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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 दिसंबर, 2021

  • 24 Dec 2021
  • 5 min read

आर्मी सिक्‍योर इंडिजिनियस मैसेजिंग एप्लीकेशन

भारतीय सेना ने एक आधुनिक मैसेजिंग एप्लीकेशन- ‘आर्मी सिक्‍योर इंडिजिनियस मैसेजिंग एप्लीकेशन’ (ASIGMA) का शुभारंभ किया है। यह नई पीढ़ी का आधुनिक वेब आधारित एप्लीकेशन है। इसे सेना के सिग्‍नल्‍स कोर के अधिकारियों के समूह द्वारा विकसित किया गया है। इसे पिछले 15 वर्ष से कार्यरत ‘आर्मी वाइड एरिया नेटवर्क मेसेजिंग’ (AWAN) एप्लीकेशन के स्‍थान पर सेना के आंतरिक नेटवर्क पर लगाया जा रहा है। यह वेब एप्लीकेशन एक नई पीढ़ी, अत्याधुनिक, वेब-आधारित एप्लीकेशन है। इस एप्लीकेशन में कई प्रकार की अत्याधुनिक विशेषताएँ हैं, जिनमें बहु-स्तरीय सुरक्षा, संदेश प्राथमिकता और ट्रैकिंग, गतिशील वैश्विक पता पुस्तिका और सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विभिन्न विकल्प शामिल हैं। भविष्य हेतु तैयार यह मैसेजिंग एप्लीकेशन सेना के रीयल-टाइम डेटा ट्रांसफर और मैसेजिंग आवश्यकताओं को पूरा करेगी, यह विशेष रूप से वर्तमान भू-राजनीतिक सुरक्षा वातावरण की पृष्ठभूमि में और साथ ही भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप है। 

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस

देश में उपभोक्ताओं के महत्त्व, उनके अधिकारों और दायित्त्वों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। भारत की एक बड़ी आबादी अशिक्षित है, जो अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ है, लेकिन उपभोक्ता अधिकारों के मामले में शिक्षित लोग भी अपने अधिकारों के प्रति उदासीन नज़र आते हैं। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये प्रतिवर्ष इस दिवस का आयोजन किया जाता है। वर्ष 1986 में इसी दिन राष्ट्रपति ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को मंज़ूरी दी थी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण जैसे- दोषयुक्त सामान, असंतोषजनक सेवाओं और अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम ‘सतत् उपभोक्ता’ है। यह थीम वैश्विक स्वास्थ्य संकट, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान आदि से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है। ज्ञात हो कि वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का आयोजन किया जाता है।

सिल्वरलाइन परियोजना

केरल की सिल्वरलाइन परियोजना के खिलाफ राज्य भर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किये जा रहे हैं, यह एक सेमी हाई-स्पीड रेलवे परियोजना है जिसमें राज्य के उत्तरी और दक्षिणी छोर के बीच 200 किमी/घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों के संचालन की परिकल्पना की गई है। केरल सरकार द्वारा चलाई जा रही 63,940 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना को सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना योजनाओं में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। इस परियोजना के तहत 11 स्टेशनों के माध्यम से 11 राज्यों के 11 ज़िलों को कवर किया जाना है। परियोजना के पूरा होने पर कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक के सफ़र को मात्र 4 घंटों में पूरा किया जा सकेगा, जबकि वर्तमान में भारतीय रेलवे के माध्यम से इस सफर को तय करने में कुल 12 घंटे से अधिक समय लगता है। इस परियोजना को ‘केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (KRDCL) द्वारा वर्ष 2025 तक पूरा किया जाएगा। हालाँकि कई राजनीतिक समूहों द्वारा यह तर्क देते हुए इस परियोजना का विरोध किया जा रहा है कि यह परियोजना आर्थिक रूप से पूर्णतः अलाभकारी है और इसके कारण लगभग 30000 परिवारों को विस्थापन का सामना करना पड़ेगा, साथ ही इस परियोजना के कारण वृक्षों के नुकसान का भी सामना करना पड़ेगा।

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