पीसीएस
यूपीपीसीएस परीक्षा के लिये रणनीति
- 11 Apr 2023
- 16 min read
यूपीपीसीएस परीक्षा के लिये रणनीति की क्या आवश्यकता है?
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में सफलता सुनिश्चित करने के लिये उसकी प्रकृति के अनुरूप उचित एवं गतिशील रणनीति बनाने की आवश्यकता है। यह वह प्रथम प्रक्रिया है जिससे आपकी आधी सफलता प्रारंभ में ही सुनिश्चित हो जाती है।
- ध्यातव्य हैं कि यह परीक्षा सामान्यत तीन चरणों में आयोजित की जाती है:
- प्रारंभिक परीक्षा (वस्तुनिष्ठ)
- मुख्य परीक्षा (परंपरागत अर्थात लिखित परीक्षा)
- साक्षात्कार (व्यक्तित्व परीक्षण)
- प्रत्येक अगले चरण में जाने के लिये पहले चरण में सफलता की आवश्यकता होती है।
चूँकि इन तीनों चरणों की प्रकृति काफी भिन्न होती है, इसलिये सफलता की संभावना को अधिकतम करने के लिये प्रत्येक चरण के लिये एक अद्वितीय रणनीति अपनाना महत्त्वपूर्ण है।
प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति
- विगत वर्ष के प्रश्नों की गहन समीक्षा:
- विगत 5 से 10 वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन कीजिये।
- उन बिंदुओं तथा शीर्षकों पर ज्यादा ध्यान दें, जिनसे विगत वर्षों में प्रश्न पूछने की प्रवृत्ति ज्यादा रही है।
- तथ्यात्मक सटीकता पर ध्यान देना:
- चूँकि प्रारंभिक परीक्षा में प्रश्नों की प्रकृति वस्तुनिष्ठ (बहुविकल्पीय) प्रकार की होती है अत: इसमें तथ्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जैसे-
- अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था?
- भारत की कौन-सी नदी ‘दक्षिण की गंगा’ के नाम से जानी जाती है?
- कौन-सा हार्मोन ‘फाइट और फ्लाइट’ नाम से जाना जाता है?
- वैचारिक और तथ्यात्मक ज्ञान में सुधार के लिये सुझाव:
- प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से संबंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए।
- जैसे- एक प्रश्न पूछा गया कि भारतीय संविधान में ‘समवर्ती सूची’ की अवधारणा किस देश से ली गई है? तो आपको भारतीय संविधान में विभिन्न देशों से ली गई प्रमुख अवधारणाओं की एक लिस्ट तैयार कर लेनी चाहिये।
- प्रश्नों को याद रखने और हल करने का सबसे आसान तरीका है कि विषय की तथ्यात्मक जानकारी से संबंधित संक्षिप्त नोट्स बना लिया जाए और उसका नियमित अध्ययन किया जाए।
- सामान्य अध्ययन में फोकस क्षेत्र (पेपर-I):
- सामान्य अध्ययन में पारंपरिक प्रश्न निम्नलिखित विषयों से संबंधित होते हैं:
- भारत का इतिहास और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
- भारत एवं विश्व का भूगोल
- भारतीय राजव्यवस्था और शासन
- आर्थिक एवं सामाजिक विकास
- पर्यावरण और पारिस्थितिकी
- सामान्य विज्ञान
- सामान्य अध्ययन में पारंपरिक प्रश्न निम्नलिखित विषयों से संबंधित होते हैं:
- इन विषयों की तैयारी के लिये:
- प्रत्येक विषय के लिये कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की NCERT पुस्तकों का अध्ययन करें।
- मासिक पत्रिका दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे और इसके विशेष अंक को देखें।
- समसामयिक घटनाएँ और राज्य-विशिष्ट प्रश्न:
- समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते हुए आप नियमित रूप से किसी दैनिक अखबार जैसे- द हिन्दू, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) इत्यादि के साथ-साथ दृष्टि वेबसाइट पर उपलब्ध करेंट अफेयर्स के बिंदुओं का अध्ययन कर सकते हैं।
- राज्य विशेष से संबंधित प्रश्नों को हल करने में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित पुस्तक या बाज़ार में उपलब्ध किसी मानक राज्य स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- संस्था-संबंधी प्रश्नों के लिये संदर्भ: संस्थाओं इत्यादि से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिये प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (इंडिया इयर बुक)’ का बाज़ार में उपलब्ध संक्षिप्त विवरण पढ़ना लाभदायक रहता है।
- अभ्यर्थी दृष्टि आईएएस द्वारा उपलब्ध कराए गए इंडिया इयर बुक के सारांश का संदर्भ ले सकते हैं।
