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मोहनजोदड़ो डांसिंग गर्ल

  • 24 Sep 2025
  • 10 min read

स्रोत: IE

दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय से प्रसिद्ध मोहनजोदड़ो की ‘डांसिंग गर्ल’ की रेप्लिका (अनुकृति) चोरी हो गई थी, लेकिन आरोपी पकड़े जाने के बाद उसे बरामद कर लिया गया।

  • परिचय:डांसिंग गर्ल’ सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ई.पू.) की एक कांस्य प्रतिमा है, जिसे वर्ष 1926 में पुरातत्वविद् अर्नेस्ट मैके ने मोहनजोदड़ो से खोजा था।
  • कला: यह प्रतिमा लॉस्ट-वैक्स कास्टिंग तकनीक (गुम मोम ढलाई विधि) से बनाई गई थी, जो उस समय की एक उन्नत धातुकर्म प्रक्रिया थी। 
    • लॉस्ट-वैक्स कास्टिंग एक प्रक्रिया है, जिसमें मोम के मॉडल को ऊष्मा-रोधी साँचे (मोल्ड) से ढक दिया जाता है। फिर मोम को पिघलाकर बाहर निकाल दिया जाता है तथा उस खोखले स्थान में पिघला हुआ धातु डाला जाता है। जब वह ठंडी हो जाती है तो धातु की वस्तु को बाहर निकालने के लिये साँचे को हटा दिया जाता है।
  • कलात्मक महत्त्व: यह प्रतिमा एक युवा लड़की को आत्मविश्वास से भरे आसन में दर्शाती है, जिसमें उसका सिर झुका तथा भुजाएँ लंबी दिखाई गई हैं, जो यथार्थ और कलात्मक शैली का अनोखा मिश्रण है। यह मुद्रा आभूषण लयात्मक सौंदर्य को दर्शाती है, इसी कारण इसे “डांसिंग गर्ल (नृत्य करती हुई लड़की)” नाम दिया गया है।

और पढ़ें..: डांसिंग गर्ल मूर्ति

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