थे। कभी सऊदी अरब, कभी अमेरिका तथा कभी चीन ने उसकी मदद की। इस आर्थिक सहायता को रोकना भारत के लिये बेहद ज़रूरी है।
  • आज से कुछ समय पहले तक पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति में था लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह संकट काफी हद तक कम हुआ है। उसे सऊदी अरब से 6 बिलियन डॉलर की सहायता प्राप्त हुई है जिसमें 3 बिलियन डॉलर कैश तथा 3 बिलियन डॉलर डीफर्ड आयल पेमेंट फैसिलिटी के रूप में प्राप्त हुए हैं।
  • पाकिस्तान को UAE तथा चीन ने भी आर्थिक रूप से मदद दी है। जैसे ही अफगानिस्तान में पाकिस्तान की प्रमुख भूमिका विश्व पटल पर सामने आई IMF ने अमेरिकी दबाव के कारण अपना रवैया ढीला कर दिया।
  • इस आतंकी घटना के बाद अमेरिका ने कहा है कि भारत सेल्फ डिफेंस का पूरा अधिकार रखता है। जैसे-जैसे IMF अपना रवैया कड़ा करता जाएगा पाकिस्तान पर दबाव बनेगा।

आर्थिक दबाव बनाने के लिये वैश्विक जनमत की ज़रूरत

  • सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बनाने के लिये वैश्विक जनमत को किस प्रकार तैयार किया जाए।
  • अगर हम व्यापार की बात करें तो भारत पाकिस्तान को 1.92 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करता है, जबकि पाकिस्तान भारत को 488 मिलियन डॉलर का इंपोर्ट करता है। इस लिहाज़ से अगर देखें तो MFN का दर्जा वापस ले लेने से ट्रेड पर बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर ट्रेड अधिक होता तो इसका असर पड़ता।
  • पिछले कुछ समय से पाकिस्तान का एक्सपोर्ट थोड़ा बढ़ने लगा है। इससे पहले एक्सपोर्ट गिर रहा था तथा इंपोर्ट बढ़ रहा था। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पाकिस्तान को यूरोपियन यूनियन से प्रीफरेंशियल ट्रीटमेंट मिल रहा है। ऐसे में भारत को इस पर दबाव बनाना चाहिये।
  • हमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह बताना चाहिये कि जिस तरीके से आतंक का पोषण पाकिस्तान कर रहा है उसकी आर्थिक और वित्तीय सहायता पूरी तरह से रोकने का पुरज़ोर प्रयास होना चाहिये क्योंकि आतंकवाद बिना आर्थिक मदद के नहीं पनप सकता। अगर पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोक दी जाए तो आतंकवाद काफी हद तक कम हो जाएगा।
  • जहाँ तक पश्चिमी नदियों झेलम, चिनाब और सिंधु का सवाल है तो इनके पानी को रोकने की हमारी क्षमता सीमित है। न तो हमारे पास इस तरह के स्टोरेज हैं जिससे हम इन्हें रोक पाएँ और न ही इसे रोकने से हमें कोई फायदा है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में जितना पानी देने की अनुमति है उसका भी पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो पाता।
  • जहाँ तक पनबिजली परियोजनाओं का सवाल है उसमें हम आगे बढ़ रहे हैं। बगलिहार 1, बगलिहार 2, रैटल आदि परियोजनाएँ लाई जा रही हैं क्योंकि सबसे अधिक हाइड्रोपावर पोटेंशियल चिनाब में है। यही कारण है कि पाकिस्तान आतंकित है क्योंकि उसे लगता है कि इसमें स्टोरेज क्षमता है।
  • चिनाव के जल को एक साथ स्टोरेज किया जाए और एक साथ रिलीज किया जाए तो इसे बड़े हथियार के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और क्या महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं?

