रैपिड फायर
INS आन्द्रोत
- 24 Sep 2025
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भारतीय नौसेना, विशाखापत्तनम स्थित नौसेना डॉकयार्ड में अपने दूसरे अत्याधुनिक पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले पानी के जहाज़ (ASW-SWC), ‘आन्द्रोत’ को कमीशन करने के लिये तैयार है।
- लक्षद्वीप के आन्द्रोत द्वीप के नाम पर रखा गया यह जहाज़ भारत की अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
- इसके पूर्ववर्ती स्वरूप में आईएनएस आन्द्रोत (P69) ने सेवामुक्त होने से पहले 27 वर्षों तक राष्ट्र की विशिष्ट एवं गौरवपूर्ण सेवा की।
- इसका निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) कोलकाता द्वारा किया गया था और इसमें 80% से अधिक घटक स्वदेशी हैं जो सरकार के आत्मनिर्भरता विज़न के अनुरूप हैं।
- ये जहाज़ डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन द्वारा संचालित होते हैं तथा अत्याधुनिक हल्के टॉरपीडो और स्वदेशी पनडुब्बी रोधी युद्धक रॉकेटों से लैस हैं।
ASW-SWC
- इन जहाज़ों को तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों, निम्न तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) और बारूदी सुरंग बिछाने के अभियानों के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- भारत की ASW क्षमताएँ:
- इंटीग्रेटेड ASW डिफेंस सुइट्स (IADS): महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स के सहयोग से विकसित, ये प्रणालियाँ जल के भीतर प्रभावी पहचान और खतरे से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- कामोर्टा श्रेणी के जहाज़: INS कामोर्टा और INS कदमत्त जैसे ये स्टील्थ युद्धपोत, कम विकिरण वाले जल के भीतर ध्वनि संकेतों से लैस हैं।
- समुद्री गश्ती विमान: भारत पनडुब्बी रोधी टोही के लिये बोइंग P-8I (पोसिडॉन) विमान का उपयोग करता है।
- SMART प्रणाली: DRDO ने जल के भीतर बेहतर सुरक्षा के लिये एक मिसाइल-आधारित, हल्की टारपीडो वितरण प्रणाली विकसित की है।
- ASW हेलीकॉप्टर: MH-60R सीहॉक बहु-भूमिका हेलीकॉप्टरों को पनडुब्बी रोधी युद्ध के लिये तैनात किया जाता है।
- ASW का महत्त्व :
- भारत की समुद्री सुरक्षा उसकी विशाल तटरेखा और रणनीतिक स्थिति के कारण महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि हिंद महासागर क्षेत्र में परमाणु हथियार संपन्न पनडुब्बियाँ संचालित होती हैं।
- क्षेत्र से बाहर की शक्तियों और उनकी उन्नत पनडुब्बियों की बढ़ती उपस्थिति भारत के लिये सुरक्षा चुनौतियाँ बढ़ा रही है।
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