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आर्थिक सर्वेक्षण Vol-II

भारतीय अर्थव्यवस्था

अध्याय-10 (Vol-2)

  • 07 Jul 2020
  • 19 min read

प्रस्तावना: 

  • वर्ष 2014-15 से 2019-20 की अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर कुल खर्च में 1.5% की वृद्धि हुई है।
  • शिक्षा की पहुँच ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सभी स्तरों पर शिक्षा प्रणाली में भागीदारी को बेहतर बनाया है। 
  • औपचारिक रोज़गार में वर्ष 2011-12 के 8% की तुलना में वर्ष 2017-18 के 9.98% की वृद्धि हुई। 
  • देशभर में आयुष्मान भारत और मिशन इन्द्रधनुष के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में सुधार हुआ है।

सामाजिक क्षेत्र के व्यय में सुधार:

  • केंद्र एवं राज्यों द्वारा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं (शिक्षा, स्वास्थ्य एवं अन्य) पर खर्च वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 की अवधि के दौरान 1.5% बढ़कर 6.2 से 7.7% हो गया। 
  • इस अवधि के दौरान यह वृद्धि सभी क्षेत्रों में देखी गई। शिक्षा के क्षेत्र में यह वर्ष 2014-15 में हुए कुल खर्च 2.8% से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 3.1% रही। वहीँ स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह वृद्धि 1.2 से बढ़कर1.6% रही।
  • कुल सामाजिक सेवाओं पर हुए व्यय का हिस्सा कुल बजटीय व्यय वर्ष 2014-15 में 23.4% था जोकि वर्ष 2019-20 में बढ़कर 26% हो गया।

मानव विकास:

  • मानव विकास सूचकांक में सम्मिलित कुल 189 देशों में भारत की रैंकिंग वर्ष 2018 में एक स्थान बढ़ाकर 129 हो गई जबकि वर्ष 2017 में भारत की रैंकिंग 130वें स्थान पर थी।

HDR-2019

  • भारत 1.3% औसत वार्षिक HDI वृद्धि के साथ सबसे तेज़ी से सुधार करने वाले देशों में शामिल है जो चीन (0.95), दक्षिण अफ्रीका (0.78), रूस (0.69) और ब्राज़ील (0.59) से आगे है।

सभी के लिये शिक्षा:  

  • सतत् विकास लक्ष्य (SDG-4) के तहत वर्ष 2030 तक समस्त लोगों को समावेशी एवं समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है और साथ ही सभी के लिये आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा दिया गया है।
  • भारत में ‘बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009’ के अंतर्गत 6-14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य प्रदान की जाती है।
  • शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) स्कूली शिक्षा से संबंधित विभिन्न संकेतों के संबंध में आँकड़ों को एकत्रित करती है। UDISE के अनुसार, 2017-18 (अनन्तिम), 98.38% सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिये शौचालय की व्यवस्था है। जबकि 96.23% सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़कों के लिये शौचालय की व्यवस्था है। 97.13% सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पेयजल की सुविधा है जबकि 38.62% सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में रैंप की सुविधा है।
  • राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, संपूर्ण भारत के ग्रामीण- शहरी क्षेत्रों में स्थित सहायता प्राप्त निजी संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र सरकारी संस्थानों की तुलना में काफी अधिक राशि व्यय कर रहे है।

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  • सरकारी विघालयों/संस्थानों में प्रतिस्पर्द्धा के अभाव के कारण शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर काफी नीचे है जिसके फलस्वरूप अधिक-से-अधिक छात्र निजी संस्थानों में प्रवेश लेना पसंद करते हैं।

विद्यालयी शिक्षा पर कार्यक्रम एवं योजनाएँ: 

