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पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती
- 25 Dec 2025
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भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती 25 दिसंबर को मनाई जाती है।
पंडित मदन मोहन मालवीय
- परिचय: 25 दिसंबर, 1861 को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में जन्मे, उन्होंने आधुनिक भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाई, जिसमें शैक्षिक सुधार, स्वतंत्रता संग्राम, पत्रकारिता और समाज सेवा शामिल थे।
- महात्मा गांधी ने मालवीयाजी को ‘देवता पुरुष’ कहा, रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘महामना’ की उपाधि दी (हालाँकि कुछ स्रोत इसका श्रेय महात्मा गांधी को भी देते हैं) और डॉ. एस. राधाकृष्णन ने उन्हें ‘कर्मयोगी’ के रूप में वर्णित किया।
- मुख्य योगदान:
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: वह गांधीजी के नमक सत्याग्रह तथा वर्ष 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख सहभागी रहे और उन्हें कुल चार बार (1909, 1918, 1932, 1933) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
- उन्होंने 11 वर्ष (1909–20) तक इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य के रूप में कार्य किया और ब्रिटिश-भारतीय अदालतों में सफलतापूर्वक देवनागरी लिपि को लागू करवाया।
- उन्होंने 'सत्यमेव जयते' शब्द को लोकप्रिय बनाया। हालाँकि यह वाक्यांश मूल रूप से ‘मुण्डकोपनिषद’ से है। अब यह शब्द भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
- उन्होंने वर्ष 1915 में हिंदू महासभा की स्थापना में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने विशेष रूप से चौरी चौरा घटना (1922) में आरोपित लोगों की रक्षा करने के लिये विधिक पेशे में वापसी की।
- शैक्षिक क्षेत्र के नवप्रवर्तनकर्त्ता: उन्होंने वर्ष 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की और भारतीय युवाओं के लिये स्काउटिंग आंदोलन को भी आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सामाजिक सुधार: गिरमिटिया प्रथा को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई, जिससे कई भारतीयों को बंधुआ मज़दूरी से आज़ादी मिली।
- पर्यावरण सक्रियता: हरिद्वार में भीमगोडा में गंगा पर ब्रिटिश बांध बनाने से रोकने के लिये वर्ष 1905 में गंगा महासभा की स्थापना की।
- संपादकीय कार्य: उन्होंने कई प्रकाशनों की स्थापना की, जिनमें हिंदी साप्ताहिक अभ्युदय (1907), हिंदी मासिक मर्यादा (1910) और अंग्रेज़ी दैनिक लीडर (1909) शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा दी।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका: वह गांधीजी के नमक सत्याग्रह तथा वर्ष 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख सहभागी रहे और उन्हें कुल चार बार (1909, 1918, 1932, 1933) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
- सम्मान: वर्ष 2014 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने मालवीय जी के सम्मान में वाराणसी-नई दिल्ली ‘महामना एक्सप्रेस’ शुरू की थी।
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