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विश्व मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट: WHO

  • 20 Jun 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डब्ल्यूएचओ, व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना, मनोदर्पण। 

मेन्स के लिये:

मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट जारी की। 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु: 

  • WHO ने दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को संबोधित करने के लिये और अधिक कार्रवाई का आह्वान किया है, खासकर तब जब 'कोविड -19' महामारी को मानसिक स्वास्थ्य को कुप्रभावित करने में योगदान के रूप में उद्धृत किया गया है। 
  • लगभग एक अरब लोग, जिनमें से 14% किशोर थे, 2019 में किसी न किसी रूप में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ जी रहे थे। कुछ के लिये यह आत्महत्या का कारण बना, जिसमें 100 में से एक की मृत्यु हुई, जिनमें से आधे से अधिक 50 वर्ष की आयु से पहले हुई। . 
  • महामारी (2020) के पहले वर्ष में अवसाद और चिंता 25% बढ़ गई। 
  • WHO के सभी 194 सदस्य राज्यों ने व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना 2013-2030 को अपनाया है लेकिन इसकी प्रगति धीमी रही है। 
  • महामारी के अलावा मानसिक कल्याण के लिये अन्य संरचनात्मक खतरों में सामाजिक और आर्थिक असमानताएंँ, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति, युद्ध और जलवायु संकट शामिल हैं। 
  • मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ जीने वाले सामान्य आबादी की तुलना में लगभग दो दशक कम जीते हैं। 
  • मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंँच खराब बनी हुई है। वैश्विक स्तर पर, 71% मनोविकृति रोगियों को उपचार प्राप्त नहीं होता है। उच्च आय वाले देश 70% मनोविकृति रोगियों को उपचार प्रदान करते हैं और कम आय वाले देश केवल 12% के लिये इसका प्रबंधन करते हैं। 
  • WHO की रिपोर्ट में व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना 2013-2030 पर प्रगति को तेज़ करने के लिये तीन प्रमुख 'परिवर्तन के पथ' को सूचीबद्ध किया गया है। 
    • इनमें मानसिक स्वास्थ्य में अधिक केंद्रित निवेश, घरों, समुदायों, स्कूलों, कार्यस्थलों और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं जैसे वातावरण को फिर से आकार देना शामिल है जो मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और इसे विविधता लाकर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता को मज़बूत करते हैं। 

मानसिक स्वास्थ्य: 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य खुशहाली एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी क्षमताओं का एहसास करता है, जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक और लाभदायक रूप से काम कर सकता है और अपने समुदाय में योगदान करने में सक्षम होता है। 
  • शारीरिक स्वास्थ्य की तरह, मानसिक स्वास्थ्य भी जीवन के हर चरण में, बचपन और किशोरावस्था से लेकर वयस्कता तक महत्वपूर्ण है। 

मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित चुनौतियांँ: 

  • उच्च सार्वजनिक स्वास्थ्य बोझ: भारत के नवीनतम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, भारत में अनुमानित 150 मिलियन लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। 
  • संसाधनों की कमी: भारत में मानसिक स्वास्थ्य कार्यबल के निम्न अनुपात (प्रति 100,000 जनसंख्या) में मनोचिकित्सक (0.3), नर्स (0.12), मनोवैज्ञानिक (0.07) और सामाजिक कार्यकर्त्ता (0.07) शामिल हैं। 
    • स्वास्थ्य देखभाल पर सकल घरेलू उत्पाद के केवल एक प्रतिशत से अधिक के कम वित्तीय संसाधन आवंटन ने सस्ती मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये सार्वजनिक पहुंँच में बाधाएंँ पैदा की हैं। 
  • अन्य चुनौतियाँ: मानसिक बीमारी के लक्षणों के बारे में कम जागरूकता, सामाजिक लांछनऔर मानसिक रूप से बीमार, विशेष रूप से वृद्ध और निराश्रितों का परित्याग, रोगी के इलाज़ के लिये परिवार के सदस्यों की ओर से सामाजिक अलगाव और अनिच्छा का कारण बनता है। 
    • इसके परिणामस्वरूप इलाज़ में भारी अंतर पैदा हो गया है, जो किसी व्यक्ति की वर्तमान मानसिक बीमारी को और खराब कर देता है। 
  • परवर्ती चिकित्सा अंतराल: मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के उपचार के बाद उनके उचित पुनर्वास की आवश्यकता होती है जो वर्तमान में मौजूद नहीं है। 
  • तीव्रता में वृद्धि: आर्थिक मंदी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याएंँ बढ़ जाती हैं, इसलिये आर्थिक संकट के समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। 

मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम: 

  • संवैधानिक प्रावधान: सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य सेवा को मौलिक अधिकार माना है। 
  • राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP): मानसिक विकारों के भारी बोझ और मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग्य पेशेवरों की कमी को दूर करने के लिये सरकार वर्ष 1982 से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) को लागू कर रही है। 
    • वर्ष 2003 में दो योजनाओं को शामिल करने हेतु इस कार्यक्रम को सरकार द्वारा पुनः रणनीतिक रूप से तैयार किया गया, जिसमें राजकीय मानसिक अस्पतालों का आधुनिकीकरण और मेडिकल कॉलेजों/सामान्य अस्पतालों की मानसिक विकारों से संबंधित इकाइयों का उन्नयन करना शामिल था। 
  • मानसिक स्वास्थ्यकर अधिनियम, 2017: यह अधिनयम प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार तक पहुँच की गारंटी देता है। 
    • मानसिक स्वास्थ्यकर अधिनियम, 2017: यह अधिनियम प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति को सरकार द्वारा संचालित या वित्तपोषित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार तक पहुँच की गारंटी देता है। 
  • किरण हेल्पलाइन: वर्ष 2020 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने चिंता, तनाव, अवसाद, आत्महत्या के विचार और अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं का सामना कर रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिये 24/7 टोल-फ्री हेल्पलाइन 'किरण' शुरू की थी।  
  • मनोदर्पण: मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने इसे आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत लॉन्च किया। इसका उद्देश्य छात्रों, परिवार के सदस्यों और शिक्षकों को उनके मानसिक स्वास्थ्य और भलाई के लिये कोविड -19 के समय में मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना है। 

आगे की राह:  

  • भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति सरकार द्वारा सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप और संसाधन आवंटन की मांग करती है।. 
  • मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कलंक को कम करने के लिये हमें समुदाय/समाज को प्रशिक्षित और संवेदनशील बनाने के उपायों की आवश्यकता है। 
  • जब मानसिक बीमारी वाले रोगियों को सही देखभाल प्रदान करने की बात आती है, तो हमें रोगियों के लिये मानसिक स्वास्थ्य देखभाल हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है, हमें सेवाओं और कर्मचारियों की पहुँच को बढ़ाने के लिये नए मॉडल की आवश्यकता है। 
  • भारत को मानसिक स्वास्थ्य और इससे संबंधित मुद्दों के बारे में शिक्षित करने और जागरूकता पैदा करने के लिये निरंतर वित्तीयन की आवश्यकता है। 
  • स्वच्छ मानसिकता अभियान जैसे अभियानों के माध्यम से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिये प्रेरित करना समय की मांग है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ  

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