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विशेष : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)

  • 13 Feb 2018
  • 16 min read

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट में यह उल्लेख किया था कि केंद्र सरकार का थिंकटैंक नीति आयोग जल्दी ही राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम (National Artificial Inteliegence Program-NAIP) की रूपरेखा तैयार करेगा। इसके पहले चीन ने अपने त्रिस्तरीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा जारी की थी, जिसके बल पर वह वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में विश्व का अगुआ बनने की सोच रहा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता।
  • इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जॉन मैकार्थी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस है। 
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला सॉफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है। 
  • यह इसके बारे में अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता।

सरल शब्दों में कहें तो इस विषय पर स्टार वार, मैट्रिक्स, आई रोबोट, टर्मिनेटर, ब्लेड रनर जैसी हॉलीवुड फ़िल्में बन चुकी हैं, जिनसे आपको यह पता चल सकता है कि आखिर यह है क्या बला। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाला सिस्टम 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शुमार गैरी कास्पोरोव को हरा चुका है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

सरकार दे रही बढ़ावा

  • राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षाविदों तथा उद्योग जगत को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
  • वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-D प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं।
  • इसके अलावा सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है।

ऐसे हुई थी शुरुआत 
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरंभ 1950 के दशक में ही हो गया था, लेकिन इसकी महत्ता को 1970 के दशक में पहचान मिली। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की थी। इसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी।

इसके बाद अन्य देशों ने भी इस ओर ध्यान दिया। ब्रिटेन ने इसके लिये 'एल्वी' नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया। यूरोपीय संघ के देशों ने भी 'एस्प्रिट' नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके बाद 1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों, जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की।

(टीम दृष्टि इनपुट)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर 7-सूत्री रणनीति

इससे पहले पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने 7-सूत्री रणनीति तैयार की थी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिये भारत की सामरिक योजना का आधार तैयार करेगी। इनमें प्रमुख हैं: 

  • मानव मशीन की बातचीत के लिये विकासशील विधियाँ बनाना। 
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और R&D के साथ एक सक्षम कार्यबल का निर्माण करना। 
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करना। 
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक, कानूनी और सामाजिक निहितार्थों को समझना तथा उन पर काम करना। 
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को मानक मानकर और बेंचमार्क के माध्यम से मापन का मूल्यांकन करना।

टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर विशेषज्ञ 'टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी' यानी तकनीकी एकलता जैसी किसी स्थिति  के आगमन की ओर संकेत करते हैं। यह दो बातों को संदर्भित करता है:

  1. भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना की जाएगी, जो कि मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तीक्ष्ण है।
  2. यह बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है।

माना जाता है कि 2045 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगी और इतनी तेज़ गति से सोचने, समझने और काम करने लगेंगी कि मानव विकास का पथ हमेशा के लिये बदल जाएगा।

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएँ

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत में शैशवावस्था में है और देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जा सकते हैं। देश के विकास में इसकी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है।

सरकार भी चाहती है कि सुशासन के लिहाज़ से देश में जहां संभव हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए। सरकार ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये एक मॉडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है। उद्योग जगत ने सरकार से इसके लिये कुछ बिंदुओं पर फोकस करने को कहा है:

  1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये देश में एक अथॉरिटी बने जो इसके नियम-कायदे तय करे और पूरे क्षेत्र की निगरानी करे। 
  2. सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ प्राथमिकता के आधार पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। 
  3. ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, कृषि आदि इसके लिये उपयुक्त क्षेत्र हो सकते हैं। 

क्लीन डाटा की ज़रूरत
उद्योग जगत यह मानता है कि सभी क्षेत्रों के लिये सॉल्यूशन तैयार करने हेतु सर्वप्रथम क्लीन डाटा की आवश्यकता होगी और इस दिशा में सरकार को समुचित कदम उठाने होंगे। सरकार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये नीतिगत प्राथमिकताएँ भी तय करनी होंगी। इससे उन क्षेत्रों के लिये रणनीति बनाने में आसानी होगी जिसकी देश को सर्वप्रथम आवश्यकता है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख अनुप्रयोग

  • कंप्यूटर गेम-Computer Gaming 
  • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण-Natural Language Processing 
  • प्रवीण प्रणाली-Expert System
  • दृष्टि प्रणाली-Vision System 
  • वाक् पहचान-Speech Recognition
  • बुद्धिमान रोबोट-Intelligent Robot

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार

  • पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive)
  • सीमित स्मृति (Limited Memory)
  • मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory)
  • आत्म-चेतन (Self Conscious)

क्यों ज़रूरी है सावधानी बरतना ?

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में व्यापक बदलाव आएगा।
  • रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों से उत्पादन और निर्माण के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेगा। 
  • ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में बताया गया है कि केवल अमेरिका में अगले दो दशकों में डेढ़ लाख रोज़गार खत्म हो जाएंगे।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हॉलीवुड की 'टर्मिनेटर' फिल्म में की गई है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

चीन में क्या है स्थिति?

चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित एक अनुसंधान प्रयोगशाला खोलने के बाद गूगल ने अपना एक और कार्यालय खोला है। गूगल का यह नया कार्यालय शेनझेन शहर में है। शेनझेन शहर में गूगल के कई उपभोक्ता और साझेदार हैं और उनके साथ अच्छे से कार्य और संवाद कायम करने के लिये एक ई-सूट कार्यालय स्थापित किया गया है। चीन में गूगल का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर बुद्धिमत्ता सम्मेलन और कार्यशालाओं को प्रायोजित करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान समुदाय को प्रोत्साहन दे रहा है। यह एशिया का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंटर है।

Reskilling की ज़रूरत होगी 
क्या बुद्धिमान मशीनें बेरोज़गारी बढ़ा देंगी या मनुष्य को और निपुण बनाएंगी? इस सवाल का जवाब वर्तमान परिस्थितियों में दे पाना संभव नहीं है। जब इनका प्रयोग होने लगेगा तब यह समझना कि कैसे किसी कार्य क्षेत्र में बुद्धिमान मशीनों का कुशलता से उपयोग हो सकता है, सफलता के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाएगा। एक कुशल शिल्पकार, कलाकार, लेखक, संगीतकार, अध्यापक या डॉक्टर को बुद्धिमान मशीनों के युग में रोज़गार तो मिलेगा, पर बुद्धिमान मशीनों का व्यवसाय में दक्षता से प्रयोग उनके कौशल को और निखारेगा। सबसे ज़्यादा सफल तो वे होंगे जो एकदम नए उत्पाद, सेवाओं और उद्योगों की कल्पना करने में सक्षम होंगे।

दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक जटिल विषय है, अतः सबसे पहले इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक समग्र अध्ययन करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा। मशीनीकरण के माध्यम से आए परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपनी कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं। अतः सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण देने के लिये समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए। तकनीकों के इस बदलते दौर में ज़रूरत इस बात की है कि विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों के लिये लोगों को कौशल दिया जाए और इसके लिये अवसंरचना का भी विकास किया जाए।

(टीम दृष्टि इनपुट)

निष्कर्ष: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विगत कई दशकों से चर्चा के केंद्र में रहा एक ज्वलंत विषय है। वैज्ञानिक इसके अच्छे और बुरे परिणामों को लेकर समय-समय पर विचार-विमर्श करते रहते हैं। आज दुनिया तकनीक के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। विकास को गति देने और लोगों को बेहतर सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिये प्रत्येक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने जहाँ विकास की गति को तेज़ किया है, वहीं इसने कई नई समस्याओं को भी जन्म दिया है, जिनका समाधान करने के लिये नित नए समाधान सामने आते रहते हैं। जहाँ वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनेकानेक लाभ गिनाते हैं, वहीं वे यह भी मानते हैं कि इसके आने से सबसे बड़ा नुकसान मनुष्यों को ही होगा, क्योंकि उनका काम मशीनों से लिया जाएगा, जो स्वयं ही निर्णय लेने लगेंगी और उन पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो वे मानव सभ्यता के लिये हानिकारक हो सकते हैं। ऐसे में इनके इस्तेमाल से पहले लाभ और हानि दोनों को संतुलित करने के आवश्यकता होगी।

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