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पोम्पे रोग

  • 16 Dec 2023
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारत के पहले पोम्पे रोग के रोगी का 24 वर्ष की आयु में अर्द्ध-कोमा की स्थिति में बीमारी से जूझने के बाद निधन हो गया।

  • अर्द्ध-कोमा की स्थिति में व्यक्ति आंशिक कोमा में होता है, जो पूर्ण कोमा तक पहुँचे बिना भटकाव और स्तब्धता के रूप में प्रकट होती है। अर्द्ध-बेहोशी की स्थिति में रोगी कराहने और बुदबुदाने जैसी उत्तेजनाओं के प्रति प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं।

पोम्पे रोग क्या है?

  • परिचय:      
    • पोम्पे रोग (जिसे ग्लाइकोजन भंडारण रोग प्रकार II के रूप में भी जाना जाता है) शरीर की कोशिकाओं के लाइसोसोम में ग्लाइकोजन के निर्माण की विशेषता है।
    • यह रोग एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है जो एंज़ाइम एसिड अल्फा-ग्लूकोसिडेज़ (GAA) की कमी के कारण होता है। यह एंज़ाइम कोशिकाओं के लाइसोसोम के भीतर ग्लाइकोजन को ग्लूकोज़ में विघटित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • लाइसोसोम झिल्ली से आबद्ध भाग हैं जिनमें एंज़ाइमों की एक शृंखला होती है जो सभी प्रकार के जैविक पॉलिमर—प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट और लिपिड को तोड़ने में सक्षम होते हैं।
    • इसकी व्यापकता का अनुमान 40,000 में 1 से लेकर 300,000 बच्चों में 1 तक है।

  • लक्षण:
    • मांसपेशियों में कमज़ोरी, पेशीय विकास में देरी, अस्थियों पर अपक्षयी प्रभाव, श्वसन संबंधी समस्याएँ, हृद संबंधी जटिलताएँ, दैनिक जीवन पर प्रभाव।
  • निदान:
    • न्यूनता वाले एंज़ाइम GAA की गतिविधि को मापने के लिये एंज़ाइम परीक्षण किया जाता है।
    • आनुवंशिक परीक्षण संबद्ध GAA जीन में उत्परिवर्तन की पहचान करता है। आनुवंशिक विश्लेषण पोम्पे रोग से जुड़े विशिष्ट उत्परिवर्तन की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
  • उपचार:
    • हालाँकि पोम्पे रोग का वर्तमान में कोई स्थाई उपचार नहीं है किंतु लक्षणों को दूर करने एवं रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये अल्पकालिक उपचार के विकल्प उपलब्ध हैं।
    • एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी (ERT) एक सामान्य उपचार पद्धति है जिसमें ग्लाइकोजेन संचय को कम करने के लिये न्यूनता वाले एंज़ाइम का उपयोग करना शामिल है।

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