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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 02 अप्रैल, 2022

  • 02 Apr 2022
  • 3 min read

विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 2 अप्रैल को ‘विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य ऑटिज़्म के बारे में जागरूकता फैलाना और आम लोगों को इस विकार से जुड़ी चुनौतियों को समझने में मदद करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 अप्रैल, 2007 को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की घोषणा की थी। ऑटिज़्म (Autism) या आत्मविमोह/स्वलीनता, एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला एक गंभीर विकार है। नीले रंग को ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है। इस विकार के लक्षण जन्म के समय या बाल्यावस्था (पहले तीन वर्षों) में ही नज़र आने लगते है। यह विकार व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है। इस विकार से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों से भिन्न होता है। इससे प्रभावित व्यक्ति सीमित और दोहरावयुक्त व्यवहार करता है, जैसे- एक ही काम को बार-बार करना। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 19 वर्ष से कम आयु वर्ग के दिव्यांग बच्चों की कुल संख्या 78,62,921 है, जिनमें से 5,95,089 बच्चे बौद्धिक दिव्यांगता से पीड़ित हैं।

आनंदी गोपाल जोशी

02 अप्रैल, 2022 को भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 157वीं जयंती मनाई गई। आनंदी गोपाल जोशी भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं, जिन्होंने अमेरिका से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। आनंदी गोपाल जोशी का जन्म 31 मार्च, 1865 को एक ब्राह्मण परिवार में महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले के कल्याण में हुआ था। 9 वर्ष की आयु में आनंदी जोशी की शादी विदुर गोपालराव जोशी से कर दी गई जो उनसे उम्र में 20 साल बड़े थे। गोपाल राव प्रगतिशील सोच के इंसान थे, उन्होंने अपनी पत्नी को पढ़ने के लिये प्रेरित किया और उन्हें ‘आनंदी’ नाम दिया। 14 वर्ष की छोटी आयु में आनंदी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में वह मर गया। इस हादसे का उनकी जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके तुरंत बाद 16 वर्ष की उम्र में वह मेडिकल की पढ़ाई के लिये अमेरिका चली गईं। आनंदी ने पेनसिल्वेनिया के वूमेंस मेडिकल कॉलेज से डिग्री ली। 26 फरवरी, 1887 को 22 साल की होने से एक महीने पहले ही आनंदी का देहांत हो गया।

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