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भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व ऊर्जा निवेश रिपोर्ट, 2021: आईईए

  • 07 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, विश्व ऊर्जा निवेश रिपोर्ट, कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज, विश्व ऊर्जा निवेश रिपोर्ट, वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक रिपोर्ट, वैश्विक ऊर्जा समीक्षा

मेन्स के लिये

नवीकरणीय ऊर्जा से होने वाले लाभ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) ने विश्व ऊर्जा निवेश रिपोर्ट (World Energy Investment Report), 2021 प्रकाशित की।

वैश्विक ऊर्जा निवेश, 2017-21

World-Energy-Investment

प्रमुख बिंदु

ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ा निवेश:

  • वैश्विक ऊर्जा निवेश को वर्ष 2021 में फिर से बढ़ाने और इसके सालाना 10% बढ़कर लगभग 1.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।
  • इस निवेश का अधिकांश हिस्सा पारंपरिक जीवाश्म ईंधन उत्पादन से हटकर बिजली और अंतिम उपयोग क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होगा।
  • परिदृश्य पूरी तरह से इस अनुमान के अनुरूप है कि वैश्विक ऊर्जा मांग वर्ष 2021 में सालाना आधार पर 4.6% बढ़ेगी, जिससे वर्ष 2020 में इसके संकुचन की भरपाई होगी।

नवीकरणीय ऊर्जा:

  • नई बिजली उत्पादन क्षमता पर होने वाले कुल खर्च का लगभग 70% नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Power) पर किया जाएगा।
  • नवीकरणीय ऊर्जा का पर्याप्त लाभ होगा क्योंकि यह तकनीकी विकास, अच्छी तरह से स्थापित आपूर्ति शृंखला और कार्बन-तटस्थ बिजली के लिये उपभोक्ताओं की मांग पर निर्भर है।

जीवाश्म ईंधन:

  • तेल के उत्पादन और अन्वेषण में 10% निवेश बढ़ने की उम्मीद है। जीवाश्म ईंधन में इस विस्तार की योजना कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (Carbon Capture and Storage- CCS) तथा बायोएनर्जी (Bioenergy CCS) सीसीएस जैसी नई प्रौद्योगिकियों के साथ बनाई गई थी, जिन्हें अभी तक व्यावसायिक सफलता नहीं मिली है।
  • वर्ष 2020 में कोयले से उत्पादित बिजली की वृद्धि, जो ज़्यादातर चीन द्वारा संचालित है, यह संकेत दे रही है कि कोयले से बिजली उत्पादन महँगा होने के बाद भी इसका महत्त्व बना हुआ है।

बढ़ा हुआ उत्सर्जन:

  • उपरोक्त सकारात्मक परिदृश्य अभी भी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि को रोक नहीं पाएगा, मुख्य रूप से वर्ष 2020 के बाद कोरोना वायरस महामारी से प्रेरित आर्थिक मंदी के कारण।
  • वर्ष 2021 में वैश्विक उत्सर्जन 1.5 बिलियन टन बढ़ने का अनुमान है।
  • कई विकासशील देशों की सहायक नीति और नियामक ढाँचे अभी तक लंबी अवधि के नेट ज़ीरो एमिशन (Net Zero Emission) के लक्ष्यों के अनुरूप नहीं हैं।
    • नेट ज़ीरो एमिशन का तात्पर्य उत्पादित ग्रीनहाउस गैस (Greenhouse Gas) उत्सर्जन और वातावरण से निकाले गए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के बीच एक समग्र संतुलन प्राप्त करना है।
  • कई उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (Emerging Market and Developing Economies- EMDE) में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश विकसित देशों की तुलना में कोविड-19 के कारण कम हुआ जिससे कई ईएमडीई ने कोयले और तेल को प्राथमिकता दी है।

बढ़े हुए उत्सर्जन का कारण:

  • मांग में वृद्धि के लिये उभरता बाज़ार लगभग 70% ज़िम्मेदार है और भारत इस ब्लॉक में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • चीन कोयला आधारित बिजली उत्पादन में अत्यधिक विस्तार कर रहा है, (इसकी  दिसंबर 2020 में कोयले की खपत उच्चतम स्तर पर थी) हालाँकि यह अपने अक्षय ऊर्जा विकास में भी सराहनीय काम कर रहा है।
  • विकसित देशों की ज़िम्मेदारी और हिस्सेदारी को कम नहीं आँका जाना चाहिये। इनके उत्सर्जन की वृद्धि मध्यम है लेकिन इनका निर्यात उत्सर्जन चिंता का विषय है।
    • कोयले के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया का निर्यात उत्सर्जन उसके घरेलू उत्सर्जन से दोगुना है।
  • हालाँकि अमेरिका ने पेरिस समझौते (Paris Agreement) में फिर से शामिल होकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये बहुपक्षीय संयुक्त राष्ट्र (United Nation) प्रणाली के प्रति नई प्रतिबद्धता दिखाई है। सस्ते शेल गैस के प्रति इसका आकर्षण निवेश में विकृति पैदा कर रहा है और भारत जैसे देशों के विकास पथ की स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के विषय में:

  • यह वर्ष 1974 में पेरिस, फ्राँस में स्थापित एक स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन है।
  • यह मुख्य रूप से ऊर्जा नीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण आदि शामिल हैं। इन नीतियों को 3 ई (3 E) के रूप में भी जाना जाता है।

भारत और आईईए:

  • भारत मार्च 2017 में आईईए का एसोसिएट सदस्य बना था, हालाँकि भारत इससे पूर्व से ही संगठन के साथ कार्य कर रहा था।
  • हाल ही में भारत ने वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा और स्थिरता के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करने के लिये आईईए के साथ एक रणनीतिक समझौता किया है।

आईईए स्वच्छ कोयला केंद्र:

  • यह स्वतंत्र सूचना और विश्लेषण प्रदान करने के लिये समर्पित है कि कैसे कोयला संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत बन सकता है।

 रिपोर्ट:

आगे की राह

  • कोविड महामारी के बीच बाज़ार प्रोत्साहन ने स्वच्छ विकास मार्ग को अधिकतम करने का अवसर खो दिया है, जिसकी विश्व को सख्त ज़रूरत है।
  • संचार में दिखाई देने वाली तात्कालिकता अभी भी कार्रवाई में संतोषजनक रूप से प्रतिबिंबित नहीं हुई है और विश्व जलवायु परिवर्तन को दो डिग्री सेल्सियस के अंदर सीमित करने के वैज्ञानिक लक्ष्य से बहुत दूर है।
  • एक अधिक लोकतांत्रिक निर्णय लेने की प्रक्रिया और ऊर्जा क्षेत्र का डी-कॉरपोरेटाइज़ेशन इस ग्रह पर सभ्यता के अस्तित्व के लिये भविष्य की आवश्यकता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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