दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

संसद टीवी संवाद


आंतरिक सुरक्षा

विशेष : हिंदी का सीप – हिंद महासागर का मोती

  • 24 Aug 2018
  • 16 min read

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि 

1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान एक विश्व हिंदी केंद्र की स्थापना का विचार मॉरीशस  के तत्कालीन प्रधानमंत्री और प्रातिनिधि मंडल के अध्यक्ष शिवसागर राम गुलाम द्वारा प्रस्तुत किया गया था| बाद में मारीशस में आयोजित द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन और लगातार कई विश्व हिंदी सम्मेलनों में मंथन के बाद  मॉरीशस  में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना का विचार साकार हुआ| इस संबंध में भारत सरकार और  मॉरीशस सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए तथा मॉरीशस की प्रधान सभा में अधिनियम पारित किया गया|

विश्व हिंदी सचिवालय का सपना हुआ साकार 

  • 12 मार्च, 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मॉरीशस के प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ द्वारा विश्व हिंदी सचिवालय के मुख्यालय के निर्माण का आधिकारिक शुभारंभ किया गया| इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री के उद्गार मॉरीशस की जनता के लिये प्रेरणादायक रहे|
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय समय में विश्व हिंदी सचिवालय के निर्माण की इच्छा जताई| हिंदी भाषा के प्रचार व उन्नयन में मॉरीशस के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मारीशस ने हिंदी साहित्य की बहुत सेवा की है| वैश्विक पटल पर मॉरीशस एक ऐसा देश है जिसका अपना हिंदी साहित्य है|
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि मॉरीशस ने हिंदी को बहुत ही प्यार दिया है| उसका लालन-पालन किया है| मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने भी दोनों देशों की दोस्ती के लिये, हिंदी भाषा और समस्त हिंदी प्रेमियों हेतु 12 मार्च, 2015 का दिन ऐतिहासिक बताया|
  • मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने यह भी कहा कि मॉरीशस और भारत के संबंध हर दृष्टि से बहुत खास हैं| इसलिये यह संबंध व्यापार, राजनीति और कूटनीति का तो है ही उससे भी बढ़कर यह संबंध दिलों का है|

विश्व हिंदी सचिवालय के निर्माण की लंबी प्रक्रिया 

  • 13 मार्च, 2018 को नवनिर्मित सचिवालय मुख्यालय का उद्घाटन मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ की उपस्थिति में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ| इस भवन को निर्माण से पहले एक लंबी प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा|
  • अप्रैल 1996 में त्रिनिदाद एवं टोबेगो में हुए पाँचवे हिंदी विश्व सम्मेलन के बाद मॉरीशस सरकार ने विश्व हिंदी सचिवालय के निर्माण से संबंधित कार्यवाहियों के लिये डॉ. सरिता बुधु को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया|
  • जून 1996 में भारतीय उच्चायोग द्वारा भारत सरकार के सहयोग के साथ मॉरीशस के शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय ने विश्व हिंदी सचिवालय की एक इकाई का गठन किया गया|
  • 20 अगस्त, 1999 को एक और महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया| मारीशस सरकार व भारत सरकार ने पोर्ट लुईस, मॉरीशस में सचिवालय के उद्देश्यों, संचालन और वित्तपोषण से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किये| इसके निर्माण के लिये मॉरीशस सरकार ने फेनिक्स में ज़मीन प्रदान की तथा भारत सरकार ने भवन के प्रारूप तथा निर्माण के खर्च की ज़िम्मेदारी ली|
  • 17 सितंबर, 2001 को विश्व हिंदी सचिवालय ने फारेस्ट साइड, क्युर्पिप स्थित एक किराए के भवन में कार्य आरंभ किया|
  • सचिवालय का शिलान्यास 1 नवंबर, 2001 को मॉरीशस सरकार द्वारा फेनिक्स में प्रदत्त ज़मीन पर भारत के तत्कालीन मानव संसाधन विकास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा समुद्री विकास मंत्री मुरली मनोहर जोशी और मॉरीशस के वित्त मंत्री पोल रेमो बेरान्ज़े के हाथों किया गया|
  • 12 नवंबर, 2002 को मारीशस सरकार द्वारा विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना व प्रबंधन से संबंधित अधिनियम पारित किया गया| 
  • हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रचार तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिये मंच तैयार करने के उद्देश्य से सचिवालय की स्थापना हुई|
  • 21 नवंबर, 2003 को नई दिल्ली में मॉरीशस की सरकार तथा भारत सरकार के बीच विश्व हिंदी सचिवालय के गठन व कार्यपद्धतियों से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए|
  • 11 फरवरी, 2008 को विश्व हिंदी सचिवालय ने आधिकारिक रूप से कार्य आरंभ किया| अपनी स्थापना के वर्ष से सचिवालय लगातार वैश्विक गतिविधियों द्वारा हिंदी को विश्व भाषा बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है|
  • 12 मार्च, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मॉरीशस के प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ द्वारा विश्व हिंदी सचिवालय के मुख्यालय के निर्माण का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया गया|
  • 8 अक्टूबर, 2016 को भूमि पूजा की गई तथा औपचारिक निर्माण कार्य आरंभ हुआ|
  • आख़िरकार दोनों देशों के सहयोग से 13 मार्च, 2018 को नवनिर्मित सचिवालय मुख्यालय का उद्घाटन संपन्न हुआ|

