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राष्ट्रीय ध्वज दिवस 2025

  • 22 Jul 2025
  • 10 min read

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों? 

भारत ने 22 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय ध्वज दिवस (तिरंगा अंगीकरण दिवस) के रूप में मनाया, जो वर्ष 1947 में भारतीय संविधान सभा द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के आधिकारिक अंगीकरण की वर्षगाँठ को चिह्नित करता है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास:
    • 1904: यह ध्वज सिस्टर निवेदिता द्वारा डिज़ाइन किया गया था, जो एक आयरिश समाजसेविका थीं और स्वामी विवेकानंद की शिष्या थीं।
      • इसमें लाल और पीले रंग की पृष्ठभूमि पर एक वज्र (शक्ति का प्रतीक), एक सफेद कमल (पवित्रता का प्रतीक) तथा "वन्दे मातरम्" अंकित था।
    • 1906 (स्वदेशी आंदोलन का ध्वज): इसे पहला तिरंगा माना जाता है, जिसे कलकत्ता (अब कोलकाता) में फहराया गया था। इसमें हरे, पीले और लाल रंग की क्षैतिज पट्टियाँ थीं। ध्वज में कमल के फूल, सूर्य, अर्धचंद्र और "वंदे मातरम्" लिखा हुआ था।
    • 1907 (सप्तर्षि ध्वज): यह ध्वज मैडम भीकाजी कामा द्वारा जर्मनी में फहराया गया था। इसमें हरा, केसरिया और लाल रंग की पट्टियाँ जिसमे कमल के फूल, "वंदे मातरम्", सूर्य और अर्द्धचंद्र चित्रित थे।
    • 1917 (होमरूल आंदोलन का ध्वज): इसे एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने प्रस्तुत किया था, इसमें लाल और हरे रंग की पट्टियाँ थीं, जिसमे ब्रिटिश यूनियन जैक, अर्द्धचंद्र और सितारा और सप्तर्षि विन्यास में तारे शामिल थे।
    • 1921: यह ध्वज पिंगली वेंकैया द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जो आंध्र प्रदेश से एक स्वतंत्रता सेनानी, भाषाविद् और बहुविषयक विद्वान थे। उन्होंने लाल, सफेद और हरे रंग के ध्वज का प्रस्ताव रखा, जिसमें केंद्र में चरखा था, जो एकता और स्वावलंबन का प्रतीक था। वर्तमान भारतीय ध्वज के स्वरूप का श्रेय मुख्य रूप से इसी डिज़ाइन को दिया जाता है।
      • इस वर्ष लाल रंग के स्थान पर केसरिया रंग को ध्वज में अपनाया गया। ध्वज में केसरिया, सफेद और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियाँ थीं, जिसके केंद्र में चरखा (स्पिनिंग व्हील) दर्शाया गया था।
      • इसे भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया।
    • 1947 (वर्तमान ध्वज): इसे संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। चरखे को अशोक चक्र से प्रतिस्थापित किया गया।
  • सामान्य नाम: तिरंगा, अर्थात् तीन रंगों वाला ध्वज (Tricolour)। 
  • डिज़ाइन: तीन क्षैतिज पट्टियाँ — केसरिया (ऊपर), सफेद (मध्य) और हरा (नीचे), जिसके मध्य में गहरा नीला अशोक चक्र होता है।
  • अशोक चक्र: अशोक चक्र में 24 तीलियाँ होती हैं। यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ के सिंह स्तंभ से प्रेरित है और यह सफेद पट्टी की चौड़ाई के भीतर समाहित रहता है।
  • प्रतीकात्मकता:
    • केसरिया रंग – देश की शक्ति और साहस का प्रतीक।
    • सफेद रंग – शुद्धता, सत्य और शांति को दर्शाता है।
    • हरा रंग – उर्वरता, विकास एवं समृद्धि का प्रतीक, जो भारत की कृषि परंपरा और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • अशोक चक्र (जिसे "धर्म चक्र" कहा जाता है) – विधि, न्याय और जीवन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। यह चक्र दर्शाता है कि गति में जीवन है और स्थिरता में मृत्यु।
  • ध्वज के आयाम: लंबाई और ऊँचाई का अनुपात 3:2 होता है।
  • नियमन: ध्वज को फहराने, संभालने और उसके प्रति सम्मान के नियम भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा निर्धारित किए गए हैं।
  • सामग्री: पारंपरिक रूप से राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए खादी (कपास) से बनाया जाता है, जो आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। वर्ष 2021 में भारतीय ध्वज संहिता, 2002 में संशोधन किया गया, जिससे अब अन्य स्वीकृत सामग्री, जैसे मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने ध्वजों के उपयोग की भी अनुमति दे दी गई है।

National_Flag

नोट: चेन्नई स्थित फोर्ट सेंट जॉर्ज संग्रहालय में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पास संरक्षित राष्ट्रीय ध्वज को भारत का सबसे प्राचीन संरक्षित राष्ट्रीय ध्वज माना जाता है। इसे 15 अगस्त 1947 को चेन्नई के फोर्ट सेंट जॉर्ज पर फहराया गया था। 

भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002

  • परिचय: भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002, 26 जनवरी, 2002 से लागू हुई। जिसके तहत नागरिकों को राष्ट्रीय अवसरों के अलावा किसी भी दिन अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति मिलती है, बशर्ते वे संहिता के नियमों का पालन करें।
    • संहिता को तीन भागों में बाँटा गया है: भाग I में ध्वज का वर्णन है, भाग II में जनता और संस्थानों द्वारा इसके उपयोग को शामिल किया गया है तथा भाग III में सरकारी निकायों द्वारा इसके प्रदर्शन के नियम बताए गए हैं।
    • ध्वज संहिता राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा और सम्मान को बनाए रखने के लिये क्या करें और क्या न करें के नियमों को रेखांकित करती है।
    • भारतीय ध्वज संहिता में वर्ष 2022 में संशोधन किया गया था, जिसके तहत अब राष्ट्रीय ध्वज को खुले स्थान या निजी घरों पर दिन-रात फहराने की अनुमति दी गई। पहले इसे केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता था। यह बदलाव आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत 'हर घर तिरंगा' अभियान से पहले किया गया था।
  • क्या करें: विद्यालयों एवं अन्य संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा सकता है, ताकि सम्मान और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा दिया जा सके। 
    • नागरिकों, निजी समूहों और संस्थाओं को किसी भी दिन सम्मानपूर्वक राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करने की अनुमति है।
    • सभी नागरिकों को यह अधिकार है कि वे अपने परिसरों (जैसे—घर, कार्यालय, प्रतिष्ठान) पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकें।
  • क्या न करें: राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग सांप्रदायिक लाभ, परदा (ड्रैपरी) या वस्त्रों के रूप में नहीं किया जा सकता। 
    • ध्वज को जानबूझकर ज़मीन, फर्श या जल में गिरने नहीं देना चाहिये। ध्वज को वाहनों, ट्रेनों, नावों या विमानों के हुड (Hood), ऊपर, किनारों या पीछे नहीं लपेटा जा सकता।
    • किसी भी अन्य झंडे, वस्तु या सजावटी सामग्री को राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर या उस पर नहीं लगाया जाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021)

(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) मोहनदास करमचंद गांधी
(d) सरोजिनी नायडू

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत के राष्ट्रीय ध्वज में धर्मचक्र (अशोक चक्र) में कितनी तीलियाँ होती हैं?  (2008) 

(a) 16 
(b) 18 
(c) 22 
(d) 24

उत्तर: (d)

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