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भारत का डिजिटल भविष्य: डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023

  • 10 Oct 2023
  • 17 min read

यह एडिटोरियल 09/10/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “How the Digital India Act will shape the future of the country’s cyber landscape” लेख पर आधारित है। इसमें प्रस्तावित ‘डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023’ के बारे में चर्चा की गई है, जिसमें ऐसे आवश्यक खंड शामिल हैं जो लगातार बदलते डिजिटल परिदृश्य के साथ संरेखित हैं और जिनका लक्ष्य संबद्ध विविध चुनौतियों से निपटना और अवसरों का लाभ उठाना है।

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल इंडिया अधिनियम (DIA),डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, नेशनल डेटा गवर्नेंस पॉलिसी, डिजिटल इंडिया लक्ष्य, डिजिटल इंडिया, डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डीपफेक। 

मेन्स के लिये:

डिजिटल इंडिया अधिनियम, DIA के उद्देश्य एवं घटक, DIA की आवश्यकता, चुनौतियाँ और आगे की राह।

हाल ही में भारत सरकार द्वारा ‘डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023’ का प्रस्ताव किया गया है जो देश के बढ़ते डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक भविष्योन्मुखी कानूनी ढाँचा स्थापित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। 

यह प्रस्ताव एक ऐसे महत्त्वपूर्ण मोड़ पर किया गया है जब भारत का डिजिटल रूपांतरण तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) का यह सक्रिय कदम भारत की महत्त्वाकांक्षी ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के अनुरूप है। 

डिजिटल इंडिया अधिनियम (Digital India Act- DIA), 2023:  

  • उद्देश्य: 
    • ऐसे विकास-योग्य नियम तैयार करना जो प्रौद्योगिकी क्षेत्र में बदलते रुझानों के अनुरूप हों और देश के डिजिटल अवसंरचना की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप अद्यतन किये जा सकें। 
    • ऑनलाइन सिविल और आपराधिक कृत्यों के लिये आसानी से सुलभ न्यायिक तंत्र की पेशकश करना। 
    • नागरिकों को समय पर उपचार प्रदान करना, साइबर विवादों को हल करना और इंटरनेट पर विधि का शासन लागू करना। 
    • अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये व्यापक शासकीय सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए एक विधायी ढाँचा प्रदान करना। 
  • प्रमुख घटक: 
    • ओपन इंटरनेट: भारत सरकार के अनुसार ओपन इंटरनेट (Open Internet) में विकल्प, प्रतिस्पर्द्धा, ऑनलाइन विविधता, निष्पक्ष बाजार पहुँच, कारोबारी सुगमता के साथ-साथ स्टार्ट-अप्स के लिये अनुपालन की आसानी शामिल होनी चाहिये। ये विशेषताएँ शक्ति के संकेंद्रण और नियंत्रण (गेटकीपिंग) पर रोक लगाती हैं। 
    • ऑनलाइन सुरक्षा और विश्वास: नवीन अधिनियम इंटरनेट के साथ-साथ डार्क वेब पर उपयोगकर्ताओं को रिवेंज पोर्न, मानहानि और साइबरबुलिइंग जैसे साइबर खतरों से बचाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
      • यह भूल जाने के अधिकार (Right to be Forgotten) एवं डिजिटल विरासत के अधिकार (Right to Digital Inheritance) जैसे डिजिटल अधिकारों को आगे बढ़ाने, अल्पवयस्कों एवं उनके डेटा को एडिक्टिव टेक्नोलॉजी से बचाने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज़ को नियंत्रित करने पर लक्षित है। 
    • जवाबदेह इंटरनेट: नवीन अधिनियम का उद्देश्य शिकायतों के निवारण के लिये कानूनी तंत्र का निर्माण करने, साइबर स्पेस में संवैधानिक अधिकारों को बनाए रखने, एल्गोरिथम संबंधी पारदर्शिता एवं आवधिक जोखिम का मूल्यांकन करने और मध्यस्थों द्वारा एकत्र किये गए डेटा के लिये प्रकटीकरण मानदंडों को स्थापित करने के रूप में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं और गतिविधियों को अधिक जवाबदेह बनाना है। 
  • मुख्य विशेषताएँ: 
    • DIA दो दशक पुराने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 (IT Act) को प्रतिस्थापित करेगा, जो अब इंटरनेट और उभरती प्रौद्योगिकियों के गतिशील विकास द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों एवं अवसरों को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं कर पाता है। 
    • DIA का ढाँचा ऑनलाइन सुरक्षा, विश्वास एवं जवाबदेही, खुला इंटरनेट सुनिश्चित करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं ब्लॉकचेन जैसी नए जमाने की प्रौद्योगिकियों को विनियमित करने जैसे प्रमुख तत्वों पर ध्यान केंद्रित करेगा । 
    • DIA डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (Digital Personal Data Protection Act), डिजिटल इंडिया अधिनियम नियमावली (Digital India Act Rules), राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस नीति (National Data Governance Policy) और साइबर अपराधों के लिये भारतीय दंड संहिता में किये गए संशोधन सहित अन्य संबंधित कानूनों एवं नीतियों के साथ मिलकर कार्य करेगा। 
    • DIA ‘सेफ हार्बर’ (safe harbor) सिद्धांत की समीक्षा करेगा, जो X और फेसबुक जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों को उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिये जवाबदेही से बचाता है। 
    • DIA खुदरा बिक्री में उपयोग किये जाने वाले पहनने योग्य उपकरणों के लिये कठोर KYC (Know Your Customer) को अनिवार्य बनाता है, साथ ही संबंधित आपराधिक कानून प्रतिबंधों और दंडों के प्रावधान करता है। 
    • DIA ‘वर्ष 2026 के लिये डिजिटल इंडिया लक्ष्य’ के साथ संरेखित है, जिसका उद्देश्य 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण करना और वैश्विक प्रौद्योगिकियों के भविष्य को आकार देना है। 

