ध्यान दें:





डेली अपडेट्स


रैपिड फायर

पेरोव्स्काइट LED (PeLED)

  • 25 Feb 2025
  • 11 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

भारत के शोधकर्त्ताओं ने पेरोवस्काइट नैनोक्रिस्टल्स में आयनों के अभिगमन को कम करने की एक विधि विकसित की है, जो अगली पीढ़ी की प्रकाश व्यवस्था को सक्षम कर सकती है और ऊर्जा दक्षता में सुधार कर सकती है क्योंकि प्रकाश व्यवस्था वैश्विक विद्युत् का लगभग 20% खपत करती है।

  • पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल में आयनों का अभिगमन रंग अस्थिरता का कारण बनता है और प्रकाश में उनके उपयोग को सीमित करता है।
  • पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल से निर्मित पेरोव्स्काइट LED (PeLED) में ऑर्गेनिक LED (OLED) और क्वांटम डॉट LED (QLED) के लाभों का संयोजन किया गया है, जिससे वे अगली पीढ़ी के प्रकाश व्यवस्था के लिये आशाजनक बन गए हैं।
    • PeLED में OLED (लचीलापन, निम्न भार) और QLED (उच्च रंग शुद्धता) की सर्वोत्तम विशेषताएँ सम्मिलित हैं, साथ ही यह बेहतर दक्षता और लागत प्रभावशीलता भी प्रदान करता है।

प्रकाश प्रौद्योगिकी का विकास:

  • प्रारंभिक प्रौद्योगिकी: तापदीप्त और फ्लोरोसेंट लैंप से लेकर LED (1960 के दशक में आविष्कारित) तक।
  • वर्ष 1993 में सफलता: शुजी नाकामुरा की टीम ने उच्च चमक वाली नीली LED विकसित की, जिससे ऊर्जा-कुशल श्वेत LED का विकास हुआ और उन्हें वर्ष 2014 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।
  • वर्तमान प्रौद्योगिकियाँ: 
    • OLED: पतला, लचीला, लेकिन महंगे और कम संचालन अवधि।
    • QLED: सटीक रंग नियंत्रण, धारणीय, लेकिन संसाधन की कमी की चिंताओं के कारण विषाक्त।
    • माइक्रो/मिनी-LED: उच्च चमक और स्थिरता, लेकिन उत्पादन महंगा।

और पढ़ें: प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED)

close
Share Page
images-2
images-2