- CSAT (पेपर-II) के लिये रणनीति:
- CSAT पेपर में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- कॉम्प्रिहेंशन
- अंतर्वैयक्तिक क्षमता एवं संप्रेषण कौशल
- तार्किक एवं विश्लेषणात्मक योग्यता
- निर्णयन क्षमता एवं समस्या समाधान
- सामान्य बौद्धिक योग्यता
- हाईस्कूल स्तर का प्रारंभिक गणित
- सामान्य हिंदी एवं सामान्य अंग्रेजी
- तैयारी के सुझाव:
- इसकी तैयारी के लिये बाज़ार में उपलब्ध किसी स्तरीय पुस्तक का अध्ययन करने के साथ-साथ प्रैक्टिस सेटों को हल करना उचित रहेगा।
- ध्यान दें कि CSAT का प्रश्नपत्र केवल क्वालिफाइंग (न्यूनतम 33% अंक) होता है। इसमें प्राप्त अंकों को कट-ऑफ निर्धारण में नहीं जोड़ा जाता है।
- यदि कोई अभ्यर्थी सीसैट के प्रश्नपत्र में क्वालिफाइंग अंक से कम अंक प्राप्त करता है तो उसके प्रथम प्रश्नपत्र का मूल्यांकन ही नहीं किया जाता है।
- CSAT पेपर में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- समय प्रबंधन और अभ्यास:
- प्रारंभिक परीक्षा तिथि से सामान्यत: 15-20 दिन पूर्व प्रैक्टिस पेपर्स एवं विगत वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों को निर्धारित समय सीमा (सामान्यत: दो घंटे) के अंदर हल करने का प्रयास करना लाभदायक होता है।
- इन प्रश्नों को हल करने से जहाँ विषय की समझ विकसित होती है, वहीं इन परीक्षाओं में दोहराव (रिपीट) वाले प्रश्नों को हल करना आसान हो जाता है।
- नकारात्मक अंकन से निपटना:
- इस परीक्षा में ऋणात्मक अंक (1/3) के प्रावधान होने के कारण किसी भी ऐसे प्रश्न जिसके चारों विकल्पों के बारे में आप अनभिज्ञ हो या उनके संबंध में आप कुछ नही जानते हो, तो ऐसे प्रश्नों को अनुत्तरित छोड़ देना बेहतर होगा।
मुख्य परीक्षा की रणनीति
UPPCS की मुख्य परीक्षा की प्रकृति लिखित (वर्णनात्मक) होने के कारण इसकी तैयारी की रणनीति प्रारंभिक परीक्षा से अलग होती है। इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि सभी विषयों पर अवधारणात्मक एवं विश्लेषणात्मक जानकारी सुदृढ़ करते हुए समग्र रणनीति बनाई जाए।
UPPCS मुख्य परीक्षा में आठ अनिवार्य विषय शामिल होते हैं: सामान्य अध्ययन के छह पेपर, एक सामान्य हिंदी का पेपर और एक निबंध का पेपर।
- समय प्रबंधन: प्रश्नों की प्रकृति अब रटंत पद्धति से हटकर अवधारणात्मक एवं सह-विश्लेषणात्मक प्रकार की हो गई है, जिससे समय प्रबंधन में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- मुख्य परीक्षा में प्रभावी समय प्रबंधन बहुत ज़रूरी है। अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये न केवल संपूर्ण पाठ्यक्रम की विस्तृत समझ की आवश्यकता है बल्कि विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों एवं उस पर आधारित मॉडल प्रश्नों का निर्धारित शब्द सीमा व समय में उत्तर-लेखन अति आवश्यक है।
- सामान्य हिंदी प्रश्नपत्र: इस परीक्षा में हिन्दी के प्रश्नपत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिये हिन्दी के व्याकरण (उपसर्ग, प्रत्यय, विलोम इत्यादि) की समझ, संक्षिप्त सार, अपठित गद्यांश इत्यादि की अच्छी जानकारी आवश्यक है। इसके लिये हिंदी की स्तरीय पुस्तक जैस- ‘वासुदेवनंदन प्रसाद’ एवं ‘हरदेव बाहरी’ की ‘सामान्य हिंदी एवं व्याकरण’ पुस्तक का गहराई से अध्ययन एवं उपरोक्त विषयों पर निरंतर लेखन कार्य करना लाभदायक रहेगा।
- निबंध पेपर: निबंध का प्रश्नपत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं निर्णायक होता है। पाठ्यक्रम से स्पष्ट है कि यह तीन विशेष खंडों में विभाजित रहता है, जिसमें अभ्यर्थी को अपनी रूचि एवं विषय पर गहरी समझ के अनुसार प्रत्येक खंड से एक-एक निबंध लिखना होता है।
- इस पुस्तक में लिखे गए निबंध न केवल परीक्षा के दृष्टिकोण से श्रेणी क्रम में विभाजित हैं बल्कि प्रत्येक निबंध की भाषा-शैली एवं अप्रोच स्तरीय हैं।
- निबंध को रोचक बनाने के लिये श्लोक, कविता, उद्धरण, महापुरुषों के कथन इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है।