  • वर्ष 2017-18 तक प्रभावी ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जो एक केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना थी। प्राथमिक विघालयों में RTE अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये निर्दिष्ट किया गया था ताकि देश में प्राथमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण करने में राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों को सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
  • विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने वर्ष 2018-19 से विघालयी शिक्षा के लिये एकीकृत योजना ‘समग्र शिक्षा’ लॉन्च की जिसमें तीन पूर्ववर्ती केंद्रीय रूप से प्रायोजित योजनाओं-सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और शिक्षक शिक्षा को सम्मिलित किया गया है।
  • नवोदय विघालय योजना में देश के प्रत्येक ज़िले में एक जवाहर नवोदय विघालय खोलने का प्रावधान है ताकि ग्रामीण क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को सामने लाया जा सके।
  • प्रधानमंत्री अभिनव शिक्षण कार्यक्रम (ध्रुव) को शुरू करने का उद्देश्य प्रतिभावान छात्रों को चिन्हित करते हुए उनके कौशल एवं ज्ञान को समृद्ध करना हैं।
  • प्रौद्योगिकी सुविधा युक्त शिक्षण को और व्यापक बनाने के लिये राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं ताकि वे ‘दीक्षा’ प्लेटफॉर्म पर एक साथ आ सके।

कौशल विकास: 

  • आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, वर्ष 2017-18 में 15-59 वर्ष के उत्पादक आयु-समूह में केवल 13.53% ने प्रशिक्षण (2.26% औपचारिक व्यावसायिक/तकनीकी प्रशिक्षण एवं 11.27% ने अनौपचारिक प्रशिक्षण) प्राप्त किया है।
  • कौशल भारत मिशन के तहत भारत सरकार ने प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत की जो देश भर के सम्मिलित प्रशिक्षण केंद्रों/प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से बड़ी संख्या में भावी युवाओं को अल्पकालिक प्रशिक्षण लेने में समर्थ बनती है।
  • प्रशिक्षुता नीति के प्रचार-प्रसार के लिये प्रशिक्षुता नियमावली, 1992 में अनेक सुधार लागू किये गए हैं। जो निम्न प्रकार है:
    • प्रशिक्षुओं की नियुक्ति में कुल कर्मचारी संख्या कीे ऊपरी सीमा को 10-15% प्रशिक्षुता बढ़ाना।
    • प्रशिक्षुता के नियोजन को अनिवार्य करते हुए किसी स्थापना की आकार सीमा में 40 से 30 की कमी करना।
    • वैकल्पिक व्यवसाय के लिये प्रशिक्षुता परीक्षण की अवधि 6 माह से 3 वर्ष तक हो सकेगी।
    • निर्धारित छात्रवृत्ति की न्यूनतम राशि 5वीं से 9वीं पास विघार्थियों के लिये 5000/-रु प्रतिमाह तथा स्नातक या डिग्री धारक प्रशिक्षुओं के लिये किसी भी विषय-शाखा में 9000/-रु प्रतिमाह होगी।

भारत में रोज़गार की स्थिति: 

  • देश में रोज़गार पैदा करने के लिये विभिन्न कदम उठाए गए हैं जैसे- निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना, बड़े निवेश वाली फास्ट ट्रैकिंग विभिन्न परियोजनाएँ, प्रधानमंत्री का रोज़गार जेनरेशन कार्यक्रम, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना, पं. दीनदयालय उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना और दीनदयाल अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय शहरी (आजीविका) मिशन जैसी स्कीमों पर सार्वजनिक व्यय में बढ़ोत्तरी।
  • अनियत श्रम श्रेणी में कामगारों के वितरण में ग्रामीण क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई। जोकि वर्ष 2011-12 के 30% से घटकर वर्ष 2017-18 में 25% दर्ज़ की गई।

रोज़गार का औपचारिकीकरण:

