रैपिड फायर
अमेरिका- रूस अलास्का शिखर सम्मेलन
- 19 Aug 2025
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अमेरिका- रूस अलास्का शिखर सम्मेलन बिना किसी अंतिम समझौते के समाप्त हो गया, जिससे रूस-यूक्रेन विवाद अनसुलझा रह गया। इसकी विफलता ने भारत के रूसी तेल आयात पर शुल्कों को लेकर अमेरिका-भारत संबंधों में संभावित चुनौतियों को उजागर कर दिया है।
- अमेरिकी टैरिफ पर भारत की चिंताएँ: अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर संयुक्त रूप से 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसमें मौज़ूदा 25% टैरिफ और अतिरिक्त 25% टैरिफ शामिल है।
- इससे भारत के व्यापारिक संबंधों में भारी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है, अमेरिकी बाज़ार में भारतीय वस्तुओं की लागत बढ़ सकती है तथा आर्थिक वार्ताएँ जटिल हो सकती हैं।
- अमेरिका का लक्ष्य भारत जैसे आयातकों (जो अपने कच्चे तेल का 35-40% रूस से आयात करता है) पर दबाव डालकर रूस के तेल राजस्व में कटौती करना है। अमेरिकी कॉन्ग्रेस में एक विधेयक में रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था में मदद करने वाले देशों पर 500% तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव है।
- भारत की सामरिक स्वायत्तता: भारत का लक्ष्य सामरिक स्वायत्तता बनाए रखना, रूस और अमेरिका के साथ संबंधों को संतुलित करना तथा अपने व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा विकल्पों को राष्ट्रीय हित से प्रेरित रखना है।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: अमेरिका-रूस अलास्का शिखर सम्मेलन में शांति समझौते को अंतिम रूप देने में विफलता से रूस-यूक्रेन संघर्ष के आसपास अनिश्चितता बनी हुई है, वैश्विक कूटनीतिक प्रयास जटिल हो रहे हैं तथा सुरक्षा गारंटी, क्षेत्रीय रियायतें और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की भूमिका पर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
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