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झारखंड पी.सी.एस.

झारखंड

झारखंड लोक सेवा आयोग - रणनीति

  • 01 Aug 2021
  • 24 min read

रणनीति की आवश्यकता क्यों ? 

  • झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है। 

  • यही वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारम्भ में ही सुनिश्चित हो जाती है।   

  • ध्यातव्य है कि यह परीक्षा सामान्यत: तीन चरणों (प्रारंभिक, मुख्य एवं साक्षात्कार) में आयोजित की जाती है, जिसमें  प्रत्येक अगले चरण में पहुँचने के लिये उससे पूर्व के चरण में सफल होना आवश्यक है।   

  • इन तीनों चरणों की परीक्षा की प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है। अत: प्रत्येक चरण में सफलता सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग रणनीति बनाने की आवश्यकता होती है। 

प्रारम्भिक परीक्षा की रणनीति:

  • अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों की भाँति झारखंड लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक परीक्षा में भी प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ प्रकार की होती है।  

  • आयोग द्वारा परीक्षा के इस प्रथम चरण की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम में समय-समय पर महत्त्वपूर्ण बदलाव किया जाता रहा है। वर्ष 2016 में द्वितीय प्रश्नपत्र (एप्टिट्यूड टेस्ट ‘सीसैट’) के स्थान पर ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ के प्रश्नपत्र को अपनाया गया। 

  • वर्तमान में आयोग की इस प्रारम्भिक परीक्षा में दो अनिवार्य प्रश्नपत्र  (क्रमशः ‘सामान्य अध्ययन’ एवं ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’) पूछे जाते हैं। इसके लिये कुल 400 अंक निर्धारित किया गया है।  

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं। 

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ का है, जिसमें प्रश्नों की कुल संख्या 100 एवं अधिकतम अंक 200 निर्धारित हैं। 

  • प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिये अधिकतम समय सीमा 2 घंटा निर्धारित की गई है। 

  • इन दोनों प्रश्नपत्रों में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर कट-ऑफ का निर्धारण किया जाता है। 

  • इस प्रारम्भिक परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिये सर्वप्रथम इसके पाठ्यक्रम का गहन अध्ययन करें एवं उसके समस्त भाग एवं पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुविधा एवं रूचि के अनुसार वरीयता क्रम निर्धारित करें। 

  • विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन करें और उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज्यादा ध्यान दें जिससे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज़्यादा रही है। 

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य अध्ययन’ का पाठ्यक्रम मुख्यतः 8 भागों में विभाजित है। इसमें परम्परागत सामान्य अध्ययन एवं समसामयिक घटनाओं के साथ-साथ कुछ प्रश्न झारखंड विशेष से भी पूछे जाते हैं।  

  • इस प्रश्नपत्र के इन 8 भागों (भारत का इतिहास, भारत का भूगोल, भारतीय राजव्यवस्था एवं प्रशासन, अर्थव्यवस्था एवं सतत विकास, विज्ञान एवं तकनीकी, झारखंड विशेष, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम एवं विविध प्रश्न) में से प्रत्येक भाग से 10 या 15 प्रश्न शामिल किये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होता है। इसकी जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गयी है। 

  • इस परीक्षा के पाठ्यक्रम और विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन करने पर ज्ञात होता है कि इसके कुछ खण्डों की गहरी अवधारणात्मक एवं तथ्यात्मक जानकारी अनिवार्य है। जैसे- किस शासक को आंध्र-भोज के नाम से भी जाना जाता है? व्यय का अनुमान किस रूप में भारतीय संसद के समक्ष रखा जाता है? संथालों में गाँव के प्रधान को क्या कहते हैं ? इत्यादि ।  

  • इन प्रश्नों को याद करने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से सम्बंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए जैसे– एक प्रश्न पूछा गया कि ‘झारखण्ड में आदिवासियों के फूलों के त्यौहार का नाम क्या है?’ ऐसे प्रश्नों के उत्तर के लिये अभ्यर्थियों को झारखण्ड में प्रमुख आदिवासी समुदाय एवं उनकी संस्कृति से सम्बंधित एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये । 

  • इस परीक्षा में पूछे जाने वाले परम्परागत सामान्य अध्ययन के प्रश्न के लिये एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों का अध्ययन करना लाभदायक रहता है। साथ ही दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध सम्बंधित पाठ्य सामग्री एवं इंटरनेट के साथ-साथ दृष्टि प्रकाशन  द्वारा प्रकाशित ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के ‘परम्परागत सामान्य अध्ययन विशेषांकों’ का अध्ययन करना अभ्यर्थियों के लिये  लाभदायक रहेगा।

  • इस प्रश्नपत्र के सभी भागों से लगभग 10-15 प्रश्न पूछे जाते हैं। अत: सभी भागों के लिये बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहेगा।  

  • इस प्रश्नपत्र में ‘समसामयिक घटनाओं’ (राष्ट्रीय एवं झारखण्ड के सन्दर्भ में) से लगभग 15 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके लिये आप नियमित रूप से किसी दैनिक अख़बार जैसे - द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिन्दुओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खंड की तैयारी के लिये मानक मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ का अध्ययन करना लाभदायक सिद्ध होगा। 

  • इस प्रश्नपत्र में झारखण्ड राज्य विशेष से सम्बंधित प्रश्नों को हल करने के लिये अलग से तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि द्वितीय प्रश्नपत्र की तैयारी से ही इस प्रश्नपत्र के इस भाग के प्रश्न हल हो जाते हैं। 

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘झारखंड का सामान्य ज्ञान’ का पाठ्यक्रम मुख्यतः 16 भागों में विभाजित है। इसमें मुख्यतः झारखण्ड का इतिहास, आन्दोलन, विशिष्ट पहचान, साहित्य, नृत्य, संस्कृति, स्थल, संस्थान, खेलकूद, कानून, नियम, प्रबंधन इत्यादि शीर्षकों के अंतर्गत प्रश्न पूछे जाते हैं।  

  • इस प्रश्नपत्र के इन 16 भागों में से प्रत्येक भाग से 3-12 प्रश्न शामिल किये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होता है। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गई गया है। 

  • झारखंड का सामान्य ज्ञान’ एवं झारखंड राज्य विशेष के लिये झारखंड प्रकाशन विभाग की पुस्तक एवं एक अन्य मानक राज्य स्तरीय पुस्तक के साथ प्रतिदिन अख़बार में प्रदेश से सम्बंधित घटनाओं, योजनाओं, नियुक्तियों एवं कार्यक्रमों की जानकारी क्रमवार ढंग से नोट करना उपयोगी रहेगा। साथ ही आप दृष्टि वेबसाइट पर ‘राज्य समाचार’ से सम्बंधित प्रमुख बिन्दुओं का भी अध्ययन कर सकते हैं।  

  • जे.पी.एस.सी. की प्रारंभिक परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं होने के कारण किसी भी प्रश्न को अनुत्तरित न छोड़ें और अंत में शेष बचे हुए प्रश्नों को अनुमान के आधार पर हल करने का प्रयास करें।    

  • प्रारम्भिक परीक्षा तिथि से सामान्यत: 15-20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारम्भिक परीक्षा में पूछे गए  प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है। इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है। 

  • इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिये सामान्यत: 65-70% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है, किन्तु कभी-कभी प्रश्नों के कठिनाई स्तर को देखते हुए यह प्रतिशत कम भी हो सकती है। 

  • इस परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 40%, पिछड़ा वर्ग-1 के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 34%, पिछड़ा वर्ग-2 के अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 36.5% एवं अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं महिला अभ्यर्थियों के लिये न्यूनतम 32%, अर्हकारी अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। अत: इसको ध्यान में रखते हुए उपरोक्त परीक्षा सम्बन्धी रणनीति का अनुसरण करें।   

मुख्य परीक्षा की रणनीति :

  • जे.पी.एस.सी. की मुख्य परीक्षा की प्रकृति परम्परागत वस्तुनिष्ठ एवं वर्णनात्मक प्रकार के होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से भिन्न होती है।

  • प्रारंभिक परीक्षा की प्रकृति जहाँ क्वालिफाइंग होती है वहीं मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम मेधा सूची में जोड़ा जाता है। अत: परीक्षा का यह चरण अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं काफी हद तक निर्णायक होता है।   

  • वर्ष 2016 में जे.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन किया गया। इससे पूर्व इस मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के साथ-साथ दो वैकल्पिक विषयों के प्रश्नपत्र भी पूछे जाते थे, जिन्हें अब हटा दिया गया है। 

  • नवीन संशोधन के अनुसार अब इस मुख्य परीक्षा में छ: प्रश्नपत्र पूछे जाएंगे। इन सभी प्रश्नों के उत्तर को आयोग द्वारा दी गई उत्तर-पुस्तिका में अधिकतम तीन घंटे की निर्धारित समय सीमा में लिखना होगा। इसकी विस्तृत जानकारी ‘पाठ्यक्रम’ शीर्षक में दी गयी है।

  • नवीन संशोधनों के पश्चात् जे.पी.एस.सी. की यह मुख्य परीक्षा अब कुल 1050 अंकों की होगी। 

  • प्रथम प्रश्नपत्र ‘सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’ के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किया गया है। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि यह प्रश्नपत्र 50-50 अंकों के दो खण्डों (क्रमश: सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी’) में विभाजित होगा। यह प्रश्नपत्र क्वालिफाइंग होता है।

  • इस प्रश्नपत्र में न्यूनतम 30 अंक प्राप्त करना अनिवार्य होगा। प्रश्नपत्र की प्रकृति वर्णनात्मक प्रकार की होगी। इसकी तैयारी के लिये आप अंग्रेजी एवं हिंदी व्याकरण की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन कर सकते हैं। 

  • द्वितीय प्रश्नपत्र ‘भाषा एवं साहित्य’ के लिये कुल 150 अंक निर्धारित किया गया है। इस प्रश्नपत्र में अभ्यर्थी आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में वर्णित 15 ‘भाषा एवं साहित्य’ संबंधी शीर्षकों में से किसी एक शीर्षक का चयन कर सकता है। इसकी तैयारी के लिये आप सम्बंधित ‘भाषा एवं साहित्य’ की किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन कर सकते हैं। 

  • मुख्य परीक्षा के शेष चार प्रश्नपत्र  मुख्यत: परम्परागत सामान्य अध्ययन से सम्बंधित होंगे। प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिये 200-200 अंक निर्धारित किया गया है। इनमें 40 अंकों के 20 वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे (प्रत्येक प्रश्न 2 अंकों का होगा) और शेष 160 अंकों के (4 या 5 प्रश्न) वर्णनात्मक प्रकार के प्रश्न होंगे (प्रत्येक प्रश्न 40 या 32 अंकों का होगा)।

  • तृतीय प्रश्नपत्र ‘सामाजिक विज्ञान (इतिहास एवं भूगोल)’ से सम्बंधित होगा। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि यह प्रश्नपत्र 100-100 अंकों के दो खण्डों (क्रमश: इतिहास एवं भूगोल) में विभाजित होगा। इसमें अनिवार्य 20 बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 2 अंक) के अतिरिक्त प्रत्येक खंड से 2-2 प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 40 अंक) करना अनिवार्य होगा। 

  • इस प्रश्नपत्र में ‘इतिहास खंड’ के अंतर्गत जहाँ प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक भारत के इतिहास के साथ-साथ  झारखण्ड के इतिहास से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे वहीं ‘भूगोल खंड’ के अंतर्गत भौतिक भूगोल, मानव भूगोल, भारत के प्राकृतिक संसाधन के साथ-साथ झारखण्ड के भूगोल एवं संसाधनों के दोहन से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाएंगे। 

  • इसकी तैयारी के लिये अभ्यर्थियों को मानक पुस्तकों के अध्ययन करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा के प्रश्नों की प्रकृति के अनुरूप संक्षिप्त बिन्दुवार नोट्स बनाना लाभदायक रहेगा। 

  • चतुर्थ प्रश्नपत्र ‘भारतीय एवं संविधान, राजव्यवस्था, लोक प्रशासन  एवं सुशासन’ से सम्बंधित होगा। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि यह प्रश्नपत्र 100-100 अंकों के दो खण्डों (क्रमश: ‘भारतीय संविधान और राजव्यवस्था’ तथा ‘लोक प्रशासन एवं गुड गवर्नेंस’) में विभाजित होगा। इसमें भी अनिवार्य 20 बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 2 अंक) के अतिरिक्त प्रत्येक खंड से 2-2 प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 40 अंक) करना अनिवार्य होगा। 

  • इस प्रश्नपत्र में ‘भारतीय संविधान और राजव्यवस्था’ के अंतर्गत जहाँ भारतीय संविधान की मूलभूत अवधारणा, प्रमुख अधिकार, संघ एवं राज्य की शासन व्यवस्था एवं उनके मध्य सम्बन्ध तथा स्थानीय शासन से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे वहीं ‘लोक प्रशासन एवं गुड गवर्नेंस’ के अंतर्गत लोक एवं निजी प्रशासन, संघ, राज्य एवं जिला प्रशासन, नौकरशाही, आपदा प्रबंधन एवं गुड गवर्नेंस इत्यादि से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।   

  •  पांचवां प्रश्नपत्र ‘भारतीय अर्थव्यवस्था, वैश्वीकरण और सतत विकास’ से सम्बंधित होगा। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि अनिवार्य 20 बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 2 अंक) के अतिरिक्त इस प्रश्नपत्र में 4 विशेष भागों से प्रश्न पूछे जाएंगे। जिसमें प्रत्येक भाग से एक प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 40 अंक) करना अनिवार्य होगा।

  • इस प्रश्नपत्र के अंतर्गत मुख्यत: भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारभूत विशेषताएँ, सतत् विकास, आर्थिक मुद्दे एवं विकास रणनीति, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति, प्रभाव एवं आर्थिक सुधार’ तथा झारखंड की अर्थव्यवस्था शामिल है।   

  • षष्ठम प्रश्नपत्र ‘सामान्य विज्ञान, पर्यावरण एवं तकनीकी विकास’ से सम्बंधित होगा। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि प्रथम अनिवार्य 20 बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 2 अंक) के अतिरिक्त इस प्रश्नपत्र में 5 विशेष भागों से प्रश्न पूछे जाएंगे, जिसमें प्रत्येक भाग से एक प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न 32 अंक) करना अनिवार्य होगा।   

  • इस प्रश्नपत्र के अंतर्गत मुख्यत: फिजिकल साइंस, लाइफ साइंस, कृषि विज्ञान, ‍पर्यावरण विज्ञान तथा विज्ञान एवं तकनीकी विकास इत्यादि से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाएंगे।    

  • जे.पी.एस.सी. की इस मुख्य परीक्षा की प्रकृति एवं पाठ्यक्रम का सूक्ष्म अवलोकन करने पर यह स्पष्ट होता है कि इसके समस्त पाठ्यक्रम का झारखंड राज्य के सन्दर्भ में अध्ययन किया जाना लाभदायक रहेगा। ये प्रश्न झारखण्ड के इतिहास, भूगोल, प्रशासनिक व्यवस्था, कला एवं संस्कृति, आर्थिक विकास, खनिज एवं उर्जा संसाधन तथा अन्य पक्षों से सम्बंधित हो सकते हैं।  

  • झारखंड राज्य विशेष के अध्ययन के लिये कम-से-कम दो मानक पुस्तकों के आधार पर पाठ्यक्रम के प्रत्येक टॉपिक्स पर बिन्दुवार नोट्स बनाना अनुशंसनीय है।  

  • इस मुख्य परीक्षा में पूछे जाने वाले 40 अंकों के 20 वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार के प्रश्नों को हल करने के लिये प्रारंभिक परीक्षा के दौरान अपनायी गई रणनीति का अनुसरण करेंगे।     

  • विदित है कि वर्णनात्मक प्रकृति वाले प्रश्नों के उत्तर को उत्तर-पुस्तिका में लिखना होता है, अत: ऐसे प्रश्नों के उत्तर लिखते समय लेखन शैली एवं तारतम्यता के साथ-साथ समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिये।

  • परीक्षा के सभी विषयों में कम से कम शब्दों में की गई संगठित, सूक्ष्म और सशक्त अभिव्यक्ति को श्रेय मिलेगा।

  • किसी भी प्रश्न का सटीक एवं सारगर्भित उत्तर लिखने हेतु दो बातें महत्वपूर्ण होती हैं- पहली, विषय की व्यापक समझ एवं दूसरी उत्तर लेखन का निरंतर अभ्यास 

 ⇒ मुख्य परीक्षा में अच्छी लेखन शैली के विकास संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें

  • परीक्षा के इस चरण में सफलता प्राप्त करने के लिये सामान्यत: 60-65% अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। हालाँकि पाठ्यक्रम में बदलाव के कारण यह प्रतिशत कुछ कम या ज़्यादा भी हो सकता है। 

साक्षात्कार की रणनीति:

  • मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों (सामान्यत: विज्ञप्ति में वर्णित कुल रिक्तियों की संख्या का 3 गुना) को सामान्यत: एक माह पश्चात् आयोग के समक्ष साक्षात्कार के लिये उपस्थित होना होता है।

  • साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है।  

  • अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है। 

  • साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है। इसमें आयोग के सदस्यों द्वारा आयोग में निर्धारित स्थान पर मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसका उत्तर अभ्यर्थी को मौखिक रूप से देना होता है। 

  • जे.पी.एस.सी. की इस परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किये गए हैं। 

  • आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त किये गए अंकों के योग के आधार पर तैयार किये गए मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) के आधार पर होता है। 

 ⇒ साक्षात्कार में अच्छे अंक प्राप्त करने संबंधी रणनीति के लिये इस Link पर क्लिक करें

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