  • जीएसटी लागू करने, भुगतान के डिजिटलीकरण, बैंक खातों में सब्सिडी/छात्रावृत्ति/मज़दूरी और वेतन के सीधे लाभांतरण, जनधन खातों के खुलने, ज़्यादा कामगारों के लिये सामाजिक सुरक्षा कवरेज का विस्तार करने के माध्यम से भारत सरकार अर्थव्यवस्था को एक औपचारिक रूप देने का प्रयास कर रही है।
  • उघोगों के वार्षिक सर्वेक्षण के अनुसार, संगठित विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 और वर्ष 2017-18 के बीच इस क्षेत्र में लगे श्रमिकों की कुल संख्या में 14.69 लाख की वृद्धि देखी गई है।
  • वर्ष 2019-20 तक के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के वेतन पत्रक डाटा वर्ष 2018-19 में 61.12 लाख की तुलना में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अभिदाता के रूप में 55.6 लाख निवल वृद्धि को दर्शाता है।
  • संगठित क्षेत्र में श्रमिकों के अनुपात में वर्ष 2011-12 में 17.3% की तुलना में वर्ष 2017-18 में 19.2% की वृद्धि हुई है।

रोज़गार का लिंगात्मक आयाम:

a) श्रम बाज़ार में महिलाओं की सहभागिता: 

  • NSO-EUS (Employment Unemployment Survey) और ‘Periodic Labour Force Survey’ (PLFS) के अनुमानों के अनुसार, उत्पादक आयु-समूह (15-59 वर्ष) के लिये महिला श्रम बल सहभागिता दर (LFPR) की सामान्य स्थिति (Usual Status- PS+SS) गिरावट का रुझान दर्शाती है।
  • महिला श्रम बल सहभागिता वर्ष 2011-12 में 33.1% से 7.8 प्रतिशतांक गिर कर वर्ष 2017-18 में 25.3% रह गई। हालाँकि महिला श्रम बल सहभागिता दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में उच्चतम है।

महिला कार्यसहभागिता में सुधार लाने के लिये पहलें:

  • महिला कामगारों के लिये सौहार्दपूर्ण कार्यात्मक माहौल बनाने के लिये विभिन्न कार्यालयों में शिशु देख-रेख केंद्र, शिशुओं को दूध पिलाने के लिये समय देना, सवेतन मातृत्व छुट्टी को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना, 50 या इससे अधिक कर्मचारी नियोजित करने वाले प्रतिष्ठानों में अनिवार्य क्रेच सुविधा का प्रावधान, महिला कामगारों को पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ रात्रि कालीन-पालियों में अनुमति देना आदि अनेक संरक्षात्मक प्रबंध किये गए है।
  • इसके अतिरिक्त पूरे देश में महिला सशक्तीकरण के लिये विभिन्न पहले कार्यान्वित की गई है। जिनमें शामिल है:
    • कार्यस्थल पर महिला सुरक्षा
    • महिला शक्ति केंद्र योजना
    • सुरक्षित एवं सस्ते आवास की व्यवस्था
    • महिला हेल्पलाइन योजना
    • एक ही स्थान पर सेवा केंद्र
    • महिला उघमशीलता
    • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम
    • दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

निवारक स्वास्थ सेवा:

  • निवारक स्वास्थ्य देखभाल में वर्ष 2022 तक 1.5 लाख आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना करना प्रस्तावित है। 
  • आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जो विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, चिंहित गरीबों की वहनीय स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • इस योजना को क्रमशः ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लिये सामाजिक-आर्थिक जाति आधारित जनगणना के अनुसार वंचन एवं व्यावसायिक कसौटी के आधार पर लागू किया गया है।
  • इंद्रधनुष मिशन के अंतर्गत देशभर के 680 ज़िलों के 3.39 करोड़ बच्चों तथा 87.18 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है।
  • ई-सिगरेट जैसे मुख्य उत्पादों के माध्यम से युवा एवं बच्चों में नशे की लत की आशंका को देखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में ई-सिगरेटों के हर प्रकार के वाणिज्यिक कार्यकलापों को प्रतिबंधित किया है।

चिकित्सीय अवसंरचना:

