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सुरक्षा

UNSC आतंकवाद निरोधक समिति की बैठक

  • 29 Oct 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, FATF, मुंबई हमला, क्रिप्टो करेंसी, UNODC।

मेन्स के लिये:

आतंकवाद जैसी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये पहल।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने वर्तमान आतंकवाद में क्रिप्टो- करेंसी और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से आतंक-वित्तपोषण पर चर्चा करने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति (CTC) की एक विशेष बैठक की मेज़बानी की।

  • वर्ष 2001 में यूएनएससी-सीटीसी की स्थापना के बाद से भारत में इस तरह की यह पहली बैठक होगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि (रुचिरा कंबोज) वर्ष 2022 के लिये सीटीसी की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
  • थीम: आतंकवादी उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करना।

UNSC-CTC:

  • यह सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1373 द्वारा स्थापित किया गया था जिसे अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमलों के मद्देनज़र 28 सितंबर, 2001 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
  • समिति में सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य शामिल हैं।
    • पाँच स्थायी सदस्य: चीन, फ्राँस, रूसी संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दस गैर-स्थायी सदस्य महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिये चुने जाते हैं।
  • इस समिति को संकल्प 1373 के कार्यान्वयन की निगरानी का काम सौंपा गया था, जिसमें देशों से घरेलू और दुनिया भर में आतंकवादी गतिविधियों का मुकाबला करने के लिये अपनी कानूनी एवं संस्थागत क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से कई उपायों को लागू करने का अनुरोध किया गया था।
  • इसमें आतंकवाद के वित्तपोषण का अपराधीकरण करना, आतंकवाद के कृत्यों में शामिल व्यक्तियों से संबंधित किसी भी धन को जमा करना, आतंकवादी समूहों के लिये सभी प्रकार की वित्तीय सहायता से इनकार करना, आतंकवादियों के लिये सुरक्षित आश्रय, जीविका या समर्थन के प्रावधान को रोकना तथा आतंकवादी कृत्यों का अभ्यास या योजना बनाने वाले किसी भी समूह पर अन्य सरकारों के साथ जानकारी साझा करने से रोकना जैसे आवश्यक कदम शामिल हैं।

बैठक की मुख्य बातें

  • भारत ने CTC पर विचार के लिये पाँच बिंदु सूचीबद्ध किये:
    • आतंक-वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये प्रभावी और निरंतर प्रयास।
    • संयुक्त राष्ट्र के सामान्य प्रयासों को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) जैसे अन्य मंचों के साथ समन्वयित करने की आवश्यकता है।
    • यह सुनिश्चित करना कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था राजनीतिक कारणों से अप्रभावी न हो।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आतंकवादियों तथा उनके प्रायोजकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई, जिसमें आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करना अनिवार्यताएँ शामिल हैं।
    • इन संबंधों को पहचानें और हथियारों एवं अवैध मादक पदार्थों की तस्करी जैसे एक अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के साथ आतंकवाद की सांठगाँठ को तोड़ने के लिये बहुपक्षीय प्रयासों को मज़बूत करना।

भारत के सामने उभरती चुनौतियाँ:

  • आतंक फैलाने के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग दुनिया भर में बढ़ती चिंता का विषय है।
  • जबकि 26/11 हमले के आतंकवादियों में से एक के ऊपर भारत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा चलाया गया तथा दोषी ठहराया गया 26/11 हमलों के प्रमुख षड्यंत्रकारियों और योजनाकारों को अभी भी दंडित नहीं किया गया है।
  • चीन द्वारा कई मौकों पर पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के खिलाफ UNSC प्रतिबंधों पर रोक लगाने से सुरक्षा परिषद कुछ मामलों में कार्रवाई करने के लिये कमज़ोर हो जाती है।
  • इन वर्षों में आतंकवादी समूह अपने वित्तपोषण पोर्टफोलियो में विविधता लाए हैं। उन्होंने धन जुटाने और वित्त के लिये आभासी मुद्राओं जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियों की गुमनामी का फायदा उठाना शुरू कर दिया है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का मुकाबला करने में ढीली व्यवस्था के लिये पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ की तथाकथित ग्रे सूची में डाल दिया गया था। FATF ने अक्तूबर 2022 में प्लेनरी में चार साल से अधिक समय के बाद पाकिस्तान को हटा दिया था।
    • पिछले साल से पाकिस्तान को समूह से बाहर करने पर चर्चा कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों की प्रवृत्ति के साथ हुई।

