इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय डेटा

  • 27 Oct 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय डेटा, संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD), भूमि क्षरण, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूमि क्षरण तटस्थता

मेन्स के लिये:

संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय डेटा, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UN Convention to Combat Desertification- UNCCD) का पहला डेटा डैशबोर्ड शुरू किया गया है जो विश्व भर के सभी क्षेत्रों में भूमि क्षरण में आश्चर्यजनक दर से हो रही वृद्धि को दर्शाता है।

  • इसमें वैश्विक स्तर पर भूमि क्षरण की वर्तमान स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करने के लिये 126 देशों के राष्ट्रीय रिपोर्टिंग आँकड़ों का संकलन किया गया है।
  • UNCCD का 21वाँ सत्र नवंबर 2023 में उज़्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित किया जाएगा। भूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality- LDN) प्राप्त करने की दिशा में वैश्विक प्रगति की समीक्षा तथा संबंधित मुद्दों का समाधान इस सत्र का केंद्रीय विषय होगा।

भूमि क्षरण तटस्थता (LDN):

  • भूमि क्षरण तटस्थता (LDN) एक सीधी-सरल अवधारणा है जिसका उपयोग वनोंमूलन पर रोक लगाने और निम्नीकृत भूमि की पुनर्स्थापना के लिये एक बहुमुखी उपकरण के रूप में किया जा सकता है, साथ ही इसके उपयोग से पर्याप्त, सुचारू तथा उत्पादक प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित किया जा सकता है।
  • यह बेहतर भूमि प्रबंधन प्रथाओं एवं भूमि-उपयोग योजनाओं पर केंद्रित है जो मौजूदा और आगामी पीढ़ियों के लिये आर्थिक, सामाजिक व पारिस्थितिक संधारणीयता में सुधार करने में सहायता करेगी।
  • यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने तथा अनुकूलन के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। भूमि क्षरण को पूरी तरह से नियंत्रित करने मृदा और वनस्पति में कार्बन भंडार बढ़ाकर भूमि को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का स्रोत बनने के बजाय इसे कार्बन सिंक में परिवर्तित किया जा सकता है।

भूमि क्षरण पर UNCCD डेटा का महत्त्व:

  • भूमि क्षरण की प्रवृत्तियों को समझने में मदद: 
    • वर्ष 2015 से 2019 तक विश्व भर में लगभग 100 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष की दर से उत्पादक भूमि नष्ट हुई है, जो ग्रीनलैंड के आकार से दोगुना है।
    • वैश्विक स्तर पर भूमि क्षरण तीव्र गति से हो रहा है।
  • क्षेत्रीय भिन्नताएँ: 
    • पूर्वी और मध्य एशिया, लैटिन अमेरिका तथा कैरेबियाई क्षेत्र में भूमि क्षरण की समस्या काफी गंभीर है, इससे उनके कुल भूमि क्षेत्र के कम-से-कम 20% भाग पर इसका प्रभाव पड़ा है।
    • उप-सहारा अफ्रीका, पश्चिमी और दक्षिणी एशिया, लैटिन अमेरिका तथा कैरेबियाई क्षेत्र में वैश्विक औसत की तुलना में भूमि क्षरण की दर अधिक तीव्र है।
    • उप-सहारा अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तथा कैरेबियाई क्षेत्र में वर्ष 2015 से क्रमशः 163 मिलियन हेक्टेयर एवं 108 मिलियन हेक्टेयर भूमि का क्षरण हुआ है।
  • सुधार वाले क्षेत्र: 
    • कुछ देशों ने भूमि क्षरण के निपटान में प्रगति दिखाई है। उदाहरण के लिये, उप-सहारा अफ्रीका के बोत्सवाना में भूमि क्षरण की दर 36% से घटकर 17% रह गई है
      • इस देश में कुल 45.3 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षरण में तटस्थता हासिल की है, जिसमें आने वाले समय में उसमें होने वाले किसी प्रकार के क्षरण से बचाव के उपायों के साथ-साथ चयनित भूमि क्षरण वाले क्षेत्रों में पुनर्स्थापना के प्रयास भी शामिल हैं।
    • डोमिनियन गणराज्य में याक डेल नॉर्ट नदी बेसिन और सैन फ्रांसिस्को डी मैकोरिस प्रांत में कोको उत्पादन क्षेत्रों में 240 000 हेक्टेयर भूमि को पुनर्स्थापित करने के मौजूदा प्रयासों से वर्ष 2015 और 2019 के बीच क्षरित भूमि का अनुपात 49% से घटकर 31% रह गया है।
    • जबकि मध्य एशिया क्षेत्र में उज़्बेकिस्तान में क्षरित भूमि का उच्चतम अनुपात (26.1%) पाया गया है, यह वर्ष 2015 में 30% की तुलना में अत्यधिक सुधार को दर्शाता है।
      • अरल सागर के सूखने के कारण उज़्बेकिस्तान में कुल तीन मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षरित/नष्ट हो गई है। 2018-2022 तक उज़्बेकिस्तान ने अरल सागर के सूखे तल से नमक और धूल उत्सर्जन को खत्म करने के लिये 1.6 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में सैक्सौल रोपण किया।
  • भारत के आँकड़े:
    • भारत में क्षरित भूमि क्षेत्र वर्ष 2015 के 4.42% से बढ़कर वर्ष 2019 में 9.45% हो गया है।

