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“कैश फॉर क्वेरी” केस

  • 09 Jan 2024
  • 2 min read

"कैश फॉर क्वेरी" केस का आशय संसद सदस्य द्वारा संसद में प्रश्न करने के बदले में भुगतान स्वीकार करना है। हाल की एक घटना में, एक महिला सांसद सदस्य पर संसदीय सत्र के दौरान सरकार से सवाल करने हेतु रिश्वत लेने का आरोप लगा। आरोपों से पता चला कि उसने सवाल करने के बदले में उपहारों के साथ रिश्वत ली थी।

लोकसभा की आचार समिति द्वारा कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों की जाँच करने पर उक्त सदस्य को "अनैतिक आचरण" एवं सदन की अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया। जाँच से पता चला कि उसने लोकसभा सदस्य के पोर्टल की यूजर आईडी एवं पासवर्ड को अनाधिकृत व्यक्तियों के साथ साझा किया था। कथित तौर पर समिति ने सदन से उक्त सदस्य के निष्कासन की सिफारिश करते हुए अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी।

इस आलोक में उक्त संसद सदस्य ने तर्क दिया कि उन्हें चर्चा के दौरान सदन में बोलने का मौका नहीं दिया गया और कहा कि आचार समिति की रिपोर्ट "मूल रूप से त्रुटिपूर्ण" थी क्योंकि इसको संसद के किसी सदस्य के निष्कासन का प्रस्ताव करने का अधिकार नहीं है।

क्या आपको लगता है कि प्रश्न पूछने के बदले में उपहार स्वीकार करना संसदीय नैतिकता की अखंडता से समझौता है? संसदीय कार्यवाही की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बढ़ाने हेतु आप क्या कदम सुझाएँगे?

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