  • चिकित्सक एवं जनसंख्या के WHO के 1ः1000 के मापदंड की तुलना में भारत में चिकित्सक एवं जनसंख्या अनुपात 1: 1456 है जो चिकित्सकों की कमी को दर्शाता है जिससे निपटने के लिये ज़िला अस्पतालों को चिकित्सा महाविघालयों के रूप में अपग्रेड करने के लिये उल्लेखनीय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
  • चिकित्सा महाविघालयों में स्नात्तक एवं स्नात्तकोत्तर सीटों के मानकों को संशोधित किया है। MBBS की अधिकतम प्रवेश संख्या 150 को बढ़ाकर 250 कर दिया गया है।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के तहत प्रख्यापित किया गया है। AIIMS एवं GIPMER समेत सभी चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये सामान्य प्रवेश परीक्षा NEET-UG की शुरुआत करने के बारे में भी सुधार किये गए हैं।

सबके लिये घर:

  • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-R) और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) वर्ष 2022 तक सबके लिये घर के लक्ष्य को हासिल करने के लिये दो महत्त्वपूर्ण योजनाएँ हैं।
  • प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अंतर्गत वर्ष 2014-15 मे 11.95 लाख घरों की अपेक्षा वर्ष 2018-19 में 47.33 लाख घरों के निर्माण कार्य में चार गुना से अधिक की गई वृद्धि की गई है। 
    • 1 जनवरी, 2020 को सामाजिक समूहों की रेंज को शामिल करते हुए जिसमें वरिष्ठ नागरिक, निर्माण कार्य से जुड़े श्रमिक, घरेलू कामगार, कारीगर, दिव्यांग, ट्रांसजेडर और कुष्ठ रोगियों को शामिल करते हुए योजना ने सामाजिक व्यापकता को बढ़ावा दिया है एवं महिलाओं को घरों का स्वामित्व देते हुए महिला सशक्तीकरण में सुधार किया हैं।

पेयजल एवं स्वछता: 

  • पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जलशक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) ने 10 वर्षीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यनीति (2019-2029) शुरू की है जो स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत हासिल किये गए सतत् स्वच्छता व्यवहार परिवर्तन बरकरार रखने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • स्वच्छ सर्वेक्षण-ग्रामीण, 2019 में देशभर में 698 ज़िलों में 17,450 गाँवों को सम्मिलित किया गया और इसमें विघालयों, आँगनवाड़ी केंद्रों, जन स्वास्थ्य केंद्रों, हाट/बाज़ारों/धार्मिक स्थानों के 87,250 सार्वजनिक स्थान शामिल है जिससे यह भारत का सबसे बड़ा ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण बन गया है।
  • जल शक्ति अभियान, भारत में जल के अभावग्रस्त ब्लाॅकों एवं ज़िलों में जल संरक्षण क्रियाकलापों पर प्रगति को और अधिक गतिशील करने के लिये आरंभ किया गया था। जल शक्ति अभियान द्वारा 256 ज़िलों में 3.5 लाख से ज़्यादा जल संरक्षण संबंधी उपाय किये गए हैं। इनमें से 1.54 लाख जल संरक्षण एवं जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने से संबंधित हैं। 65,000 से ज़्यादा उपाय दोबारा उपयोग एवं पुनर्भरण संरचनाओं से संबंधित हैं और 1.23 लाख (वाटर शेड) जल विभाजक विकास परियोजनाएँ हैं।  

निष्कर्ष: 

  • ‘सबका साथ-सबका विकास एवं सबका विश्वास’ के आदर्श वाक्य के साथ सरकार के प्रयासों से सामाजिक सेवाओं तक लोगों की पहुँच बेहतर हुई है।
  • गत वर्षों के दौरान, ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में सभी स्तरों पर शिक्षा में भागीदारी से स्थिति सुधरी है।
  • आईटीआई के विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण में वृद्धि हुई है।
  • आयुष्मान भारत के अंतर्गत निःशुल्क नैदानिक सेवाएँ एचडब्ल्यूसी, पीएचसी, सीएचसी और डीएच में उपलब्ध कराई जा रही है साथ ही निःशुल्क औषधि सेवाएँ स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में उपलब्ध कराई जाती है।
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