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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 अगस्त, 2021

  • 16 Aug 2021
  • 6 min read

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस

हाल ही में भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में आयोजित करने की घोषणा की है। इसके आयोजन का उद्देश्य विभाजन के दौरान आम जनमानस द्वारा झेले गए दर्द और पीड़ा को याद करना है। अगस्त 1947 में जब अंततः ब्रिटिश शासकों ने भारत छोड़ा तो देश को दो स्वतंत्र राष्ट्र राज्यों में विभाजित कर दिया गया- भारत और पाकिस्तान। इसी के साथ मानव इतिहास में सबसे बड़े प्रवासों में से एक की शुरुआत हुई, जिसमें लाखों हिंदू और सिख वर्तमान भारत की ओर आ गए, जबकि लाखों मुसलमानों ने पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान (जिसे अब बांग्लादेश के रूप में जाना जाता है) की ओर पलायन किया, हालाँकि इसमें सैकड़ों-हज़ारों लोग ऐसे भी थे, जो प्रवास के लिये चले तो थे पर कभी कहीं पहुँच नहीं सके। समग्र भारतीय उपमहाद्वीप में लगभग एक सहस्राब्दी से सह-अस्तित्व में रहने वाले समुदायों के बीच सांप्रदायिक हिंसा पैदा हो गई। पंजाब और बंगाल, जो क्रमशः पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के साथ सटे प्रांत थे, में नरसंहार, आगज़नी, ज़बरन धर्मांतरण, महिलाओं के साथ दुष्कर्म, सामूहिक अपहरण और बर्बर हिंसा के मामले सबसे अधिक देखे गए। वर्ष 1948 में जब यह महान प्रवास का सिलसिला समाप्त हुआ, तब तक पंद्रह मिलियन से अधिक लोग एक ओर से दूसरी ओर जा चुके थे और लगभग एक मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी थी। 

‘क्लीनसिटी’ एप

‘उत्तरी दिल्ली नगर निगम’ (NDMC) ने हाल ही में मोबाइल संचालित एक एप्लीकेशन 'क्लीनसिटी' लॉन्च किया है, जो क्षेत्र में रहने वाले निवासियों को उस क्षेत्र में कचरा उठाने के संबंध में शिकायत दर्ज करने में मदद करेगा। इस एप को उत्तरी दिल्ली के मेयर द्वारा 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लॉन्च किया गया है। इस एप की मदद से नागरिक कचरा उठाने वाले वाहनों की जीपीएस लोकेशन देख सकते हैं, इस संबंध में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और सेवाओं में सुधार के लिये सुझाव दे सकते हैं। सिविल लाइंस ज़ोन, केशवपुरम ज़ोन और रोहिणी ज़ोन के निवासी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। 

सुभद्रा कुमारी चौहान

हाल ही में टेक कंपनी ‘गूगल’ ने ‘डूडल’ के माध्यम से अग्रणी लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी ‘सुभद्रा कुमारी चौहान की 117वीं जयंती के अवसर पर उनके जीवन और उपलब्धियों के प्रति सम्मान प्रकट किया है। ज्ञात हो कि सुभद्रा कुमारी चौहान के कार्य को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग के दौरान राष्ट्रीय प्रमुखता मिली थी। सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त, 1904 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) के निहालपुर में हुआ था। उनकी पहली कविता तब प्रकाशित हुई थी, जब वह मात्र 9 वर्ष की थीं। विवाह के बाद वह अंग्रेज़ों के विरुद्ध महात्मा गांधी के साथ ‘असहयोग आंदोलन’ में शामिल हो गईं और इस तरह देश की पहली महिला सत्याग्रही बनीं। ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उन्हें दो बार (वर्ष 1923 और वर्ष 1942 में) जेल जाना पड़ा था। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की एक प्रतिभागी के नाते उन्होंने अपने प्रभावशाली लेखन और कविताओं को अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिये एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उनकी रचनाओं में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय महिलाओं की कठिनाइयों और चुनौतियों को गंभीरता से दर्शाया गया है। उन्होंने अपने लेखन में हिंदी की ‘खड़ी बोली’ का प्रयोग किया। उनकी विचारोत्तेजक राष्ट्रवादी कविता ‘झांसी की रानी’ को व्यापक रूप से हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली कविताओं में से एक माना जाता है।

क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’

हाल ही में कर्नाटक सरकार द्वारा 18वीं सदी के स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’ की जयंती का आयोजन किया गया। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 26 जनवरी को क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’ का शहादत दिवस भी मनाया जाएगा। क्रांतिवीर ‘संगोली रायन्ना’ (1798-1831) रानी चेन्नम्मा द्वारा शासित तत्कालीन ‘कित्तूर साम्राज्य’ के सेना प्रमुख थे, जिन्होंने अंग्रेज़ों के विरुद्ध बहादुरी से जंग लड़ी थी। अंग्रेज़ शासकों द्वारा उन्हें वर्ष 1831 में बेलगावी ज़िले के नंदगड़ के पास एक बरगद के पेड़ से फाँसी पर लटका दिया गया था। ‘संगोली रायन्ना’ को ‘कुरुबा समुदाय’ के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। गौरतलब है कि ‘कुरुबा समुदाय’ कर्नाटक में तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है। 

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