आतंकवाद

  • परिचय:
    • कोई भी व्यक्ति जोअपराध करता है, आबादी को डराता है या किसी सरकार या अंतर्राष्ट्रीय संगठन को किसी भी कार्य को करने या उससे दूर रहने के लिये मज़बूर करता है, जिसके कारण है::
      • किसी भी व्यक्ति की मृत्यु या गंभीर शारीरिक चोट
      • सार्वजनिक या निजी संपत्ति को गंभीर नुकसान, जिसमें सार्वजनिक उपयोग का स्थान, एक राज्य या सरकारी सुविधा, एक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, एक बुनियादी ढाँचा सुविधा या पर्यावरण शामिल है;
      • संपत्ति, स्थानों, सुविधाओं या प्रणालियों को नुकसान जिसके परिणामस्वरूप बड़ा आर्थिक नुकसान होने की संभावना हो।
  • आतंकवाद से निपटने के लिये भारत की पहल:
    • आतंकी हमले के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिये कई कदम उठाए गए।
    • तटीय सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता दी गई और यह नौसेना/तट रक्षक/समुद्री पुलिस के पास है।
    • आतंकवादी अपराधों से निपटने के लिये राष्ट्रीय जाँच एजेंसी की स्थापना की गई थी जो जनवरी 2009 से काम कर रही है।
    • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) का गठन सुरक्षा संबंधी सूचनाओं का एक उपयुक्त डेटाबेस बनाने के लिये किया गया है।
    • आतंकी हमलों का तेज़ी से जवाब सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के लिये चार नए ऑपरेशनल हब बनाए गए हैं।
    • इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत काम करने वाले मल्टी एजेंसी सेंटर को और मज़बूत किया गया एवं इसकी गतिविधियों का विस्तार किया गया।
    • नौसेना ने भारत के विस्तारित समुद्र तट पर निगरानी रखने के लिये संयुक्त अभियान केंद्र का गठन किया।
  • वैश्विक प्रयास:
    • आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCT) आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद को रोकने एवं उसका मुकाबला करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के दृष्टिकोण का नेतृत्व तथा समन्वय करता है।
      • UNOCT के तहत UN आतंकवाद निरोधक केंद्र(UNCCT), आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को लागू करने में सदस्य राज्यों का समर्थन करता है।
    • ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) की आतंकवाद रोकथाम शाखा (TPB) अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
      • यह अनुरोध पर सदस्य राज्यों की सहायता के लिये अनुसमर्थन, विधायी समावेश और आतंकवाद के खिलाफ सार्वभौमिक कानूनी ढाँचे के कार्यान्वयन के साथ काम करता है।
    • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जो एक वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था है, अंतर्राष्ट्रीय मानकों को निर्धारित करती है जिसका उद्देश्य इन अवैध गतिविधियों एवं समाज को होने वाले नुकसान को रोकना है।

आगे की राह

  • आतंकवाद का मुकाबला करने का एक अनिवार्य पहलू आतंकवाद के वित्तपोषण को प्रभावी ढंग से रोकना है।
  • आतंकवादी समूहों को सूचीबद्ध करने के लिये उद्देश्य और साक्ष्य-आधारित प्रस्तावों, विशेष रूप से उन लोगों को जो वित्तीय संसाधनों तक उनकी पहुँच पर अंकुश लगाते हैं
  • अंतररास्ट्रीयय समुदाय को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर आतंकवाद की चुनौती को हराना चाहिये।
  • सीमा की रक्षा के पारंपरिक तरीकों को बढ़ाने और पूरक करने के लिये तकनीकी समाधान आवश्यक हैं। वे न केवल सीमा की रक्षा करने वाले बलों की निगरानी और पहचान क्षमताओं को बढ़ाते हैं, बल्कि घुसपैठ और सीमा पार अपराधों के खिलाफ सीमा की रक्षा करने वाले कर्मियों के प्रभाव में भी सुधार करते हैं।
  • भारत को सीमा पार आतंकवाद से लड़ने के लिये सेना की विशेषज्ञता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये।
    • सेना को प्रेसिजन इंगेजमेंट कैपेबिलिटी जैसे तंत्र के माध्यम से LOC और LLC के पार आतंकी शिविरों पर हमला करने के वैकल्पिक तरीकों पर भी विचार करना चाहिये।
  • ठीक से प्रशिक्षित जनशक्ति और किफायती व परीक्षण की गई प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण मिश्रण से बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है।
  • आतंकवाद के खिलाफ युद्ध एक कम तीव्रता वाला संघर्ष या स्थानीय युद्ध है और इसे समाज के पूर्ण व निर्बाध समर्थन के बिना नहीं छेड़ा जा सकता है, यदि आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिये समाज का मनोबल और संकल्प लड़खड़ाता है तो इसे आसानी से खो दिया जा सकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: आतंकवाद का संकट राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिये आप क्या उपाय सुझाते हैं? आतंकवादी फंडिंग के प्रमुख स्रोत क्या हैं? (मुख्य परीक्षा, 2017)

स्रोत: द हिंदू

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