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प्रारंभिक परीक्षा

फ्लाइंग ट्रेनर हंसा-एनजी

  • 07 Mar 2022
  • 2 min read

हाल ही में भारत के पहले स्वदेशी ‘फ्लाइंग ट्रेनर’ हंसा-एनजी ने 19 फरवरी से 5 मार्च, 2022 तक पुद्दुचेरी में समुद्र स्तर परीक्षणों को सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया है।

  • इसे सीएसआईआर-राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनएएल) द्वारा विकसित किया गया है।
  • वर्ष 1959 में स्थापित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक घटक राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल) देश के नागरिक क्षेत्र में एकमात्र सरकारी एयरोस्पेस अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) भारत में सबसे बड़ा अनुसंधान और विकास (R&D) संगठन है।

HANSA-NG

हंसा-एनजी की विशेषताएँ

  • ‘हंसा-एनजी’ सबसे उन्नत उड़ान प्रशिक्षकों में से एक है।
    • ‘हंसा-एनजी, ‘हंसा’ का उन्नत संस्करण है, जिसने वर्ष 1993 में पहली उड़ान भरी थी, और इसे वर्ष 2000 में प्रमाणित किया गया था।
    • केंद्र ने 2018 में हंसा-एनजी और ग्लास कॉकपिट के साथ एनएएल रेट्रो-संशोधित हंसा -3 विमान (Retro-modified HANSA-3 Aircraft) को मंज़ूरी दी तथा इसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा प्रमाणित किया गया और एयरो-इंडिया 2019 में विमान का प्रदर्शन किया गया।
  • यह रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन (Rotax Digital Control Engine) द्वारा संचालित होता है जिसे भारत में फ्लाइंग क्लबों (Flying Clubs) द्वारा ट्रेनर एयरक्राफ्ट की आवश्यकता को पूरा करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • यह कम लागत और कम ईंधन खपत के कारण वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसिंग ( Commercial Pilot Licensing-CPL) हेतु एक आदर्श विमान है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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