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अचानकमार टाइगर रिज़र्व

  • 22 Sep 2025
  • 11 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

अचानकमार टाइगर रिज़र्व (छत्तीसगढ़) में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2022 में 5 से बढ़कर वर्ष 2025 में 18 हो गई है, जिसका मुख्य कारण बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश) से बाघिन झुमरी का आगमन और संरक्षण प्रयासों में वृद्धि है। 

  • परिचय: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्थित अचानकमार टाइगर रिज़र्व (ATR) की स्थापना वर्ष 1975 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गई थी और वर्ष 2009 में यह एक बाघ अभयारण्य बन गया। यह अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा है। 
    • यह रिज़र्व कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण गलियारा है, जो बाघों की आवाजाही को संभव बनाता है तथा आनुवंशिक विविधता को बनाए रखता है। 
  • जनजातीय समुदाय: ATR बैगा (PVTG), गोंड और यादव समुदायों का क्षेत्र है। 
  • नदी एवं जल संसाधन: इस अभ्यारण्य से होकर बहने वाली मनियारी नदी इसकी जीवन रेखा कही जाती है। यह महानदी बेसिन की शिवनाथ नदी में मिल जाती है। 
  • वनस्पति: उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वनों से युक्त इस अभ्यारण्य में साल, साजा, तिनसा, बीजा, हल्दू, सागौन, धावरा, लेंडिया, खमार और बाँस पाए जाते हैं। 
  • जीव-जंतु: वन्यजीवों में बाघ, तेंदुआ, वन्य कुत्ता, लकड़बग्घा, बाइसन, चिंकारा, सांभर, चीतल, उड़ने वाली गिलहरी/फ्लाइंग स्क्विरेल आदि शामिल हैं।
और पढ़ें: बाघों का अंतर-राज्यीय स्थानांतरण 
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