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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 08 अगस्त, 2020

  • 08 Aug 2020
  • 9 min read

दिल्ली हवाई अड्डे पर अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिये विशेष पोर्टल

नई दिल्ली स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे द्वारा अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिये एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है। यह पोर्टल देश में आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से स्व-घोषणापत्र भरने और पात्र यात्रियों को आवश्यक प्रशासनिक आइसोलेशन से छूट हेतु ऑनलाइन आवेदन की सुविधा प्रदान करेगा। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय हवाईअड्डे का प्रबंध संभालने वाली कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) के अनुसार, यह मंच अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की यात्रा को संपर्करहित बनाएगा। इस मंच के माध्यम से भारत में आने पर स्वघोषणा पत्र (Self Declaration Forms) या आइसोलेशन से छूट हेतु  आवेदन करने के लिये कागजी दस्तावेज के रूप में फॉर्म नहीं भरना होगा और सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध होगा। दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कुल पाँच श्रेणियों के यात्रियों को अनिवार्य रूप से सात-दिवसीय आइसोलेशन से छूट मिल सकती है। इसमें गर्भवती महिलाएँ, वे लोग जिनके परिवार में किसी की मृत्यु हो हुई है, गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के साथ यात्रा कर रहे अभिभावक, यात्रा से 96 घंटे पहले COVID-19 जाँच की नकारात्मक रिपोर्ट वाले यात्री शामिल हैं। हालाँकि प्रशासनिक आइसोलेशन से छूट वाले यात्रियों को 14 दिन अपने घर पर आइसोलेशन में रहना होगा। शेष अन्य सभी अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों को अनिवार्य रूप से 7 दिन के लिये प्रशासनिक आइसोलेशन और उसके बाद सात दिन तक अपने घर पर आइसोलेशन में रहना होगा। 

सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर को जोड़ने वाली सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल (Submarine Optical Fibre Cable) का उद्घाटन करेंगे। इस संबंध में जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल पोर्ट ब्लेयर को स्वराज द्वीप (हैवलॉक), लिटल अंडमान, कार निकोबार, कामोर्टा, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आईलैंड और रंगट से भी जोड़ेगा। इस नेटवर्क के माध्यम से देश के अन्य हिस्सों की तरह अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह को भी तेज़ तथा विश्वसनीय मोबाइल एवं लैंडलाइन टेलीकॉम सेवाएँ प्राप्त हो सकेंगी। गौरतलब है कि इस परियोजना की आधारशिला स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 30 दिसंबर, 2018 को पोर्ट ब्लेयर में रखी गई थी। यह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क चेन्नई तथा पोर्ट ब्लेयर के बीच 2 x 200 गीगाबिट प्रति सेकंड (Gbps) और पोर्ट ब्लेयर और अन्य द्वीपों के बीच 2 x 100 Gbps की गति से डेटा  हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेगा। ध्यातव्य है कि दूरसंचार और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में सुधार होने से द्वीपों में पर्यटन और रोज़गार सृजन को भी बढ़ावा मिलेगा, इससे क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी और जीवन स्तर में सुधार होगा। 

1971 के संग्राम में शहीद भारतीय सैनिकों की स्मृति में स्मारक

बांग्लादेश में वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की स्मृति में वहाँ एक स्मारक का निर्माण किया जाएगा। यह स्मारक बांग्लादेश की स्वतंत्रता की पचासवीं वर्षगांठ के मौके पर बनाया जाएगा। इस संबंध में सूचना देते हुए बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध मामलों के मंत्री मुज़म्मिल हक ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध हुए बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में सहयोग के लिये भारत सरकार और भारतीय सेना का आभार व्यक्त किया है। जो क्षेत्र अब बांग्लादेश कहलाता है, वह कई वर्षों पूर्व भारत के बंगाल का हिस्सा था। वर्ष 1947 में जब भारत और पाकिस्तान ने आज़ादी प्राप्त की तो बंगाल का मुस्लिम बहुल क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा बन गया और उसे ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहा जाने लगा। 1958 से 1962 के बीच तथा 1969 से 1971 के बीच पूर्वी पाकिस्तान मार्शल लॉ के अधीन रहा। इसी बीच पाकिस्तान में सैनिक तानाशाह याहया खान ने स्वतंत्र चुनाव कराए। इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के आवामी लीग के नेता मुजीबुर्रहमान को बहुमत प्राप्त हुआ। परंतु याहया खान द्वारा मुजीब को प्रधानमंत्री नियुक्त करने से मना करने के प्रतिक्रियास्वरूप पाकिस्तान में गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी। शेख मुजीब को गिरफ्तार करने के बाद पाकिस्तान की सेनाओं द्वारा विद्रोह को दबाने के नाम पर पूर्वी पाकिस्तान में अमानवीय अत्याचार और नरसंहार प्रारंभ हो गया। पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान के मध्य वार्ता की विफलता के पश्चात् 26 मार्च, 1971 को शेख मुजीबुर रहमान ने पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। 

भारत छोड़ो आंदोलन

08 अगस्त, 2020 को देश भर में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) की 78वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ के रूप में सामने आया। माना जाता है कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था, जिसमें सभी भारतवासियों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था। इस आंदोलन के तहत गांधी जी के नेतृत्त्व में पूरा भारत ब्रिटिश साम्राज्यवाद को उखाड़ने के लिये एक साथ आ गया था। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद 'भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस समिति' की बैठक 8 अगस्त, 1942 को बंबई में हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा और साम्राज्यवाद तथा फासीवाद का विरोध करता रहेगा। बंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में अपने एक भाषण में गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया और धीरे-धीरे पूरा देश एकजुट होने लगा। इस आंदोलन के दौरान जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, अबुल कलाम आज़ाद और महात्मा गांधी समेत कई बड़े काॅॅन्ग्रेसी नेताओं को देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया गया था। महात्मा गांधी ने भारतीयों से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में कार्य करने और अंग्रेजों के आदेशों का पालन न करने का आग्रह किया। शुरुआत में अंग्रेजों ने भारत को संपूर्ण स्वतंत्रता देने से इनकार कर दिया, किंतु बाद में वे द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात् स्वतंत्रता देने के लिये सहमत हो गए। वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ और भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हो गई।

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