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निएंडरथल से मिला नाक का आकार

  • 22 May 2023
  • 6 min read

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) तथा फुडान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा विश्व भर के शोधकर्त्ताओं के सहयोग से किये गए हालिया शोध ने मानव नाक को प्रभावित करने वाले आनुवंशिक कारकों पर प्रकाश डाला है। 

  • अध्ययन ने नाक से जुड़े आनुवंशिक जीन की अवस्थिति की पहचान की है, जिसमें निएंडरथल वंश से प्रभावित जीन अवस्थिति भी शामिल है।

शोध की मुख्य विशेषताएँ: 

  • आनुवंशिक अध्ययन: 
    • अध्ययन के अंतर्गत द्वि-आयामी (2D)  छवियों का विश्लेषण किया गया और 6,000 से अधिक लैटिन अमेरिकी व्यक्तियों में चेहरे के विभिन्न हिस्सों के मध्य की दूरी को मापा गया 
    • शोध ने नाक से जुड़े 42 नवीन आनुवंशिक जीनों (लोकी) की पहचान की, जिनमें से 26 में एशियाई, यूरोपीय और अफ्रीकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों की वैश्विक आबादी में दोहराव देखा गया।
      • एक 'लोकस' जिसका बहुवचन 'लोकी', होता है, मानव गुणसूत्र में एक विशेष जीन की स्थिति है।
    • एक विशिष्ट बिंदुपथ, 1q32.3, पहले निएंडरथल मानव के आनुवंशिक योगदान से जुड़ा था, साथ ही मध्य चेहरे की ऊँचाई को प्रभावित करने वाले कारक के रूप में पाया गया था।
      • 1q32.3 बिंदुपथ में जीन ATF3 (सक्रियण प्रतिलेखन कारक-3) होता है, जो कपाल और चेहरे के विकास में शामिल फोर्कहेड बॉक्स L2 (FOXL2) जीन द्वारा नियंत्रित होता है।
  • निएंडरथल की विरासत: 
    •  आनुवंशिक साक्ष्य बताते हैं कि निएंडरथल और प्रारंभिक मनुष्यों की प्रजनन क्रिया के परिमाणस्वरूप मानव आबादी में निएंडरथल आनुवंशिक अनुक्रमों का अंतर्मुखीकरण हुआ।
    • वर्ष 2022 में फिज़ियोलॉजी और मेडिसिन के लिये नोबेल पुरस्कार विजेता, विकासवादी आनुवंशिकीविद् स्वांते पाबो के प्रभावशाली काम ने निएंडरथल और डेनिसोवन्स के साथ आधुनिक मनुष्यों जैसे पुरातन होमिनिड्स के बीच इंटरब्रीडिंग घटनाओं में महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की है।
      • इस इंटरब्रीडिंग ने हमारी प्रजातियों पर स्थायी आनुवंशिक छाप छोड़ी है, जो विभिन्न लक्षणों एवं रोग संवेदनशीलताओं को प्रभावित करती है।
      • गैर-अफ्रीकी समूहों में वर्तमान में 1-2% निएंडरथल DNA है, जो इस इंटरब्रिडिंग घटना की आनुवंशिक विरासत का प्रदर्शन करता है।
    • नाक के आकार के अलावा निएंडरथल आनुवंशिक योगदान को मनुष्यों द्वारा रोगजनकों एवं कुछ त्वचा तथा रक्त स्थितियों, कैंसर और यहाँ तक कि अवसाद के प्रति उनकी संवेदनशीलता के प्रति प्रतिक्रिया को जोड़कर देखा गया है।
    • यह अध्ययन जिसमें दिखाया गया है कि कैसे निएंडरथल और डेनिसोवन के जीनोम का समकालीन मानव जीव विज्ञान एवं स्वास्थ्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। 
  • जीनोमिक अनुसंधान का भविष्य: 
    • आनुवंशिक अनुसंधान का एक आकर्षक क्षेत्र इंटरब्रीडिंग घटनाओं एवं उनके प्रभावों का विश्लेषण है।
    • जैसा कि अधिक अध्ययन पुरातन और आधुनिक मानव जीनोम के बीच परस्पर क्रिया की हमारी समझ में योगदान करते हैं, हम अपनी आनुवंशिक विरासत की अधिक व्यापक छवि प्राप्त करेंगे।
    • इस ज्ञान में रोगों के अध्ययन में क्रांति लाने और मानव आनुवंशिक विविधता के जटिल टेपेस्ट्री के लिये हमारी प्रशंसा बढ़ाने की क्षमता है।

निएंडरथल: 

  • परिचय: 
    • निएंडरथल लगभग 400,000 से 40,000 वर्ष पहले यूरेशिया में रहते थे।
    • वे पुरातन मानवों की एक प्रजाति थे जो एक सामान्य पूर्वज साझा करने वाले आधुनिक मनुष्यों से निकटता से संबंधित थे।
  • शारीरिक विशेषताएँ:
    • निएंडरथल के शरीर का गठन मज़बूत और गठीला था, जो ठंडे वातावरण में जीवित रहने के लिये अनुकूलित था।
    • उनकी विशिष्ट शारीरिक विशेषताएँ थीं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
      • प्रमुख भौंह रिज
      • बड़ी नाक
      • पीछे हटती ठुड्डी 
  • कौशल और उपकरण: 
    • निएंडरथल कुशल शिकारी और औज़ार बनाने वाले थे।
    • ये विभिन्न उद्देश्यों के लिये पत्थर के औज़ारों और हथियारों का उपयोग करते थे जो उनकी अनुकूलन क्षमता और संसाधनशीलता को दर्शाता है।
  • सांस्कृतिक परिष्कार: 
    • निएंडरथल की एक परिष्कृत संस्कृति थी, जैसा कि इसका सबूत है:
      • प्रतीकात्मक व्यवहार जैसे गुफा चित्र और व्यक्तिगत आभूषण।
      • दफन अनुष्ठान, मृत्यु के बारे में जागरूकता और संभवतः आध्यात्मिक विश्वासों का संकेत देते हैं।
      • कलात्मक भाव, उनकी रचनात्मकता और संज्ञानात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन करना।

स्रोत: द हिंदू

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