LDN लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये UNCCD की सिफारिशें:

  • UNCCD डेटा संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों में उल्लिखित LDN लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये वर्ष 2030 तक 1.5 बिलियन हेक्टेयर क्षरित भूमि को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता पर बल देता है।
  • UNCCD चिंताजनक वैश्विक रुझानों को देखते हुए आने वाले समय में अत्यधिक भूमि क्षरण पर रोक लगाने तथा और भूमि को पुनर्स्थापित करने के प्रयासों में तेज़ी लाकर LDN लक्ष्यों को पूरा करने के महत्त्व पर बल देता है।
  • कई देशों ने वर्ष 2030 के लिये स्वैच्छिक LDN लक्ष्य निर्धारित किये हैं और जिसके लिये अत्यधिक वित्त की आवश्यकता होगी।

भूमि क्षरण: 

  • परिचय:
    • भूमि क्षरण कई कारणों से होता है, जिनमें अत्यधिक मौसम की स्थिति, विशेषकर सूखा भी शामिल है।
    • यह मानवीय गतिविधियों के कारण भी होता है जो मृदा और भूमि की उपयोगिता को प्रदूषित या प्रभावित करते हैं।
  • प्रभाव:
    • मरुस्थलीकरण गंभीर भूमि क्षरण का परिणाम है और इसे एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है जो शुष्क, अर्ध-शुष्क एवं शुष्क उप-आद्र क्षेत्रों का निर्माण करती है।
    • यह जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता की हानि को तीव्र करता है तथा सूखे, वनाग्नि, अनैच्छिक प्रवासन एवं ज़ूनोटिक संक्रामक रोगों के उद्भव में योगदान देता है।

भूमि क्षरण को रोकने के लिये प्रयास:

मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCCD):

  • परिचय:
    • वर्ष 1994 में स्थापित यह पर्यावरण और विकास को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ने वाला एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी अतर्राष्ट्रीय समझौता है।
    • यह विशेष रूप से शुष्क भूमियों यथा: शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों, जहाँ कुछ सर्वभेद्य पारिस्थितिक तंत्र और लोग पाए जा सकते हैं, UNCCD 2018-2030 की रणनीतिक फ्रेमवर्क:
    • की समस्याओं का हल करता है।
    • अभिसमय के 197 सदस्य शुष्क भूमि में लोगों के लिये निर्वहन स्थिति में सुधार करने, भूमि और मृदा की उर्वरता को बनाए रखने, इसके पुनर्भरण करने और सूखे के प्रभावों को कम करने के लिये मिलकर कार्य करते हैं।
    • UNCCD भूमि, जलवायु और जैवविविधता की परस्पर जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने के लिये अन्य दो अभिसमयों के साथ कार्य करता है:
    • यह भूमि क्षरण तटस्थता (LDN) प्राप्त करने के लिये सबसे व्यापक वैश्विक प्रतिबद्धता है, ताकि भूमि की व्यापक स्तर पर उत्पादकता को बहाल किया जा सके, 1.3 अरब से अधिक लोगों की आजीविका में सुधार किया जा सके और अभावग्रस्त आबादी पर सूखे के प्रभाव को कम किया जा सके।
  • UNCCD और सतत् विकास:
    • SDG, 2030 का लक्ष्य 15 घोषित करता है कि "हम पृथ्वी को निम्नीकरण से बचाने के लिये प्रतिबद्ध हैं, जिसमें धारणीय उपभोग और उत्पादन, इसके प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन पर तत्काल कार्रवाई करना शामिल है, ताकि यह वर्तमान व भावी पीढ़ियों की ज़रूरतों का समर्थन कर सके।"

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 'मरुस्थलीकरण को रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification)’ का/के क्या महत्त्व है/हैं? (2016)

  1. इसका उद्देश्य नवप्रवर्तनकारी राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं समर्थक अंतर्राष्ट्रीय भागीदारियों के माध्यम से प्रभावकारी कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है।
  2. यह विशेष/विशिष्ट रूप से दक्षिण एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रों पर केंद्रित होता है तथा इसका सचिवालय इन क्षेत्रों को वित्तीय संसाधनों के बड़े हिस्से का नियतन सुलभ कराता है।
  3. यह मरुस्थलीकरण को रोकने में स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करते हेतु ऊर्ध्वगामी उपागम (बॉटम-अप अप्रोच) के लिये प्रतिबद्ध है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. मरुस्थलीकरण के प्रक्रम की जलवायविक सीमाएँ नहीं होती हैं। उदाहरणों सहित औचित्य सिद्ध कीजिये। (2020)

प्रश्न. भारत के सूखा-प्रवण एवं अर्द्धशुष्क प्रदेशों में लघु जलसंभर विकास परियोजनाएँ किस प्रकार जल संरक्षण में सहायक हैं? (2016)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2