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प्रारंभिक परीक्षा

डेमोन पार्टिकल

  • 25 Aug 2023
  • 4 min read

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड 

हाल ही में इलिनोइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम ने स्ट्रोंटियम रूथेनेट नामक धातु के भीतर एक अनोखे कण की खोज की, जिसे "डेमोन पार्टिकल" के रूप में जाना जाता है। इस खोज में कमरे के तापमान पर काम करने में सक्षम सुपरकंडक्टर्स के विकास का मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता है।

डेमोन पार्टिकल: 

  • डेमोन पार्टिकल एक प्रकार के क्वासिपार्टिकल को दिया गया नाम है, जो वास्तव में एक कण नहीं है, बल्कि एक ठोस में कई इलेक्ट्रॉनों की सामूहिक उत्तेजना या कंपन है।
    • धातुओं और अर्द्धचालकों जैसे ठोस पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों के जटिल व्यवहार का वर्णन करने के लिये क्वासिपार्टिकल्स उपयोगी होते हैं।
  • डेमोन पार्टिकल की भविष्यवाणी सबसे पहले सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी डेविड पाइंस ने वर्ष 1956 में की थी।
    • उनका मानना था कि किसी ठोस पदार्थ से गुज़रने पर इलेक्ट्रॉन विचित्र व्यवहार करेंगे। विद्युत अंतःक्रिया इलेक्ट्रॉन को संयोजित करके सामूहिक इकाइयाँ बनाती है। इससे वे ठोस पदार्थों में अपनी पहचान खो सकते हैं।
      • हालाँकि इतने बड़े द्रव्यमान के साथ प्लास्मोंस (Plasmons) (धातुओं में चालन इलेक्ट्रॉन का सामूहिक दोलन) कमरे के तापमान पर उपलब्ध ऊर्जा के साथ नहीं बन सकता है।
    • हालाँकि demons में द्रव्यमान नहीं होता है, वे किसी भी ऊर्जा के साथ और कमरे के तापमान पर भी उत्पन्न हो  सकते हैं।
  • डेमोन पार्टिकल के कंप्यूटिंग, मेडिकल इमेजिंग, परिवहन और ऊर्जा में कई अनुप्रयोग हो सकते हैं।

अतिचालक (Superconductors):

  • परिचय: 
    • सुपरकंडक्टर एक ऐसी वस्तु है जो बिना किसी प्रतिरोध के बिजली का संचालन कर सकती है या इलेक्ट्रॉन को एक परमाणु से दूसरे परमाणु तक पहुँचा सकती है।
    • जब पदार्थ एक चरम तापमान (Tc) तक पहुँच जाता है या वह तापमान जिस पर पदार्थ अतिचालक हो जाता है तब उससे गर्मी, ध्वनि या ऊर्जा के किसी अन्य रूप का निष्कर्षण नहीं हो सकता है।
      • सुपरकंडक्टर्स के लिये महत्त्वपूर्ण तापमान वह तापमान है जिस पर धातु की विद्युत प्रतिरोधकता शून्य हो जाती है।
    • सुपरकंडक्टर मैस्नर प्रभाव (Meissner Effect) भी प्रदर्शित करते हैं, जो सुपरकंडक्टर बनने की प्रक्रिया के दौरान किसी पदार्थ के आंतरिक भाग से चुंबकीय क्षेत्र का निष्कासन है।
  • उदाहरण: एल्युमीनियम, नाइओबियम, मैग्नीशियम डाइबोराइड आदि।
  • अनुप्रयोग:
    • सुपरकंडक्टर्स का उपयोग ट्रेनों और अत्यधिक सटीक चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging- MRI) मशीनों के संचालन में किया जाता है।
  • सीमाएँ:
    • उनकी उपयोगिता अभी भी भारी क्रायोजेनिक्स (बहुत कम तापमान पर पदार्थों का उत्पादन और व्यवहार) की आवश्यकता के कारण सीमित है क्योंकि सामान्य सुपरकंडक्टर्स वायुमंडलीय दबाव पर काम करते हैं परंतु केवल तभी जब उन्हें बहुत ठंडा रखा जाता है।
      • यहाँ तक कि सबसे परिष्कृत पदार्थ जैसे- कॉपर ऑक्साइड-आधारित सिरेमिक पदार्थ भी -140°C के नीचे ही काम करते हैं।
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