रैपिड फायर
काशीवाज़ाकी-कारीवा परमाणु संयंत्र और फुकुशिमा आपदा
- 26 Dec 2025
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फुकुशिमा आपदा के लगभग 15 वर्ष बाद, जापान काशीवाज़ाकी-कारीवा परमाणु संयंत्र को पुनः चालू करने की योजना बना रहा है, लेकिन इस कदम के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसमें फुकुशिमा के बचे हुए पीड़ितों ने नवीन परमाणु सुरक्षा जोखिमों के प्रति चेतावनी दी है।
- आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिये (जो जापान की विद्युत उत्पादन का 60–70% हैं), जापान AI डेटा केंद्रों से बढ़ती ऊर्जा मांग और डीकार्बोनाइज़ेशन लक्ष्यों को पूरा करने हेतु वर्ष 2040 तक परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी को दोगुना करके 20% करने की योजना बना रहा है।
- इसे टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) द्वारा संचालित किया जाता है, जो फुकुशिमा दाइची संयंत्र के लिये भी ज़िम्मेदार ऑपरेटर है।
- काशीवाज़ाकी-कारीवा परमाणु संयंत्र: यह स्थापित क्षमता के आधार पर विश्व का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है, जो टोक्यो के पास स्थित है।
- फुकुशिमा परमाणु आपदा (2011): वर्ष 2011 के भूकंप और सुनामी ने परमाणु संयंत्र में शीतलक प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप तीन रिएक्टरों में कोर मेल्टडाउन हुआ और बड़े पैमाने पर विकिरण का उत्सर्जन हुआ। यह चेर्नोबिल (1986) के बाद का सबसे गंभीर परमाणु हादसा था, जिसके कारण व्यापक स्तर पर विस्थापन और दीर्घकालीन निषेध क्षेत्र बनाए गए।
नोट: वर्ष 2025 तक भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता लगभग 8.18 GW है और देश ने वर्ष 2047 तक 100 GW का दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित किया है। इस विस्तार को तेज़ करने के लिये, शांति अधिनियम, 2025 निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए परमाणु रिएक्टर विकास के द्वार खोलता है, जो निवेश जुटाने और दक्षता सुधारने के उद्देश्य से एक बड़ा नीतिगत बदलाव है।
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