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चोरी हो चुकी सांस्कृतिक वस्तुओं का आभासी संग्रहालय

  • 15 Oct 2025
  • 14 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

यूनेस्को ने चुराई गई सांस्कृतिक वस्तुओं का एक आभासी संग्रहालय शुरू किया है, जो एक डिजिटल मंच है जिसका उद्देश्य समुदायों को उनकी चुराई हुई विरासत से पुनः जोड़ना और सांस्कृतिक कलाकृतियों की अवैध तस्करी पर रोक लगाना है।

  • परिचय: इसे MONDIACULT 2022 सम्मेलन में घोषित किये जाने के तीन वर्ष बाद, सांस्कृतिक नीतियों और सतत् विकास पर विश्व सम्मेलन (MONDIACULT 2025) में लॉन्च किया गया था।
    • MONDIACULT 194 यूनेस्को सदस्य देशों का एक मंत्रिस्तरीय मंच है जो वैश्विक सांस्कृतिक एजेंडा निर्धारित करता है, जिसका आयोजन यूनेस्को द्वारा किया जाता है और जिसकी मेज़बानी स्पेन द्वारा की जाती है।
  • उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, सांस्कृतिक संपत्ति की पुनर्प्राप्ति में सहयोग देना तथा विशेष रूप से उपनिवेशवाद से जुड़ी सांस्कृतिक वस्तुओं की अवैध तस्करी का मुकाबला करना है, ताकि इन वस्तुओं को अंततः उनके वास्तविक उत्तराधिकारी को लौटाया जा सके।
  • विशेषताएँ: इसमें 46 देशों से लगभग 240 गुम वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें AI-जनरेटेड 3D मॉडल और इंटरैक्टिव एक्सेस का उपयोग किया गया है तथा वस्तुओं के वापस आने पर इनकी संख्या में कमी आने की उम्मीद है।
  • प्रदर्शित भारतीय कलाकृतियाँ:
    • छत्तीसगढ़ के पाली स्थित महादेव मंदिर से प्राप्त नटराज की आकृति (9वीं शताब्दी की बलुआ पत्थर की मूर्ति), जो शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य का प्रतिनिधित्व करती है।
    • तीन मुखों, चार भुजाओं वाली ब्रह्मा की मूर्ति, ललितासन में बैठी हुई, जो सृजन और ज्ञान का प्रतीक है।
  • महत्त्व: यह विरासत संरक्षण का समर्थन करता है, स्रोत समुदायों को शामिल करता है, भौतिक प्रत्यावर्तन के लिये एक डिजिटल विकल्प प्रदान करता है और संरक्षण के बिना औपनिवेशिक शोषण हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में कार्य करता है।

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