- निबंध की तैयारी के लिये दृष्टि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘निबंध-दृष्टि’ का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा।
- तैयारी के लिये सुझाव:
- प्रासंगिक विषयों पर बिंदुवार नोट्स और सारांश तैयार करने के लिये बाज़ार में उपलब्ध मानक पुस्तकों का अध्ययन करें।
- इससे परीक्षा के दौरान संपूर्ण पाठ्यक्रम को कुशलतापूर्वक संशोधित करने में मदद मिलती है।
- वर्णनात्मक उत्तर लेखन: चूँकि परीक्षा में उत्तर पुस्तिका में उत्तर लिखना आवश्यक होता है इसलिये अभ्यर्थियों को लेखन शैली, सटीकता और समय प्रबंधन पर ध्यान देना चाहिये।
- सटीक और संक्षिप्त उत्तर लिखने के लिये:
- विषय की व्यापक समझ होनी चाहिये।
- उत्तर-लेखन का निरंतर अभ्यास करना चाहिये।
- सटीक और संक्षिप्त उत्तर लिखने के लिये:
साक्षात्कार की रणनीति
साक्षात्कार किसी भी परीक्षा का अंतिम एवं महत्त्वपूर्ण चरण होता है। अंकों की दृष्टि से कम लेकिन अंतिम चयन एवं पद निर्धारण में इसका विशेष योगदान होता है।
UPPCS (प्रवर) परीक्षा में साक्षात्कार के लिये कुल 100 अंक निर्धारित किये गए हैं। आपका अंतिम चयन मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार में प्राप्त अंकों के योग के आधार पर तैयार की गई मेधा सूची (मेरिट लिस्ट) के आधार पर होता है। UPPCS साक्षात्कार चयन प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण चरण है। हालाँकि इसमें कम अंक (कुल में से 100) होते हैं, लेकिन अंतिम चयन और पद-आवंटन पर इसका प्रभाव महत्वपूर्ण होता है। निम्नलिखित रणनीति बताती है कि प्रभावी ढंग से तैयारी किस प्रकार करें:
उद्देश्य को समझना
- UPPCS साक्षात्कार में निम्नलिखित का मूल्यांकन किया जाता है:
- सामान्य जागरूकता: वर्तमान घटनाओं, सामाजिक मुद्दों और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य की जानकारी।
- बुद्धिमत्ता: विश्लेषणात्मक क्षमता और तार्किक कौशल।
- चरित्र और व्यक्तित्व: ईमानदारी, आत्मविश्वास और दबाव को संभालने की क्षमता।
- अभिव्यक्ति कौशल: विचारों की स्पष्टता और संचार कौशल।
- लोक सेवा के लिये उपयुक्तता: प्रशासनिक भूमिकाओं और ज़िम्मेदारियों की समझ।
तैयारी की रणनीति
- सामान्य जागरूकता में निपुणता
- समसामयिकी: नियमित रूप से द हिंदू या इंडियन एक्सप्रेस जैसे समाचार पत्र और योजना एवं कुरुक्षेत्र जैसी पत्रिकाएँ पढ़ें।
- परंपरागत सामान्य अध्ययन: भारतीय राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था, इतिहास, भूगोल और पर्यावरण संबंधी मुद्दों जैसे विषयों का पुनरावलोकन करें।
- उत्तर प्रदेश-विशिष्ट ज्ञान: उत्तर प्रदेश की संस्कृति, इतिहास, अर्थव्यवस्था, सरकारी योजनाओं और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों की बेहतर समझ रखें।
- शैक्षणिक ज्ञान में वृद्धि
- अपने वैकल्पिक विषय और विशेषज्ञता के क्षेत्रों पर पुनः विचार करें।
- इस बात का उत्तर देने के लिये तैयार रहें कि आपने अपना शैक्षणिक अनुशासन या कॅरियर पथ क्यों चुना।
- प्रशासनिक जागरूकता का विकास
- PCS अधिकारियों की भूमिका और ज़िम्मेदारियों को समझें।
- प्रमुख सरकारी नीतियों, योजनाओं और संवैधानिक प्रावधानों का अध्ययन करें।
- लोक प्रशासन सुधारों पर हाल की बहसों से अवगत रहें।
- संचार कौशल में सुधार
- उत्तरों में संक्षिप्तता, स्पष्टता और आत्मविश्वास पर ध्यान दें।
- मॉक साक्षात्कार और समूह चर्चा में भाग लें।
- एक सशक्त व्यक्तित्व का विकास
- बातचीत के दौरान ईमानदारी, सहानुभूति और नेतृत्व जैसे गुणों का प्रदर्शन करें।
- चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के दौरान शांत व्यवहार बनाए रखने पर कार्य करें।
- अति आत्मविश्वास और अहंकार से बचें।
निष्कर्ष
UPPCS परीक्षा के प्रत्येक चरण की अलग-अलग मांगों के अनुरूप बेहतर और अनुशासित रणनीति सफलता के लिये निर्णायक है। लगातार अभ्यास और आत्मविश्वास से यह सुनिश्चित होता है कि उम्मीदवार चुनौतियों का सामना करने के साथ इस प्रतिस्पर्द्धी परीक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें।