प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
- 08 Jul 2025
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स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) अप्रैल 2025 से अपने पूर्व नेतृत्व के सेवानिवृत्त होने के बाद से बिना अध्यक्ष और कई सदस्यों के कार्य कर रहा है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग क्या है?
- परिचय: यह एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा और संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी।
- पहला सांविधिक आयोग 17 मई, 1993 को गठित किया गया था।
- उत्पत्ति: अल्पसंख्यक आयोग (Minorities Commission) की स्थापना वर्ष 1978 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव के माध्यम से की गई थी और वर्ष 1984 में इसे नवगठित कल्याण मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
- वर्ष 1988 में कल्याण मंत्रालय ने आयोग के अधिकार क्षेत्र से भाषायी अल्पसंख्यकों को बाहर कर दिया।
- संरचना: इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है। हालाँकि पूर्ण निकाय की अनुपस्थिति ने इसकी कार्यक्षमता को लेकर चिंताएँ उत्पन्न की हैं।
- प्रत्येक सदस्य को छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों में से किसी एक से संबंधित होना आवश्यक है: मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन।
- अधिकार और कार्यकाल: आयोग के पास अर्ध-न्यायिक अधिकार होते हैं और प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल उनके पद ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष का होता है।
- निष्कासन: केंद्र सरकार राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) के अध्यक्ष या किसी सदस्य को निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकती है, यदि वे:
- दिवालिया घोषित कर दिए जाएँ,
- अपने कर्त्तव्यों के बाहर कोई वेतनभोगी कार्य स्वीकार करें,
- कार्य करने से इंकार करें या उसमें अक्षम हो जाएँ,
- किसी न्यायालय द्वारा अस्वस्थ मानसिक स्थिति वाला घोषित किये जाएँ,
- अपने पद का दुरुपयोग करें या
- नैतिक पतन से संबंधित किसी अपराध के लिये दोषी ठहराए जाएँ।
भारत में अल्पसंख्यक कौन हैं और उनके संवैधानिक सुरक्षा उपाय क्या हैं?
- परिचय: भारतीय संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ (Minority) शब्द की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन संविधान धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को मान्यता देता है।
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के अनुसार अल्पसंख्यक वह समुदाय है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो।
- अल्पसंख्यक समुदाय: वर्ष 1993 में कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, भारत सरकार ने प्रारंभ में पाँच धार्मिक समुदायों—मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी (ज़रथुस्त्री) को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में मान्यता दी थी।
- बाद में वर्ष 2014 में जैन समुदाय को भी अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया।
- अल्पसंख्यकों की जनसंख्या: वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, ये छह समुदाय मिलकर भारत की कुल जनसंख्या का 18.80% हिस्सा बनाते हैं।
धर्म |
संख्या (करोड़ में) |
% |
मुस्लिम |
17.22 |
14.2 |
ईसाई |
2.78 |
2.3 |
सिख |
2.08 |
1.7 |
बौद्ध |
0.84 |
0.7 |
जैन |
0.45 |
0.4 |
कुल |
23.37 |
19.30 |
स्रोत: जनगणना 2011
- यद्यपि 2011 की जनगणना में पारसी जनसंख्या का उल्लेख नहीं है, फिर भी अनुमान है कि यह लगभग 57,000 है।
अल्पसंख्यकों से संबंधित संरक्षण प्रावधान:
- अनुच्छेद 29: नागरिकों के किसी वर्ग को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 347: किसी राज्य की जनसंख्या के किसी वर्ग द्वारा बोली जाने वाली भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान।
- अनुच्छेद 350-A: प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधा प्रदान करने का प्रावधान।
- अनुच्छेद 350-B: भाषायी अल्पसंख्यकों के लिये एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति और उनके कर्त्तव्यों का प्रावधान।
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