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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 नवंबर, 2023

  • 27 Nov 2023
  • 10 min read

गर्म तापमान के कारण असम में बड़े पैमाने पर कीटों का हमला 

लंबे समय तक लगातार गर्म तापमान के कारण असम में गंभीर कीट (अर्थात् मिथिम्ना सेपरेटा) का प्रकोप हो सकता है, जिसने कम-से-कम 15 ज़िलों में लगभग 28,000 हेक्टेयर धान की फसल को नुकसान पहुँचाया है।

  • कीट (मिथिम्ना सेपरेटा) को कान काटने वाली इल्ली, धान की बाली काटने वाली इल्ली या आर्मीवर्म के नाम से जाना जाता है। यह पत्तियों को खाता है और फसल के पौधे के तने से बालियों को काटता है, जिससे खेत अक्सर ऐसा दिखता है मानो इसे मवेशियों ने चर लिया हो।
  • उष्ण वातावरण में रोगों और कीटों के वितरण तथा संचरण में परिवर्तन को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारक वर्षा एवं तापमान में भिन्नता है।
  • वैश्विक तापमान में हर छोटी वृद्धि से कीड़ों का जीवनचक्र कम हो जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप कीटों की संख्या में वृद्धि होगी, पीढ़ियों में वृद्धि होगी, भौगोलिक सीमा और वृद्धि के मौसम का विस्तार होगा, प्रवासी कीटों का आक्रमण एवं शीतकाल के उच्च जोखिम होंगे।

और पढ़ें… आर्मीवर्म का हमला, सफेद मक्खी

गाज़ा में मानवीय विराम

कतर ने इज़रायल और हमास के बीच सफलतापूर्वक मध्यस्थता की, जिससे कतर, मिस्र और संयुक्त राज्य अमेरिका की सहायता से चार दिन का मानवीय विराम लगा। हालाँकि यह युद्धविराम नहीं है, इस समझौते का उद्देश्य संभावित विस्तार के अधीन गाज़ा को राहत पहुँचाना है।

  • संयुक्त राष्ट्र "मानवीय विराम" को "मानवीय उद्देश्यों के लिये शत्रुता की अस्थायी समाप्ति" के रूप में परिभाषित करता है। इस तरह के ठहराव सामान्यतः एक परिभाषित अवधि और एक विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित होते हैं जहाँ मानवीय गतिविधियाँ की जानी होती हैं।
  • दूसरी ओर, युद्धविराम लंबे समय तक जारी रहता है। संयुक्त राष्ट्र इसे "संघर्ष के पक्षों द्वारा सामान्यतः एक राजनीतिक प्रक्रिया के हिस्से के रूप में सहमत लड़ाई के निलंबन" के रूप में परिभाषित करता है, जिसका लक्ष्य "स्थायी राजनीतिक समाधान तक पहुँचने की संभावना सहित विभिन्‍न पक्षों को वार्त्ता में शामिल होने की अनुमति देना" है।   

और पढ़ें… इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष, गाज़ा पट्टी पर UNSC का प्रस्ताव

गिरीश चंद्र मुर्मू बाह्य लेखापरीक्षकों के संयुक्त राष्ट्र पैनल के उपाध्यक्ष चुने गए

भारत के वर्तमान नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) गिरीश चंद्र मुर्मू को वर्ष 2024 के लिये बाह्य लेखापरीक्षकों के संयुक्त राष्ट्र पैनल का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो वैश्विक लेखापरीक्षा प्रशासन में भारत की भागीदारी में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

  • यह पद न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित बाह्य लेखापरीक्षकों के पैनल के बासठवें सत्र के दौरान प्रदान किया गया था।
  • वैश्विक स्तर पर 12 सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों (Supreme Audit Institutions- SAI) के प्रमुखों से गठित बाह्य लेखापरीक्षकों का पैनल, संयुक्त राष्ट्र सचिवालय, वित्तीयन एवं कार्यक्रमों तथा विशेष अभिकरणों के बाह्य लेखापरीक्षा का अनुवीक्षण करता है।
    • उनकी ज़िम्मेदारियों में वित्तीय तथा दक्षता लेखापरीक्षा समेत संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के अंतर्गत अनुपालन सुनिश्चित करने जैसे व्यापक उत्तरदायित्व शामिल हैं।
  • इसमें कनाडा, चिली, चीन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, फिलीपींस, रूस, स्विट्ज़रलैंड तथा यूनाइटेड किंगडम के प्रतिनिधि शामिल हैं।

और पढ़ें…नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG)