डिजिटल इंडिया अधिनियम की आवश्यकता: 

  • पुराने पड़ चुके विनियमन: वर्ष 2000 का मौजूदा IT अधिनियम उस युग में तैयार किया गया था जब इंटरनेट के केवल 5.5 मिलियन उपयोगकर्ता थे और यह इंटरनेट की वर्तमान स्थिति का प्रबंधन कर सकने के लिये अपर्याप्त है। 
    • वर्तमान में 850 मिलियन उपयोगकर्ताओं, विभिन्न मध्यस्थों और ‘साइबरस्टॉकिंग’ (cyberstalking) एवं ‘डॉक्सिंग’ (doxing) जैसे खतरे के नए रूपों की स्थिति में IT अधिनियम इन जटिलताओं को संबोधित करने में विफल रहता है। 
  • वर्तमान विनियमों की अपर्याप्तता: मध्यस्थ दिशानिर्देश (Intermediary Guidelines), डिजिटल मीडिया आचार संहिता (Digital Media Ethics Code) और डेटा सुरक्षा नियमों जैसे नियामक तत्वों के अस्तित्व के बावजूद, नए युग की प्रौद्योगिकियों को नियंत्रित करने के मामले में वे अपर्याप्त हैं। 
  • विधिक अनुकूलन की आवश्यकता: ब्लॉकचेन और IoT जैसी तकनीकी उन्नति के साथ, उनकी अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक कानूनी ढाँचा विकसित होना चाहिये। इसमें साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाना, डेटा सुरक्षा और उभरते तकनीकी क्षेत्रों को विनियमित करना शामिल है। 

ई-कॉमर्स और ऑनलाइन कंटेंट को संबोधित करना: ई-कॉमर्स, डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन कंटेंट शेयरिंग की प्रगति के साथ अद्यतन नियमों की आवश्यकता है। डिजिटल इंडिया अधिनियम उपभोक्ता संरक्षण, इलेक्ट्रॉनिक अनुबंध और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट मॉडरेशन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करेगा। 

वैश्विक संरेखण और सर्वोत्तम अभ्यास: वैश्विक डिजिटल परिदृश्य में प्रभावी ढंग से शामिल होने के लिये भारत के विनियमनों को भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों एवं अभ्यासों के अनुरूप होना चाहिये। 