  • भारत सरकार ने पाकिस्तान के आतंकी वित्तपोषण (Terror Financing) को रोकने के लिये फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) के तहत एक बड़ी पहल की है। इसमें पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत के समर्थन में चीन भी आया है।
  • जहाँ तक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सवाल है तो यह काफी हद तक पश्चिमी देशों की बात सुनता है क्योंकि उनका शेयरहोल्डिंग इस तरह का है कि US और यूरोपियन यूनियन (EU) के जो दिशानिर्देश होते हैं उनको मानना पड़ता है। IMF के ज़रिये पाकिस्तान को एक बड़ी राशि मिलती रही है और शायद आगे भी मिलती रहेगी जिस पर नियंत्रण बेहद ज़रूरी है।
  • हाल के समय में सऊदी अरब ने घोषणा की है कि वह 10 बिलियन डॉलर का एक पेट्रोलियम रिफाइनरी ग्वादर पोर्ट पर स्थापित करेगा और इसका समस्त खर्च वह स्वयं वहन करेगा।
  • वित्तीय फ्लो रोकने के लिये भारत को IMF के ज़रिये दबाव डालना चाहिये। भारत FATF के ज़रिये टेरर फाइनेंसिंग को रोकने के लिये पाकिस्तान पर दबाव डाल सकता है।
  • जो भी देश पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर मदद करते हैं या मदद करने के लिये तैयार हैं उन्हें रोकने के लिये भारत को डिप्लोमेटिक तरीके से कोशिश करनी चाहिये लेकिन जियोपॉलिटिक्स के कारण यह कार्य कठिन होगा।
  • इसके अलावा, काउंटरफीट मनी का फ्लो भी बंद होना चाहिये। हालाँकि नोटबंदी के कारण इसमें काफी हद तक सफलता ज़रूर मिली है।

फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स

  • यह एक अंतर-सरकारी नीति-निर्माण निकाय (Policy-Making Body) है, जिसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग और अन्य खतरों से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों की स्थापना करना है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग की बढ़ती समस्या से निपटने के लिये पेरिस (फ्राँस) में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान वर्ष 1989 में इसकी स्थापना की गई थी।
  • यह वित्तीय अपराध का मुकाबला करने के लिये नीतियों और मानकों को डिज़ाइन करता है तथा बढ़ावा देता है।
  • FATF सचिवालय पेरिस, फ्राँस में OECD के मुख्यालय में बनाया गया है। इसमें 39 से अधिक सदस्य देश शामिल हैं। भारत भी इसका सदस्य है।
  • FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा है। उस पर नज़र रखी जा रही है कि वह आतंक को बढ़ावा देने में तो पैसे नहीं खर्च कर रहा है।
  • 17 से 22 फरवरी के बीच FATF की बैठक में पाकिस्तान को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है तथा उसकी रिपोर्ट का मूल्यांकन किया जाएगा कि वह आतंकवाद को ख़त्म करने में कितना मदद कर रहा है।
  • इसके बाद एक अन्य बैठक मई और सितंबर में आयोजित की जाएगी जिसमें निर्णय लिया जाएगा कि पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा जाए या नहीं।

निष्कर्ष

आतंकवाद का मुकाबला करना और उसे खत्म करना बहुत मुश्किल है। यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है। दुनिया भर में विकसित और उभरते हुए देश इसे हमेशा के लिये खत्म करने में विफल रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत सबसे आगे रहा है लेकिन उसे दुनिया भर से अपेक्षित समर्थन नहीं मिल सका है। संयुक्त राष्ट्र प्रणाली पाँच स्थायी सदस्यों द्वारा प्राप्त वीटो के कारण अपंग है। चीन अपने देश को छोड़कर आतंकवाद से लड़ने में दिलचस्पी नहीं रखता है। रूस भी सीरिया में आतंकवाद का समर्थन कर रहा है। ऐसे में आतंकवाद की समाप्ति के लिये भारत के नेतृत्व को बहुआयामी कदम उठाने की आवश्यकता है। राजनीतिक, आर्थिक, कूटनीतिक, भौगोलिक तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने के साथ ही देश के भीतर छिपे आतंक को भी खत्म करना ज़रूरी है। इसके लिये पाकिस्तान की तरफ से आतंक को पोषित करने वाली नस को काटना पहली रणनीति होनी चाहिये।

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