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प्रोस्टेट कैंसर

  • 18 Apr 2024
  • 5 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

लैंसेट कमीशन की एक हालिया रिपोर्ट में भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में चिंताजनक वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है, जिससे देर से निदान के कारण मृत्युदर में वृद्धि हुई है।

  • भारत में बड़ी संख्या में रोगियों में उन्नत चरण के कैंसर (जिनके ठीक होने की संभावना नहीं है) का निदान किया जाता है, जिससे मृत्यु दर 65% हो जाती है।
  • विश्व स्तर पर प्रोस्टेट कैंसर के मामले 2040 तक दोगुने होने की संभावना है, जिसमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सबसे अधिक वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें भारत भी शामिल है जहाँ नए मामलों की संख्या प्रतिवर्ष 71,000  तक पहुँचने का अनुमान है।

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?

  • परिचय: यह एक प्रकार का कैंसर है जो पुरुष प्रजनन प्रणाली में मूत्राशय के नीचे स्थित एक छोटी ग्रंथि प्रोस्टेट में विकसित होता है। प्रोस्टेट ग्रंथि तरल पदार्थ का उत्पादन करती है जिससे शुक्राणु का पोषण और परिवहन होता है।

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  • व्यापकता: लैंसेट आयोग की रिपोर्ट में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में वैश्विक वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है, जिसमें निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों को सबसे अधिक वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।
    • विश्व में प्रोस्टेट कैंसर वर्ष 2020 में लगभग 3,75,000 मौतों के लिये ज़िम्मेदार था, इसे पुरुषों में कैंसर से संबंधित मौतों का पाँचवाँ प्रमुख कारण बताया गया।
    • यह वर्तमान में भारत में सभी प्रकार के कैंसर का 3% है, जिसमें अनुमानित रूप से (33,000-42,000 वार्षिक) नए मामले होते हैं।
      • बढ़ती आबादी के साथ जीवन प्रत्याशा में हो रही वृद्धि के कारण प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है।
  • जोखिम के कारक: प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम कारकों में उम्र (विशेषकर 50 से अधिक), आनुवंशिकी, आहार, मोटापा, धूम्रपान, रासायनिक जोखिम, प्रोस्टेट सूजन के साथ ही हार्मोनल कारक भी शामिल हैं।
  • लक्षण: प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर अपने प्रारंभिक चरण में लक्षणहीन होता है, लेकिन लक्षणों में पेशाब करने में कठिनाई, बार-बार पेशाब आना (विशेषकर रात में), मूत्र में रक्त, स्तंभन दोष और पीठ के निचले हिस्से अथवा जाँघ में दर्द शामिल हो सकते हैं।
  • जाँच: प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन (PSA) रक्त परीक्षण रक्त में PSA के स्तर को मापता है। उच्च PSA स्तर प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकता है, लेकिन वे अन्य कारकों के कारण भी हो सकते हैं।
  • उपचार:
    • सर्जरी: प्रोस्टेट ग्रंथि के इलाज के लिये सर्जरी (रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी) एक सामान्य उपचार विकल्प है।
    • रेडिएशन थेरेपी: रेडिएशन थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग किया जाता है।
    • हार्मोन थेरेपी: इसे एण्ड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (ADT) भी कहा जाता है, यह एक ऐसा उपचार है जो शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को कम करता है
    • ब्रैकीथेरेपी: यह उपचार रेडियोधर्मी बीजों को सीधे प्रोस्टेट ग्रंथि में प्रत्यारोपित करता है।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

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