DIA, 2023 के कार्यान्वयन के राह की चुनौतियाँ  

  • बोझिल अनुपालन आवश्यकताएँ: इस अधिनियम के विनियमन व्यवसायों, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) पर उल्लेखनीय बोझ डाल सकते हैं। 
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिये ‘सेफ हार्बर’ सिद्धांत की समीक्षा संभावित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है। यह सुनिश्चित करना एक नाजुक कार्य होगा कि अधिनियम इस मूल अधिकार पर अंकुश न लगाए। 
  • संसाधन और अवसंरचना संबंधी आवश्यकताएँ: DIA के प्रभावी प्रवर्तन के लिये पर्याप्त संसाधनों, विशेषज्ञता और अवसंरचना की आवश्यकता होगी। इन क्षेत्रों में निवेश महत्त्वपूर्ण होगा। 
  • हितधारक हित: तकनीकी दिग्गजों और नागरिकों के अधिकारों सहित विभिन्न हितधारकों के हितों को संतुलित करना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि कार्यान्वयन प्रक्रिया में सभी हितधारकों की बातें सुनी जाएँ और उन पर विचार किया जाए। 
  • निगरानी और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: आलोचकों का तर्क है कि अधिनियम के कुछ प्रावधान सरकार को अत्यधिक निगरानी शक्तियाँ प्रदान कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से गोपनीयता अधिकारों से समझौता हो सकता है। सत्ता के दुरुपयोग और गोपनीयता के उल्लंघन से बचाने के लिये मज़बूत सुरक्षा उपायों को शामिल किया जाना चाहिये। 
  • डेटा स्थानीयकरण और सीमा-पार डेटा प्रवाह: डेटा स्थानीयकरण पर अधिनियम का दृष्टिकोण विवाद का विषय है। जबकि स्थानीयकरण डेटा संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ा सकता है, यह सीमा पार डेटा प्रवाह को बाधित भी कर सकता है, जिससे वैश्विक व्यवसायों पर असर पड़ सकता है जो कुशल डेटा स्थानांतरण पर निर्भर होते हैं। 

DIA, 2023 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये आगे की राह: 

  • हितधारक संलग्नता: सरकारी निकायों, प्रौद्योगिकी कंपनियों, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज सहित सभी प्रासंगिक हितधारकों को मसौदा तैयार करने एवं कार्यान्वयन प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिये। इससे एक संतुलित और व्यापक कानूनी ढाँचा बनाने में मदद मिलेगी। 
  • विनियमन और नवाचार को संतुलित करना: सख्त नियम (विशेष रूप से उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में) अनजाने में उद्यमशील पहलों को बाधित कर सकते हैं और विदेशी निवेश को अवरुद्ध कर सकते हैं। विनियमन और नवाचार के बीच सही संतुलन का निर्माण करना महत्त्वपूर्ण है। 
  • सहयोग और क्षमता निर्माण: DIA को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायपालिका और नियामक निकायों के क्षमता निर्माण में निवेश किया जाना चाहिये। 
    • डिजिटल क्षेत्र में वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यासों और मानकों के साथ DIA को संरेखित करने के लिये अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग का निर्माण किया जाए। 
  • सार्वजनिक जागरूकता: डिजिटल साक्षरता की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए, डिजिटल क्षेत्र में नागरिकों को उनके अधिकारों और उत्तरदायित्वों के बारे में शिक्षित करने के लिये सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिये। 

निष्कर्ष: 

डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि इसे कितनी कुशलता से अभ्यास में लाया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि इसका पालन करना बहुत कठिन नहीं हो, नागरिकों की गोपनीयता का सम्मान किया जाए और नए विचारों एवं व्यवसायों को प्रोत्साहित किया जाए। यदि इन चिंताओं को विचारपूर्वक संबोधित किया जाता है तो इस अधिनियम में एक ऐसे डिजिटल परिदृश्य को आकार देने की क्षमता है जो न केवल व्यक्तियों एवं व्यवसायों को बल्कि पूरे देश को लाभ पहुँचाएगा।   

अभ्यास प्रश्न: डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 भारत के लिये एक सुरक्षित, जवाबदेह और अभिनव डिजिटल भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। चर्चा कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के तहत 'निजता का अधिकार' संरक्षित है? (2021)

(a) अनुच्छेद 15
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 29

उत्तर: (c)


प्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में संरक्षित किया गया है। भारत के संविधान में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा  उपर्युक्त वाक्य को सही एवं उचित रूप से लागू करता है? (2018)

(a) अनुच्छेद 14 और संविधान के 42वें संशोधन के तहत प्रावधान।
(b) अनुच्छेद 17 और भाग IV में राज्य नीति के निदेशक सिद्धांत।
(c) अनुच्छेद 21 और भाग III में गारंटीकृत स्वतंत्रता।
(d) अनुच्छेद 24 और संविधान के 44वें संशोधन के तहत प्रावधान।

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. निजता के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में मौलिक अधिकारों के दायरे की जाँच कीजिये। (2017)

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