विश्व हिंदी सम्मेलन

  • 11वाँ विश्व हिंदी सम्मेलन विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से 18-20 अगस्त, 2018 तक मॉरीशस में आयोजित किया गया।
  • पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 1975 में नागपुर, भारत में आयोजित किया गया था। तब से विश्व के अलग-अलग भागों में ऐसे 10 सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। अभी तक पूर्व में आयोजित 10 सम्मेलनों के ब्योरे इस प्रकार हैं:  
क्रमांक सम्मेलन स्थान साल
1. प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर, भारत 10-12 जनवरी,1975
2. द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन पोर्ट लुई, मॉरीशस 28-30 अगस्त,1976
3. तृतीय विश्व हिंदी सम्मेलन नई दिल्ली, भारत 28-30 अक्टूबर,1983
4. चतुर्थ विश्व हिंदी सम्मेलन पोर्ट लुई, मॉरीशस 02-04 दिसंबर,1993
5. पाँचवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन पोर्ट ऑफ स्पेन, त्रिनिदाद एण्ड टोबेगो 04-08 अप्रैल,1996
6. छठा विश्व हिंदी सम्मेलन लंदन, यू. के. 14-18 सितंबर,1999
7. सातवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन पारामारिबो, सूरीनाम 06-09 जून, 2003
8. आठवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन न्यूयार्क, अमेरिका 13-15 जुलाई, 2007
9. नौवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका 22-24 सितंबर, 2012
10. दसवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल, भारत 10-12 सितंबर, 2015
  • 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के लिये विदेश मंत्रालय नोडल मंत्रालय है। सम्मेलन का मुख्य विषय "हिंदी विश्‍व और भारतीय संस्‍कृति" है। सम्मेलन का आयोजन स्थल "स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय सभा केंद्र" पाई, मॉरीशस है।

भारत- मॉरीशस संबंध में हिंदी की भूमिका

  • भारत- मॉरीशस का रिश्ता बहुत पुराना है| हिंदी भाषा इस रिश्ते को और मज़बूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है|
  • 2 नवंबर, 1834 को एक गहराती शाम, कलकत्ता से समुद्री जहाज़ पर सवार होकर उथल-पुथल भरी हिंद महासागर से गुज़रती हुई एक अजनबी देश में डरे-सहमे, बदहाल 36 भारतीयों का एक जत्था मॉरीशस की पोर्ट लुई बंदरगाह से उतर कर 16 सीढ़ियों पर डगमगाते कदमों से आगे बढ़ रहा था|
  • भारत से आए 36 लोग मज़दूरी के उद्देश्य से मॉरीशस आए थे| यह सभी मज़दूर समझौते के तहत मॉरीशस आए थे जिसका बाद में अपभ्रंश गिरमिटिया हो गया और ये सभी गिरमिटिया मज़दूर कहे गए|
  • इन्हीं लोगों ने आगे चलकर मॉरीशस का इतिहास बदला, उसे एक मज़बूत पहचान दिलवाई| उन 16 सीढ़ियों का घाट जो पहले कुली घाट कहलाता था अब अप्रवासी घाट के नाम से जाना जाता है| अप्रवासी घाट मॉरीशस की पहचान का एक महत्त्वपूर्ण चिन्ह है क्योंकि 70% से ज़्यादा आबादी के पूर्वज इसी अप्रवासी डिपो से होकर यहाँ पहुँचे थे|
  • गौरतलब है कि मॉरीशस की लगभग 70% आबादी भारतवंशी है| इस अप्रवासी घाट की 16 सीढ़ियाँ एक स्मृति स्थल के रूप में इस घाट पर संजोकर रखी गई हैं| यूनेस्को ने उसे विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया है|