प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिये ज़ीरो ड्राफ्ट टेक्स्ट

हाल ही में अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC-3) का तीसरा सत्र केन्या के नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) मुख्यालय में संपन्न हुआ।

  • यह सत्र समुद्री पर्यावरण से संबंधित चिंताओं को शामिल करते हुए प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतर्राष्ट्रीय वैधानिक बाध्यकारी उपकरण के विकास पर केंद्रित था।
  • हालाँकि प्रगति के दौरान चुनौतियाँ उभरी हैं क्योंकि INC-3 को प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतर्राष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण के ज़ीरो ड्राफ्ट टेक्स्ट पर आम सहमति तक पहुँचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  • INC-3 का ज़ीरो ड्राफ्ट समुद्री पर्यावरण पर ज़ोर देते हुए प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतर्राष्ट्रीय वैधानिक बाध्यकारी उपकरण के लिये प्रस्तावित तत्त्वों की रूपरेखा तैयार करता है।
    • इसका उद्देश्य प्रभावी कार्यान्वयन के लिये महत्त्वपूर्ण तकनीकी, नियामक, संस्थागत और प्रक्रियात्मक तत्त्वों को शामिल करते हुए रोकथाम, विनियमन तथा शमन सुनिश्चित करना है।
    • भारत सक्रियता के साथ इस विकास का समर्थन करता है और INC प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
  • INC-4 और INC-5 की मेज़बानी अब से कुछ महीने बाद क्रमशः ओटावा, कनाडा द्वारा और नवंबर 2024 में बुज़ान, दक्षिण कोरिया द्वारा की जानी है।

और पढ़ें… वर्ष 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण का उन्मूलन, अंतर-सरकारी वार्ता समिति

गुरु नानक जयंती

भारत के राष्ट्रपति ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर नागरिकों को शुभकामनाएँ दीं।

  • गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपर्व के नाम से भी जाना जाता है, सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के रूप में मनाई जाती है।
    • यह त्योहार कार्तिक महीने के पंद्रहवें चंद्र दिवस पर मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर में पड़ता है।
  • गुरु नानक देव (1469-1539) का जन्म लाहौर के पास तलवंडी राय भो नामक गाँव में हुआ था (बाद में इसका नाम बदलकर ननकाना साहिब कर दिया गया)।
  • गुरु नानक देव ने 16वीं शताब्दी में अंतर-धार्मिक संवाद की शुरुआत की थी और अपने समय के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के साथ वार्ता की थी।
  • गुरु नानक देव द्वारा लिखी गई रचनाओं को पाँचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन (1563-1606) द्वारा आदि ग्रंथ में एकीकृत किया गया था।
    • बाद में 10वें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708) द्वारा इसे बढ़ाया गया, यह गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में विकसित हुआ।
  • गुरु नानक देव की समानता के प्रति प्रतिबद्धता उन सामाजिक संस्थाओं में स्पष्ट है, जिनका उन्होंने समर्थन किया था: लंगर (सामूहिक रूप से भोजन पकाना और साझा करना), पंगत (ऊँची और नीची जाति के भेदभाव के बिना भोजन में भाग लेना) तथा संगत (सामूहिक निर्णय लेना)।
    • उन्होंने जाति, पंथ और लिंग के भेदभाव से परे समानता का समर्थन किया।

और पढ़ें… गुरु नानक देव जयंती, गुरु नानक देव 

लचित दिवस

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने लचित दिवस (24 नवंबर वार्षिक) पर लचित बोरफुकन को श्रद्धांजलि अर्पित की।

  • लचित बोरफुकन भारत के वर्तमान असम में स्थित अहोम साम्राज्य में एक सेनापति तथा बोरफुकन (वायसराय) थे।
  • उन्हें वर्ष 1671 में सरायघाट के युद्ध में उनके नेतृत्व के लिये जाना जाता है, जहाँ उन्होंने असम को जीतने के लिये औरंगज़ेब द्वारा भेजी गई मुगल सेना को हराया था।
  • उनका जन्म 24 नवंबर, 1622 को अहोम प्रशासन के एक उच्च पदस्थ अधिकारी मोमई तामुली बोरबरुआ के यहाँ हुआ था।
  • उन्हें असम की ऐतिहासिक स्वायत्तता तथा सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
  • उनकी जयंती प्रत्येक वर्ष 24 नवंबर को राज्य भर में लचित दिवस के रूप में मनाई जाती है।
  • वर्ष 1999 में स्थापित लचित बोरफुकन गोल्ड मेडल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को प्रदान किया जाता है।

और पढ़ें…अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बोरफुकन

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