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सुग्गी प्रवास

  • 21 May 2025
  • 3 min read

स्रोत: TH

प्रत्येक गर्मी के मौसम के दौरान, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा से हज़ारों परिवार मौसमी प्रवास पर निकलते हैं, जिसे स्थानीय रूप से सुग्गी (Suggi) के नाम से जाना जाता है।

  • सुग्गी प्रवास के कारण: रायलसीमा में कृषि पूरी तरह से मानसूनी वर्षा (जून-सितंबर) पर निर्भर है। जलसंकट के कारण कोई द्वितीयक फसल का मौसम नहीं होता।
    • गर्मियों में तालाब और पोखर सूख जाते हैं, जिससे पूरे गाँव में पेयजल या सिंचाई के लिये जल उपलब्ध नहीं रहता है। बोरवेल की विफलता और सिंचाई परियोजनाओं के अभाव से संकट और भी बढ़ जाता है।
    • गैर-कृषि नौकरियों की कमी ग्रामीण श्रमिकों को पलायन करने के लिये मज़बूर करती है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत कर्नूल में 307 रुपए प्रतिदिन का भुगतान किया जाता है, लेकिन विलंब से भुगतान होने के कारण यह अविश्वसनीय है। 
      • इसके विपरीत, मिर्च की कटाई जैसे प्रवासी कार्य में लगभग 1,000 रुपए प्रतिदिन का भुगतान किया जाता है, जिससे यह अधिक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
    • सुग्गी सूखे, अविकसित बुनियादी ढाँचे और पलायन के चक्र में फँसी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को दर्शाती है।
  • समाधान: मौसमी संकट के इस चक्र से बहार निकलने के लिये सिंचाई के बुनियादी ढाँचे को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, कृष्णा नदी से 50 हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट जल रायलसीमा की ओर मोड़ने के लिये एक वीयर (छोटा बाँध) बनाना समाधान हो सकता है।
  • रायलसीमा: यह दक्षिणी आंध्र प्रदेश का एक अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र है, जिसमें अनंतपुर, चित्तूर, कडप्पा और कर्नूल ज़िले शामिल हैं। इस क्षेत्र से पेन्ना और उसकी सहायक नदी पापाग्नि प्रवाहित होती हैं।

Rayalaseema

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