मॉरीशस में समृद्ध रही है हिंदी लेखन की परंपरा

  • मारीशस में हिंदी लेखन की परंपरा बेहद समृद्ध रही है| भारत के बाहर कई देशों में हिंदी में साहित्य सृजन हो रहा है परंतु सृजनात्मक साहित्य की जो प्राणवत्ता और जीवंतता मॉरीशस के साहित्य में है वह अन्यत्र दुर्लभ है|
  • मॉरीशस के सबसे प्रसिद्द साहित्यकार अभिमन्यु अलख, जिनका अभी हाल ही देहांत हुआ है, का हिंदी साहित्य में बड़ा योगदान रहा है| उनकी 75 पुस्तकें हिंदी में प्रकाशित हुई हैं और वहाँ की सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया है| भारत की साहित्य अकादमी ने भी उन्हें मानद सदस्यता प्रदान की थी|
  • 2015 में 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भोपाल आए वहाँ के लेखकों ने बताया कि वहाँ लेखन और प्रकाशन में कई मुश्किलें आड़े आती हैं इसके बावजूद वहाँ हिंदी साहित्य लेखन अनवरत जारी है|

हिंद महासागर का मोती मॉरीशस 

  • मॉरीशस को हिंद महासागर का मोती कहा जाता है| साहित्यकार इसे अलग-अलग उपनामों से नवाजते रहे हैं| एक सुप्रसिद्ध लेखक ने अपनी औपन्यासिक कृति में मॉरीशस को भारत भूमि की पुत्री कहा तो किसी ने इसे छोटा भारत कहा| वहाँ की 12-13 लाख जनसंख्या में आधी जनसंख्या भारतीय मूल की है|
  • मॉरीशस को इस स्थिति में लाने में हिंदी अप्रवासियों ने जो जुल्म और दर्द सहा मॉरीशस के हिंदी साहित्य में वह दर्द सजीव हो उठता है|
  • मारीशस को औपनिवेशिक शासन से आज़ादी दिलाने में भारतीय मूल के सर शिवसागर राम गुलाम ने अगुवाई की थी|
  • आज भी वहाँ हिंदी और भोजपुरी का प्रचलन देखकर विदेशी ज़मीन पर भारतीय मिट्टी की महक महसूस की जा सकती है| यह देश अफ्रीका में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में से एक है|

मॉरीशस : दुनिया का एक खुबसूरत द्वीप 

  • मॉरीशस नीले सागर तथा श्वेत सागर तटों का देश है| यह दुनिया में सबसे खूबसूरत द्वीपों में से एक है, जिसके संबंध में मार्क ट्वेन ने कहा था “ईश्वर ने पहले मॉरीशस बनाया और फिर उसमें से स्वर्ग की रचना की|” मॉरीशस और भारत का बहुत गहरा नाता है|
  • अफ्रीकी महाद्वीप के तट के दक्षिण-पूर्व में लगभग 900 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर में और मेडागास्कर के पूर्व में स्थित एक द्वीपीय देश है।
  • मॉरीशस द्वीप के अतिरिक्त इस गणराज्य में सेंट ब्रेंडन  रॉड्रीगज़ और अगालेगा द्वीप भी शामिल हैं।
  • दक्षिण-पश्चिम में 200 किलोमीटर पर स्थित फ्राँसीसी रीयूनियन द्वीप और 570 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित रॉड्रीगज़ द्वीप के साथ मॉरीशस मस्कारेने द्वीप समूह का हिस्सा है।
  • मॉरीशस की संस्कृति  मिश्रित संस्कृति है, जिसका कारण पहले इसका फ्राँस के धीन होना तथा बाद में ब्रिटिश स्वामित्व में आना है। मॉरीशस द्वीप विलुप्त हो चुके डोडो पक्षी के अंतिम और एकमात्र घर के रूप में भी विख्यात है।

निष्कर्ष 

रामचरित मानस के माध्यम से मॉरीशस में जो हिंदी भाषा का बीज बोया गया, आज वह विशाल बटवृक्ष बन चुका है| 2040 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इन्द्रधनुषी सपनों के देश मॉरीशस में हिंदी कविता की एक सशक्त परंपरा है| प्रकाशन की समस्या के बावजूद वहाँ हर विधा में लेखन का कार्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है|

भारत और मॉरीशस का रिश्ता सदियों पुराना रहा है ठीक उतना ही पुराना मॉरीशस और हिंदी का संबंध भी रहा है| हिंदी के सीप में हिंद महासागर का मोती अपनी छटा विखेर रहा है| उम्मीद है कि विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी विश्व और भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों से परिचय हो सकेगा|

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow