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भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ-ट्राईफेड

  • 29 Oct 2019
  • 9 min read

 Last Updated: July 2022 

परिचय

  • भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED) की स्थापना वर्ष 1987 में हुई। यह राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है जो जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रशासकीय नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।
  • ट्राइफेड का मुख्यालय दिल्ली में है और इसके 13 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो देश के विभिन्न स्थानों में स्थित हैं।
  • वर्ष 2021 में जनजातीय मामले मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के तहत भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ- ट्राइफेड (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India- TRIFED) ने संकल्प से सिद्धि- गाँव एवं डिजिटल कनेक्ट मुहिम (Sankalp se Siddhi - Village and Digital Connect Drive) लॉन्च की। 
    • इस मुहिम/अभियान/ड्राइव का मुख्य उद्देश्य इन गाँवों में वन धन विकास केंद्रों (VDVKs) को सक्रिय बनाना है। 

उद्देश्य

  • ट्राइफेड का प्रमुख उद्देश्य जनजातीय उत्पादों, जैसे- धातु कला, जनजातीय टेक्सटाइल, कुम्हारी, जनजातीय पेंटिंग, जिन पर जनजातीय लोग अपनी आय के एक बड़े भाग हेतु बहुत अधिक निर्भर हैं, के विपणन विकास द्वारा देश में जनजातीय लोगों का सामाजिक-आर्थिक विकास करना है।
  • ट्राइफेड जनजातियों को अपने उत्पाद बेचने में एक समन्वयक और सेवाप्रदाता के रूप में कार्य करता है।
  • ट्राइफेड का उद्देश्य है जनजातीय लोगों को जानकारी, उपकरण और सूचनाओं से सशक्त करना ताकि वे अपने कार्यों को अधिक क्रमबद्ध और वैज्ञानिक तरीके से कर सकें।
  • इसमें जागरूकता, स्वयं सहायता समूहों की रचना और कोई खास कार्यकलाप करने के लिये प्रशिक्षण देकर जनजातीय लोगों का क्षमता निर्माण भी शामिल है।

कार्य

यह मुख्यतः दो कार्यों का दायित्व लेता है अर्थात लघु वनोत्पाद विकास और खुदरा विपणन और विकास।

लघु वनोत्पाद (MFP) विकास

  • जनजातीय लोगों की आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है गैर-काष्ठ वनोत्पाद जिसे सामान्यतः लघु वनोत्पाद कहा जाता है। इसमें पौधीय मूल के सभी गैर-काष्ठ उत्पाद शामिल हैं जैसे बांस, बेंत, चारा, पत्तियाँ, गम, वेक्स, डाई, रेज़िन और कई प्रकार के खाद्य जैसे मेवे, जंगली फल, शहद, लाख, रेशम आदि हैं।
  • ये लघु वनोत्पाद जंगलों में या जंगलों के नजदीक रहने वाले लोगों को जीविका और नकद आय दोनों उपलब्ध कराते हैं। ये उनके खाद्य, फल, दवा और अन्य उपभोग वस्तुओं का एक बड़ा भाग हैं और विक्री से उन्हें नकद आय भी प्रदान करते हैं।
  • लघु वनोत्पाद वनवासियों के लिये उल्लेखनीय आर्थिक और सामाजिक महत्व के हैं क्योंकि अनुमानतः 100 मिलियन लोग अपनी आजीविका का स्रोत लघु वनोत्पाद के संग्रह और विपणन से प्राप्त करते हैं, (वन अधिकार अधिनियम, 2011 पर राष्ट्रीय समिति की रिपोर्ट)।
  • वनों में रहने वाले लगभग 100 मिलियन लोग खाद्य, आश्रय, औषधि और नकद आय के लिये लघु वन उत्पादों पर निर्भर हैं। जनजातीय लोग अपनी वार्षिक आय का 20 से 40 प्रतिशत लघु वनोत्पाद से प्राप्त करते हैं जिस पर वे अपने समय का एक बड़ा भाग खर्च करते हैं।
  • महिलाओं के वित्तीय सशक्तीकरण से भी लघु वन उत्पादों का एक मजबूत संबंध है क्योंकि अधिकतर लघु वन उत्पाद महिलाओं द्वारा संग्रहीत और प्रयुक्त/विक्री किये जाते हैं।
  • लघु वनोत्पादों पर निर्भर लोग सामान्यतया अन्य समस्याओं से पीड़ित रहते हैं, जैसे उत्पादों की नश्वर प्रकृति, धारण क्षमता का अभाव, विपणन ढांचे का अभाव, विचौलियों द्वारा शोषण आदि।
  • इन कारणों से लघु वनोत्पाद संग्राहक जो कि अधिकतर गरीब लोग होते हैं, उचित मूल्य के लिये मोलभाव करने में असमर्थ रहते हैं।
  • इन समस्याओं से निपटने के लिये भारत सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य और वैल्यू चेन विकास द्वारा ‘लघु वनोत्पाद के विपणन के लिये व्यवस्था’ योजना शुरू करने का निश्चय किया है।
  • यह योजना लघु वनोत्पाद संग्राहकों की आजीविका में सुधार के लिये उनके द्वारा संग्रहीत वनोत्पादों का उचित मूल्य देने हेतु एक सामाजिक सुरक्षा नेट के रूप में डिज़ाइन किया गया है।

खुदरा विपणन और विकास

  • ट्राइफेड का लक्ष्य है, जनजातीय लोगों के लिये एक संधारणीय बाजार का सृजन और व्यावसायिक अवसर पैदा कर जनजातीय लोगों की आजीविका में सुधार।
  • इसमें शामिल है जनजातीय उत्पादों के विपणन के लिये संवहनीय आधार पर विपणन संभावनाओं की खोज, ब्रांड सृजित करना और अन्य आवश्यक सेवायें प्रदान करना।
  • देशभर में इसके 13 क्षेत्रीय कार्यालयों का संजाल है जो अपने खुदरा विपणन नेटवर्क ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स के माध्यम से विपणन हेतु जनजातीय उत्पादों की पहचान करने और उन्हें मंगाने का कार्य करता है।
  • यह देश भर में अपने आपूर्तिकर्ता पैनलों के माध्यम से कई दस्तकारी, हथकरघा और प्राकृतिक तथा खाद्य उत्पादों को मंगाने का कार्य करता है। आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हैं, निजी जनजातीय दस्तकार, जनजातीय स्वयं सहायता समूह, जनजातीय लोगों के साथ कार्य कर रहे संगठन/एजेंसियां/एनजीओ आदि। ये आपूर्तिकर्त्ता ट्राइफेड की सूची में आपूर्तिकर्त्ताओं की सूचीबद्धता के लिये नीति-निर्देशक तत्त्वों के अनुसार सूचीबद्ध हैं।
  • ट्राइफेड देश भर में मौजूद अपने खुदरा केन्द्रों और अपनी प्रदर्शनियों के माध्यम से जनजातीय उत्पादों का विपणन कर रहा है। इसने जनजातीय हस्तशिल्प के संवर्धन के लिये अपने स्वयं के 35 शोरूम और 8 माल प्रेक्षण शोरूम की एक शृंखला की स्थापना राज्यस्तरीय संगठनों के सहयोग से की है।

फिलहाल रमेश चंद्र मीणा की अध्यक्षता वाली ट्राईफेड (TRIFED) को अब पेड़ों तथा वनों के उत्पादों के एकीकरण, प्रसंस्करण, भंडारण और विकास की प्रमुख एजेन्सी भी घोषित किया गया है। ट्राइफेड छोटे और सीमांत कलाकारों और कारीगरों को इस तरह के मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम में आमंत्रित करके और उन्हें खरीदारों से उनके उत्पाद की वास्तविक कीमत दिलाने के कार्य में पूरी तरह जुटा हुआ है। इससे उन्हें बिचौलियों से छुटकारा पाने में भी मदद मिलती है, जो उनके मुनाफे को हड़प लेता है। पहली बार, नकदी रहित व्यापार की राष्ट्रीय आकांक्षा के अनुरूप क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से आदिवासी व्यापारिक भुगतान स्वीकार किए जाएंगे। ट्राइफेड व्यापक तरीके से अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, पेटीएम और जीईएम जैसे ऑनलाइन मंच पर भी अपने सभी जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है।

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