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सामाजिक न्याय

नरसंहार पर UNODC की वैश्विक अध्ययन रिपोर्ट, 2023

  • 23 Dec 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नरसंहार (होमिसाइड) रिपोर्ट, 2023 पर वैश्विक अध्ययन, ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय  (UNODC), होमिसाइड, सतत विकास लक्ष्य।

मेन्स के लिये:

UNODC की होमिसाइड रिपोर्ट 2023 पर वैश्विक अध्ययन, गरीबी और भूखमरी से संबंधित मुद्दे।

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) ने मानव वध  (Homicide) 2023 रिपोर्ट पर एक वैश्विक अध्ययन जारी किया है, जिसमें पाया गया कि नरसंहार सशस्त्र संघर्ष तथा आतंकवाद से भी बड़ा अपराध है।

  • नरसंहार (Homicide) किसी व्यक्ति की हत्या है, चाहे वह जानबूझकर या अनजाने में वैध या गैरकानूनी हो, जबकि हत्या (Murder) किसी व्यक्ति की पूर्व विचारपूर्वक इरादे या द्वेष से की गई गैरकानूनी है।
  • रिपोर्ट आपराधिक गतिविधियों और पारस्परिक संघर्ष से संबंधित हत्याओं के साथ-साथ "सामाजिक-राजनीतिक रूप से प्रेरित हत्याओं" जैसे मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं, मानवीय कार्यकर्त्ताओं एवं पत्रकारों की जानबूझकर हत्या की जाँच करती है।

नरसंहार रिपोर्ट, 2023 पर वैश्विक अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • हत्या की प्रवृत्तियाँ:
    • वर्ष 2019 और 2021 के बीच सालाना हत्या के कारण औसतन लगभग 440,000 मौतें हुईं।
    • वर्ष 2021 असाधारण रूप से विनाशकारी था, जिसमें 458,000 हत्याएँ हुईं। कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव तथा संगठित अपराध, गिरोह-संबंधी एवं सामाजिक-राजनीतिक हिंसा में वृद्धि ने इसे और अधिक बढ़ाने में अहम योगदान दिया।
    • 2021 और 2022 के बीच संघर्ष में होने वाली मौतों में 95% से अधिक वृद्धि के बावजूद, उपलब्ध आँकड़ों से पता चलता है कि 2022 में वैश्विक हत्या का बोझ संघर्ष में होने वाली मौतों से दोगुना था।
  • मानव वध  में योगदान देने वाले कारक:
    • वैश्विक नरसंहार में संगठित अपराध का योगदान 22% है, जो अमेरिका में 50% तक पहुँच गया है। संगठित अपराध समूहों और गिरोहों के बीच प्रतिस्पर्धा जानबूझकर की जाने वाली हत्याओं को काफी हद तक बढ़ा सकती है।
    • जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव, असमानता, शहरीकरण और तकनीकी परिवर्तन जैसे कारक विभिन्न क्षेत्रों में नरसंहार की दर को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं।

  • क्षेत्रीय विविधताएँ:
    • अमेरिका में प्रति व्यक्ति क्षेत्रीय नरसंहार दर उच्चतम है जोकि 2021 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 15 हत्याएँ थी।
    • अफ्रीका में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 12.7 की नरसंहार दर के साथ सर्वाधिक हत्याएँ (176,000) दर्ज़ की गईं। अन्य क्षेत्रों की तुलना में अफ्रीका में हत्या की दरों में गिरावट नहीं देखी गयी।
    • एशिया, यूरोप और ओशिनिया में 2021 में प्रति 100,000 आबादी पर 5.8 के वैश्विक प्रति व्यक्ति औसत से नरसंहार दर बहुत कम  थी।
  • पीड़ित:  
    • हत्या के शिकार 81% और संदिग्धों में से 90% पुरुष थे, जबकि महिलाओं की हत्या की अधिक संभावना परिवार के सदस्यों या सुपरिचितों द्वारा की गईं, ऐसा पाया गया।
    • वर्ष 2021 में हत्या के शिकार 15% बच्चे थे, जिनकी संख्या 71,600 लड़के और लड़कियाँ थीं।
  • लक्षित हत्याएँ और सहायता कर्मियों पर प्रभाव:
    • मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों, सहायता कर्मियों आदि की जानबूझकर की गई हत्याएँ, वैश्विक हत्याओं का कुल 9% है।
    • मानवीय सहायता कर्मियों को वर्ष 2010-2016 की तुलना में वर्ष 2017-2022 के दौरान अधिक औसत मृत्यु का सामना करना पड़ा, जो खतरे के स्तर में वृद्धि का संकेत देता है।
  • अनुमान और भेद्यता:
    • वर्ष 2030 में वैश्विक मानवहत्या दर घटकर 4.7 होने का अनुमान है, हालाँकि यह सतत् विकास लक्ष्य लक्ष्य से कम है।
    • अफ्रीका को उसकी युवा आबादी, लगातार असमानता और जलवायु संबंधी चुनौतियों के कारण सबसे सुभेद्य क्षेत्र के रूप में पेश किया गया है।

भारत से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • हत्याओं के पीछे के उद्देश्य:
    • वर्ष 2019 और 2021 के दौरान भारत में दर्ज किये गए हत्या के लगभग 16.8% मामले संपत्ति, भूमि या जल तक पहुँच के विवादों से जुड़े थे।
    • वर्ष 2019 और 2021 के दौरान भारत में दर्ज की गई हत्याओं में से लगभग 0.5% (300 मामले) को विशेष रूप से जल से संबंधित संघर्षों के लिये ज़िम्मेदार ठहराया गया था, जो इस मुद्दे को मानव हत्याओं के एक महत्त्वपूर्ण करक के रूप में उभरने पर प्रकाश डालता है।
  • जल-संबंधी संघर्षों को बढ़ाने वाले कारक:
    • जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक विस्तार और जलवायु परिवर्तन: इन कारकों की पहचान जल अभिगम पर तनाव बढ़ाने वाले, जल संसाधनों पर विवादों से संबंधित हिंसा में वृद्धि में योगदान देने वाले कारकों के रूप में की गई थी।

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