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‘सेवा तीर्थ’

  • 04 Dec 2025
  • 12 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

केंद्रीय गृहमंत्री ने सेंट्रल विस्टा परिसर में आने वाले नए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को ‘सेवा तीर्थ’ के रूप में संदर्भित किया और इसे भारत के प्रशासनिक विकास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में माना गया।

  • यह शब्द सेवा पर आधारित नागरिक-केंद्रित शासन की ओर परिवर्तन को दर्शाता है, जो भारतीय राजनीतिक दर्शन में सेवा की व्यापक भावना के अनुरूप है।
  • ‘सेवा तीर्थ’ का प्रतीकात्मक अर्थ:
    • आध्यात्मिक-प्रशासनिक संगम: ‘तीर्थ’ शब्द, जो पारंपरिक रूप से तीर्थस्थलों को दर्शाता है, यह गांधीवादी आदर्श को मज़बूत करता है कि सार्वजनिक कार्यालय सेवा का माध्यम होना चाहिये, विशेषाधिकार का नहीं।
      • यह प्रशासनिक स्थानों को नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण से देखने की भावना को भी पुष्ट करता है, न कि अलग-थलग नौकरशाही के केंद्र के रूप में।
    • प्रतीकात्मक शासन: यह ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के सिद्धांत की प्रतिध्वनि करता है। PMO को ज़िम्मेदारी, पारदर्शिता और नागरिक-संवेदनशीलता के स्थान के रूप में प्रस्तुत करता है।
  • सेंट्रल विस्टा परियोजना: पुनर्निर्मित PMO व्यापक सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है।
    • वर्ष 1931 में सेंट्रल विस्टा में राष्ट्रपति भवन, उत्तर एवं दक्षिण ब्लॉक, नया संसद भवन, राष्ट्रीय अभिलेखागार, इंडिया गेट और कर्त्तव्य पथ के साथ नागरिक उद्यान शामिल थे।
    • सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास का उद्देश्य नई दिल्ली में प्रशासनिक दक्षता, स्थिरता और सार्वजनिक स्थानों को बढ़ाना है।

और पढ़ें: कर्त्तव्य पथ

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